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फर्जी अंकसूची के सहारे आंगनबाड़ी भर्ती मामले निलंबित प्रधान पाठक ने बीईओ पर मढ़ा आरोप, कहा- मुझे बलि का बकरा बनाया

गरियाबंद,

देवभोग के पूंजीपारा में आंगनबाड़ी सहायिका भर्ती में फर्जी अंकसूची के सहारे भर्ती के मामले में निलंबित प्रधान पाठक ने बलि का बकरा बनाए जाने का आरोप लगाते हुए बीईओ पर आरोप मढ़ा है.

देवभोग के पूंजीपारा में आंगनबाड़ी भर्ती में फर्जी अंक सूची के सहारे भर्ती का मामला 21 नवम्बर को उजागर किया गया था. कक्षा 8वीं के 85 प्रतिशत अंक वाले जिस मार्कशीट के सहारे पूंजीपारा आंगनबाड़ी में तारिणी बघेल द्वारा नौकरी हासिल की थी, वह दरअसल फर्जी थी. असली अंकसूची में उसका 81 प्रतिशत उल्लेख है. इस खबर पर संज्ञान लेते हुए कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने मामले की जांच का जिम्मा देवभोग एसडीएम को दिया था.

मामले में जिला शिक्षा अधिकारी व जिला महिला बाल विकास विभाग के साथ संयुक्त टीम बना कर मामले की जांच शुरू की गई. 5 दिसंबर 2024 को कलेक्टर को जांच प्रतिवेदन कमेटी ने सौंप दिया. प्रतिवेदन में बताया गया कि बाड़ीगांव कन्या मिडिल स्कूल के प्रधान पाठक द्वारा कूट रचित कर तैयार किए गए अंक तालिका के आधार पर तारिणी बघेल ने सहायिका की नौकरी हासिल कर ली. इसी रिपोर्ट के आधार पर महिला बाल विकास विभाग ने तारिणी को बर्खास्त कर दिया.

वहीं संयुक्त संचालक शिक्षा कार्यालय ने 31 दिसम्बर को जारी आदेश में प्रधान पाठक जोगेंद्र कश्यप को निलंबित कर दिया. महासमुंद जिले के सरायपाली ब्लॉक कार्यालय अटैच कर बलौदाबाजार के शिक्षा अधिकारियों की टीम बना कर प्रधान पाठक पर विभागीय जांच बिठा दिया गया है.

निलंबित प्रधान पाठक जोगेंद्र कश्यप ने चर्चा में दस्तावेज दिखाते हुए बताया कि सहायिका भर्ती प्रकिया में आवेदन लेने की अंतिम तारीख 13 सितम्बर 2024 थी. 24 सितंबर को तारिणी की लिखित मांग के आधार पर अंक तालिका दिया गया. 30 सितम्बर को डीईओ कार्यालय के लेटर हेड से बीईओ देवभोग द्वारा किए गए निर्देश पर अंक सूची की द्वितीय प्रतिलिपि 1 अक्टूबर को दी गई. जोगेंद्र ने कहा कि अंक बढ़ाने उसे उच्च अधिकारी ने दबाव बनाए.

रिकॉर्ड रजिस्टर को एक दिन के लिए बीईओ ऑफिस में छोड़ा गया था, 81 प्रतिशत को 85 प्रतिशत बनाने रिकॉर्ड में सफेदा बीईओ दफ्तर में लगाया गया है. निलंबित प्रधान पाठक बोला 13 सितम्बर आवेदन लेने की अंतिम तिथि थी, बीईओ के आदेश पर मार्कशीट तो 30 सितम्बर को जारी किया. हालांकि, बीईओ देवनाथ बघेल ने प्रधान पाठक के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे निराधार बताया है.

कलेक्टर को भेज दी गई है रिपोर्ट

मामले में देवभोग एसडीएम तुलसी दास मरकाम ने बताया कि निर्देश के मुताबिक जांच कर क्लेक्टर को रिपोर्ट भेज दी गई है. जो दोषी पाए गए उन पर कार्रवाई भी की गई है. दोबारा जांच की जरूरत हुई तो करेंगे, जो भी दोषी होंगे कार्रवाई की अनुशंसा कर भेज दी जाएगी.

