वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि ये मॉडल हमने बनाया है क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने सीएम आवास में किसी को घुसने नहीं दिया, इसलिए हमने इसे बनाया है. उन्होंने कहा कि ये मॉडल उस समय बनाया गया था जब दिल्ली के लोग कोविड-19 की मार झेल रहे थे और हमारे रोजगार ठप्प थे.
वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि पहले यहां एक प्लॉट और एक बंगला था, लेकिन केजरीवाल को दिल्ली के लिए कुछ बड़ा करना था, इसलिए आसपास के तीन प्लॉट को तोड़ कर चार प्लॉट जोड़ कर भ्रष्टाचार म्यूजियम बनाया गया.
CAG ने उठाए ये सवाल
CAG ने अपनी रिपोर्ट में CM Housing पर 139 प्रश्न पूछे हैं. सवाल उठता है कि क्या सरकारी अनुमति दी गई थी? 2022 तक 33 करोड़ से अधिक खर्च हुआ, जो 2023 और 2024 तक 75 से 80 करोड़ तक बढ़ गया.
विरेंद्र सचदेवा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा खर्च किए गए धन को लेकर कहा, “राजीव गांधी, नरसिम्हा राव, वीपी सिंह ये सभी उसी आवास में रहते थे, जहां अभी पीएम रहते हैं. मैं अरविंद केजरीवाल से पूछ रहा हूं कि क्या ये CM आवास है? यदि CM आवास होता तो आज आतिशी मार्लेना मथुरा रोड पर क्यों रहतीं? CM आवास कागजों पर नहीं है, तो किसके लिए बनाया गया है? उन्होंने इस आवास को खुद के लिए बनवाया है.”
CAG रिपोर्ट में क्या है?
बीजेपी का दावा है कि शीशमहल की CAG रिपोर्ट से पहली बात स्पष्ट हो गई है कि पी.डब्लू.डी. ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की निजी संस्था के रूप में काम किया था. इसलिए, प्रारंभिक कार्य आदेश के बाद सीएम बंगले ने इमरजेंसी कार्य घोषित करते हुए 33.71 करोड़ रुपये का भुगतान किया.
CAG रिपोर्ट में पृष्ठ 127 और उससे आगे प्रोजेक्ट कंसल्टेंट नियुक्ति से लेकर प्रोजेक्ट लागत निर्धारित करने और उसे किश्तों में बढाने पर भी प्रश्न उठाए गए हैं. सबसे बड़ी चिंता मुख्य मंत्री के लिए आवास कैटेगरी निर्धारित करने, इसे फिर से बढ़ाने, आपातकालीन आवश्यकता घोषित करने, काम को स्थायी या अस्थायी बताने और स्टाफ ब्लाक से लेकर सरवेंट क्वार्टर निर्माण तक के नाम पर, हेर फेर को लेकर उठाए हैं.