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जेईई एडवांस में अब इन छात्राें को मिलेंगे 3 मौके, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

जेईई एडवांस में रजिस्ट्रेशन और परीक्षा में शामिल करने की मांग को लेकर लगाई गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने आदेश दिया है कि 5 नवंबर से 18 नवंबर 2024 के बीच इंजीनियरिंग कॉलेज छोड़ने वाले छात्रों को रजिस्ट्रेशन का मौका दिया जाए. साथ ही तीन बार परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाए.

जेईई एडवांस 2025 में प्रयासों की संख्या को बढ़ाकर कम करने के मामले में दायर याचिका पर आज 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कर फैसला सुनाया. कोर्ट ने संयुक्त प्रवेश बोर्ड को आदेश दिया कि 5 नवंबर से 18 नवंबर 2024 के बीच कॉलेज छोड़ने वाले स्टूडेंटस को संयुक्त प्रवेश बोर्ड की प्रारंभिक अधिसूचना के अनुसार जेईई एडवांस में तीन अटेम्पट देने की अनुमति दी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट में 22 स्टूडेंट्स की ओर से इस याचिका दायर की गई थी.

संयुक्त प्रवेश बोर्ड ने 5 नवंबर को घोषणा की थी कि 2023, 2024 और 2025 में ग्रेजुएशन करने वाले छात्र परीक्षा देने के पात्र होंगे. लेकिन सिर्फ 13 दिन बाद इस पात्रता को घटाकर केवल 2024 और 2025 बैच के छात्रों तक सीमित कर दिया गया. याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ए जी मसीह की पीठ ने कहा कि इस अवधि के दौरान कुछ स्टूडेंट्स ने यह सोचकर अपना कोर्स छोड़ दिया था कि वे एग्जाम में बैठने के पात्र होंगे और अब इस बात से इंकार करके उनके साथ पक्षपात नहीं किया जा सकता है.

याचिका में छात्रों ने दावा किया था कि उन्होंने 2023 में अपनी कक्षा 12वीं की एग्जाम पास कर ली थी और पहले से ही इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन ले लिया था, लेकिन जेईई एडवांस्ड 2025 की तैयारी तब शुरू की जब उपलब्ध प्रयासों की संख्या दो से बढ़ाकर तीन कर दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संयुक्त प्रवेश बोर्ड (जेएबी) को निर्देश दिया कि वह 5 नवंबर से 18 नवंबर 2024 के बीच कोर्स छोड़ने वाले स्टूडेंट्स को जेईई एडवांस 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन करने की अनुमति दे.

इस तैयारी में जेईई मेन 2025 आवेदन पत्र शुल्क, कोचिंग कक्षाओं का शुल्क जमा करना और टेस्ट सीरीज, अध्ययन सामग्री/पुस्तकों और अन्य प्रारंभिक पाठ्यक्रमों पर पैसा खर्च करना शामिल था. अधिवक्ता संजीत कुमार त्रिवेदी के माध्यम से दायर एक नई याचिका में कहा गया है कि जेईई-एडवांस परीक्षा आयोजित करने के लिए नियुक्त जेएबी ने छात्रों के लिए पात्रता मानदंड में मनमाने तरीके से बदलाव किया.

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जेईई एडवांस में रजिस्ट्रेशन और परीक्षा में शामिल करने की मांग को लेकर लगाई गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने आदेश दिया है कि 5 नवंबर से 18 नवंबर 2024 के बीच इंजीनियरिंग कॉलेज छोड़ने वाले छात्रों को रजिस्ट्रेशन का मौका दिया जाए. साथ ही तीन बार परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाए.

जेईई एडवांस 2025 में प्रयासों की संख्या को बढ़ाकर कम करने के मामले में दायर याचिका पर आज 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कर फैसला सुनाया. कोर्ट ने संयुक्त प्रवेश बोर्ड को आदेश दिया कि 5 नवंबर से 18 नवंबर 2024 के बीच कॉलेज छोड़ने वाले स्टूडेंटस को संयुक्त प्रवेश बोर्ड की प्रारंभिक अधिसूचना के अनुसार जेईई एडवांस में तीन अटेम्पट देने की अनुमति दी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट में 22 स्टूडेंट्स की ओर से इस याचिका दायर की गई थी. संयुक्त प्रवेश बोर्ड ने 5 नवंबर को घोषणा की थी कि 2023, 2024 और 2025 में ग्रेजुएशन करने वाले छात्र परीक्षा देने के पात्र होंगे. लेकिन सिर्फ 13 दिन बाद इस पात्रता को घटाकर केवल 2024 और 2025 बैच के छात्रों तक सीमित कर दिया गया. याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ए जी मसीह की पीठ ने कहा कि इस अवधि के दौरान कुछ स्टूडेंट्स ने यह सोचकर अपना कोर्स छोड़ दिया था कि वे एग्जाम में बैठने के पात्र होंगे और अब इस बात से इंकार करके उनके साथ पक्षपात नहीं किया जा सकता है. याचिका में छात्रों ने दावा किया था कि उन्होंने 2023 में अपनी कक्षा 12वीं की एग्जाम पास कर ली थी और पहले से ही इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन ले लिया था, लेकिन जेईई एडवांस्ड 2025 की तैयारी तब शुरू की जब उपलब्ध प्रयासों की संख्या दो से बढ़ाकर तीन कर दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संयुक्त प्रवेश बोर्ड (जेएबी) को निर्देश दिया कि वह 5 नवंबर से 18 नवंबर 2024 के बीच कोर्स छोड़ने वाले स्टूडेंट्स को जेईई एडवांस 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन करने की अनुमति दे. इस तैयारी में जेईई मेन 2025 आवेदन पत्र शुल्क, कोचिंग कक्षाओं का शुल्क जमा करना और टेस्ट सीरीज, अध्ययन सामग्री/पुस्तकों और अन्य प्रारंभिक पाठ्यक्रमों पर पैसा खर्च करना शामिल था. अधिवक्ता संजीत कुमार त्रिवेदी के माध्यम से दायर एक नई याचिका में कहा गया है कि जेईई-एडवांस परीक्षा आयोजित करने के लिए नियुक्त जेएबी ने छात्रों के लिए पात्रता मानदंड में मनमाने तरीके से बदलाव किया.
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