बॉलीवुड अभिनेत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सांसद कंगना रनौत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अपनी आगामी फिल्म ‘इमरजेंसी’ देखने का निमंत्रण दिया है, जो उनकी दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन पर आधारित है. कंगना ने कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी को भी निमंत्रण भेजा है. 17 जनवरी को रिलीज होने वाली इस फिल्म में कंगना खुद ही निर्देशक और अभिनेत्री हैं, वह इंदिरा गांधी का किरदार भी निभा रही हैं.
एक इंटरव्यू में कंगना रनौत ने राहुल गांधी की आलोचना की और कहा कि प्रियंका गांधी राहुल गांधी से बेहतर है. प्रियंका गांधी से संसद में उनकी बातचीत को याद करते हुए कंगना ने कहा, “जब मैं उनसे मिली तो वह मुस्काईं और बोलीं यह हमारी बहुत प्यारी बातचीत थी. मैं बहुत अच्छे से याद करती हूं. वह बहुत शिष्ट हैं. वह अपने भाई के विपरीत हैं. वह निश्चित रूप से समझदार हैं. जो बोलती हैं, वह सही होता है. मुझे उनके साथ बात करना अच्छा लगता है.”
राहुल गांधी की आलोचना करते हुए कंगना रनौत ने कहा, “उनके भाई का तो आप जानते ही हैं. उन्होंने मुझे देखकर मुस्कान दी. उन्हें शिष्टाचार का कोई ज्ञान नहीं है. मैं फिर भी उन्हें भी फिल्म देखने का निमंत्रण देती हूं.”
इंदिरा गांधी के बारे में की खूब रिसर्च
“जब मैंने इंदिरा गांधी के बारे में रिसर्च करना शुरू किया, तो मैंने पाया कि उनके निजी जीवन के बारे में जानने के लिए बहुत सी चाजें थीं. चाहे वो उनके पति, दोस्तों या विवादास्पद समीकरणों के साथ उनका रिश्ता हो.”
इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व की जमकर की तारीफ
कंगना ने कहा “मैंने खुद से सोचा कि हर व्यक्ति में बहुत कुछ है. जब महिलाओं की बात आती है तो उन्हें खासकर अपने आस-पास के पुरुषों के हिसाब से सीमित कर दिया जाता है और वास्तव में अधिकांश कॉन्ट्रोवर्शियल कंटेंट इसी बारे में था,” लेकिन मैंने इंदिरा गांधी को बहुत संवेदनशीलता और गरिमा से चित्रित किया है और मुझे लगता है कि यह फिल्म सभी को देखनी चाहिए.
कंगना ने इंदिरा गांधी को एक लोकप्रिय नेता बताते हुए कहा “आपातकाल के दौरान हुई कुछ बहुत ही अजीबो गरीब चीजों के अलावा मुझे लगता है कि उन्हें बहुत प्यार और सम्मान मिला. तीन बार प्रधानमंत्री बनना कोई मजाक नहीं है. उन्हें लोगों का सम्मान मिला,”
अनुपम खेर, श्रेया तलपड़े, अशोक छाबड़ा, महिमा चौधरी, मिलिंद सोमण, विशाल नायर और दिवंगत सतीश कौशिक ने इमरजेंसी फिल्म में अहम योगदान दिया है. फिल्म 1975 से 1977 तक इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल और इसके परिणामों पर आधारित है, जो भारतीय लोकतंत्र में एक काले अध्याय की तरह देखा जाता है.