जांच टीम और जांच पर उठ रहे सवाल

  1. 13/09 को आवेदन लेने की अंतिम तिथि थी. जांच में साबित हुआ है कि 24/09 के बाद अंक बढ़ाने का खेल किया गया. फिर अंतिम अवधि के बाद फर्जी अंक सूची संलग्न करने वाले का जिक्र रिपोर्ट में क्यों नहीं है?
  2. आवेदन में कांट छांट ना हो इसकी जिम्मेदारी आवेदन लेने वाले नियोक्ता विभाग की थी, जांच प्रतिवेदन में तारिणी द्वारा दिए गए आवेदन में कांट छांट का जिक्र है, 81 प्रतिशत को 85 प्रतिशत किया जाना स्पष्ट दिख रहा है. कांट छांट वाले आवेदन को मान्य करने वाले जिम्मेदार जांच के दायरे में क्यों नहीं आए?
  3. जिला कार्यालय से लेकर शिक्षा उप संचालक कार्यालय तक भेजे गए लेकिन प्रतिवेदन रिपोर्ट में बीईओ द्वारा अंक सूची के द्वितीय प्रति के लिए दिए गए निर्देश का ना तो जिक्र है, ना ही निर्देश कापी को संलग्न क्यों नहीं किया गया?
  4. मामला नियुक्ति में गड़बड़ी का था. जांच कमेटी में एसडीएम के अलावा महिला बाल विकास व शिक्षा विभाग के जिला अधिकारी को शामिल करना था, चयन समिति में शामिल दोनों विभाग के ब्लॉक अफसरों को क्यो शामिल किया गया?
  5. जांच में प्रधान पाठक का पक्ष नहीं रखा गया, एक तरफा प्रतिवेदन बना कर 5 दिसंबर को भेज दिया गया. हैरानी की बात है कि 4 दिसंबर को एसडीएम कार्यालय से पत्र जारी कर जवाब प्रस्तुत करने कहा गया था. जबकि जांच में शामिल बीईओ ने ही जोगेंद्र कश्यप को अवकाश 22 नवम्बर से 9 दिसम्बर तक की स्वीकृत किया था?

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गरियाबंद, देवभोग के पूंजीपारा में आंगनबाड़ी सहायिका भर्ती में फर्जी अंकसूची के सहारे भर्ती के मामले में निलंबित प्रधान पाठक ने बलि का बकरा बनाए जाने का आरोप लगाते हुए बीईओ पर आरोप मढ़ा है. देवभोग के पूंजीपारा में आंगनबाड़ी भर्ती में फर्जी अंक सूची के सहारे भर्ती का मामला 21 नवम्बर को उजागर किया गया था. कक्षा 8वीं के 85 प्रतिशत अंक वाले जिस मार्कशीट के सहारे पूंजीपारा आंगनबाड़ी में तारिणी बघेल द्वारा नौकरी हासिल की थी, वह दरअसल फर्जी थी. असली अंकसूची में उसका 81 प्रतिशत उल्लेख है. इस खबर पर संज्ञान लेते हुए कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने मामले की जांच का जिम्मा देवभोग एसडीएम को दिया था. मामले में जिला शिक्षा अधिकारी व जिला महिला बाल विकास विभाग के साथ संयुक्त टीम बना कर मामले की जांच शुरू की गई. 5 दिसंबर 2024 को कलेक्टर को जांच प्रतिवेदन कमेटी ने सौंप दिया. प्रतिवेदन में बताया गया कि बाड़ीगांव कन्या मिडिल स्कूल के प्रधान पाठक द्वारा कूट रचित कर तैयार किए गए अंक तालिका के आधार पर तारिणी बघेल ने सहायिका की नौकरी हासिल कर ली. इसी रिपोर्ट के आधार पर महिला बाल विकास विभाग ने तारिणी को बर्खास्त कर दिया. वहीं संयुक्त संचालक शिक्षा कार्यालय ने 31 दिसम्बर को जारी आदेश में प्रधान पाठक जोगेंद्र कश्यप को निलंबित कर दिया. महासमुंद जिले के सरायपाली ब्लॉक कार्यालय अटैच कर बलौदाबाजार के शिक्षा अधिकारियों की टीम बना कर प्रधान पाठक पर विभागीय जांच बिठा दिया गया है. निलंबित प्रधान पाठक जोगेंद्र कश्यप ने चर्चा में दस्तावेज दिखाते हुए बताया कि सहायिका भर्ती प्रकिया में आवेदन लेने की अंतिम तारीख 13 सितम्बर 2024 थी. 24 सितंबर को तारिणी की लिखित मांग के आधार पर अंक तालिका दिया गया. 30 सितम्बर को डीईओ कार्यालय के लेटर हेड से बीईओ देवभोग द्वारा किए गए निर्देश पर अंक सूची की द्वितीय प्रतिलिपि 1 अक्टूबर को दी गई. जोगेंद्र ने कहा कि अंक बढ़ाने उसे उच्च अधिकारी ने दबाव बनाए. रिकॉर्ड रजिस्टर को एक दिन के लिए बीईओ ऑफिस में छोड़ा गया था, 81 प्रतिशत को 85 प्रतिशत बनाने रिकॉर्ड में सफेदा बीईओ दफ्तर में लगाया गया है. निलंबित प्रधान पाठक बोला 13 सितम्बर आवेदन लेने की अंतिम तिथि थी, बीईओ के आदेश पर मार्कशीट तो 30 सितम्बर को जारी किया. हालांकि, बीईओ देवनाथ बघेल ने प्रधान पाठक के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे निराधार बताया है.

