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17 साल में 4 बार हुआ दस्तावेज सत्यापन : अब प्रधान पाठक की सेवा हुई समाप्त, हेडमास्टर बोले- मैंने बच्चों का भविष्य संवारा, अब मेरा भविष्य दांव पर…

डोंगरगढ़,

राजनांदगांव जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. मुख्यमंत्री शिक्षक सम्मान जैसे कई पुरस्कार से सम्मानित प्रधान पाठक की शिक्षा विभाग ने सेवा समाप्त कर दी. 17 साल की सेवा समाप्त करने के आदेश के बाद प्रधान पाठक का दर्द छलका है. उन्होंने कहा कि मैंने बच्चों का भविष्य संवारा, अब मेरा भविष्य दांव पर है.

दरअसल, डोंगरगढ़ विकासखंड के इंदिरा नगर शासकीय प्राथमिक शाला में कार्यरत प्रधान पाठक राजेंद्र सिंह ठाकुर की 17 साल की सेवा को विभाग ने अचानक समाप्त कर दिया. विभाग ने उनके खिलाफ यह कार्रवाई प्रधान पाठक राजेंद्र के शैक्षणिक अंकसूची को फर्जी करार देते हुए की है. जिसके बाद राजेंद्र सिंह ठाकुर ने उनके खिलाफ दुर्भावनापूर्ण साजिश रचते हुए झूठी शिकायत की जानें का आरोप लगाया. विभाग ने उनकी उपलब्धियों को अनदेखा किया. उन्हें मुख्यमंत्री शिक्षक सम्मान, जिला कलेक्टर पुरस्कार समेत कई अन्य प्रतिष्ठित सम्मान मिल चुके हैं और 17 वर्षों में तीन से चार बार उनके दस्तावेजों का सत्यापन हो चुका है.

राजेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि मेरे खिलाफ षड्यंत्र रचा गया है और बिना उचित जांच के मेरी 17 वर्षों की सेवा समाप्त कर दी गई. उनकी शैक्षणिक प्रमाण-पत्रों की सत्यापन प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी थी. बावजूद इसके बेनाम शिकायतकर्ता के आधार पर जांच किए बिना ही उन्हें बर्खास्त कर दिया गया. वे निष्ठा और ईमानदारी के साथ शिक्षा विभाग की योजनाओं को आगे बढ़ाते रहे लेकिन आज वे विभागीय राजनीति और साजिश का शिकार हो गए हैं. इस पूरे मामले ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. यदि उनकी अंकसूची फर्जी थी तो 17 वर्षों तक वे सेवा में कैसे रहे? नियुक्ति से पहले दस्तावेजों की जांच क्यों नहीं की गई? और यदि वे दोषी थे तो मुख्यमंत्री सम्मान जैसे अन्य सत्रह विभागीय सम्मान से उन्हें सम्मानित क्यों किया?

राजेंद्र सिंह ने इस कार्रवाई के खिलाफ उच्चाधिकारियों से न्याय की मांग की है. उन्होंने कहा कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और शिकायतकर्ता को सामने लाया जाए.

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डोंगरगढ़, राजनांदगांव जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. मुख्यमंत्री शिक्षक सम्मान जैसे कई पुरस्कार से सम्मानित प्रधान पाठक की शिक्षा विभाग ने सेवा समाप्त कर दी. 17 साल की सेवा समाप्त करने के आदेश के बाद प्रधान पाठक का दर्द छलका है. उन्होंने कहा कि मैंने बच्चों का भविष्य संवारा, अब मेरा भविष्य दांव पर है. दरअसल, डोंगरगढ़ विकासखंड के इंदिरा नगर शासकीय प्राथमिक शाला में कार्यरत प्रधान पाठक राजेंद्र सिंह ठाकुर की 17 साल की सेवा को विभाग ने अचानक समाप्त कर दिया. विभाग ने उनके खिलाफ यह कार्रवाई प्रधान पाठक राजेंद्र के शैक्षणिक अंकसूची को फर्जी करार देते हुए की है. जिसके बाद राजेंद्र सिंह ठाकुर ने उनके खिलाफ दुर्भावनापूर्ण साजिश रचते हुए झूठी शिकायत की जानें का आरोप लगाया. विभाग ने उनकी उपलब्धियों को अनदेखा किया. उन्हें मुख्यमंत्री शिक्षक सम्मान, जिला कलेक्टर पुरस्कार समेत कई अन्य प्रतिष्ठित सम्मान मिल चुके हैं और 17 वर्षों में तीन से चार बार उनके दस्तावेजों का सत्यापन हो चुका है. राजेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि मेरे खिलाफ षड्यंत्र रचा गया है और बिना उचित जांच के मेरी 17 वर्षों की सेवा समाप्त कर दी गई. उनकी शैक्षणिक प्रमाण-पत्रों की सत्यापन प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी थी. बावजूद इसके बेनाम शिकायतकर्ता के आधार पर जांच किए बिना ही उन्हें बर्खास्त कर दिया गया. वे निष्ठा और ईमानदारी के साथ शिक्षा विभाग की योजनाओं को आगे बढ़ाते रहे लेकिन आज वे विभागीय राजनीति और साजिश का शिकार हो गए हैं. इस पूरे मामले ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. यदि उनकी अंकसूची फर्जी थी तो 17 वर्षों तक वे सेवा में कैसे रहे? नियुक्ति से पहले दस्तावेजों की जांच क्यों नहीं की गई? और यदि वे दोषी थे तो मुख्यमंत्री सम्मान जैसे अन्य सत्रह विभागीय सम्मान से उन्हें सम्मानित क्यों किया? राजेंद्र सिंह ने इस कार्रवाई के खिलाफ उच्चाधिकारियों से न्याय की मांग की है. उन्होंने कहा कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और शिकायतकर्ता को सामने लाया जाए.
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