कलेक्टर को भेज दी गई है रिपोर्ट

मामले में देवभोग एसडीएम तुलसी दास मरकाम ने बताया कि निर्देश के मुताबिक जांच कर क्लेक्टर को रिपोर्ट भेज दी गई है. जो दोषी पाए गए उन पर कार्रवाई भी की गई है. दोबारा जांच की जरूरत हुई तो करेंगे, जो भी दोषी होंगे कार्रवाई की अनुशंसा कर भेज दी जाएगी.

जांच टीम और जांच पर उठ रहे सवाल

  1. 13/09 को आवेदन लेने की अंतिम तिथि थी. जांच में साबित हुआ है कि 24/09 के बाद अंक बढ़ाने का खेल किया गया. फिर अंतिम अवधि के बाद फर्जी अंक सूची संलग्न करने वाले का जिक्र रिपोर्ट में क्यों नहीं है?
  2. आवेदन में कांट छांट ना हो इसकी जिम्मेदारी आवेदन लेने वाले नियोक्ता विभाग की थी, जांच प्रतिवेदन में तारिणी द्वारा दिए गए आवेदन में कांट छांट का जिक्र है, 81 प्रतिशत को 85 प्रतिशत किया जाना स्पष्ट दिख रहा है. कांट छांट वाले आवेदन को मान्य करने वाले जिम्मेदार जांच के दायरे में क्यों नहीं आए?
  3. जिला कार्यालय से लेकर शिक्षा उप संचालक कार्यालय तक भेजे गए लेकिन प्रतिवेदन रिपोर्ट में बीईओ द्वारा अंक सूची के द्वितीय प्रति के लिए दिए गए निर्देश का ना तो जिक्र है, ना ही निर्देश कापी को संलग्न क्यों नहीं किया गया?
  4. मामला नियुक्ति में गड़बड़ी का था. जांच कमेटी में एसडीएम के अलावा महिला बाल विकास व शिक्षा विभाग के जिला अधिकारी को शामिल करना था, चयन समिति में शामिल दोनों विभाग के ब्लॉक अफसरों को क्यो शामिल किया गया?
  5. जांच में प्रधान पाठक का पक्ष नहीं रखा गया, एक तरफा प्रतिवेदन बना कर 5 दिसंबर को भेज दिया गया. हैरानी की बात है कि 4 दिसंबर को एसडीएम कार्यालय से पत्र जारी कर जवाब प्रस्तुत करने कहा गया था. जबकि जांच में शामिल बीईओ ने ही जोगेंद्र कश्यप को अवकाश 22 नवम्बर से 9 दिसम्बर तक की स्वीकृत किया था?
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