बंगाल और असम के मुस्लिमों को आतंक की ट्रेनिंग देने वाले बांग्लादेशी आतंकी जहीदुल इस्लाम को 7 साल की सजा NIA की एक अदालत ने सुनाई है। आतंकी जहीदुल मुस्लिम युवकों को कट्टरपंथी बनाने और आतंकी गतिविधियों के लिए धन जुटाने का काम करता था। बेंगलुरू में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की एक विशेष अदालत ने सोमवार (30 दिसंबर) को सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। जनवरी 2018 में बोधगया बम विस्फोट के पीछे भी जहीदुल इस्लाम और उसके साथी थे।
अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि बांग्लादेशी नागरिक जाहिदुल इस्लाम जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश इंडिया के इशारे पर भारत में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा था।
एनआईए ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि जाहिदुल इस्लाम उर्फ कौसर पर डकैती, साजिश और धन उगाही के साथ-साथ गोला-बारूद की खरीद से जुड़े मामलों में संलिप्तता के लिए 57,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। बयान में कहा गया कि इसके साथ ही इन मामलों में कुल 11 आरोपियों को दोषी ठहराया जा चुका है। एनआईए ने कहा कि वह और उसके साथी बर्दवान में अक्टूबर 2014 के विस्फोट मामले में शामिल था।
अवैध रूप से भारत में घुसा था
एनआईए की जांच के अनुसार, जहीदुल इस्लाम और सलाउद्दीन सालेहिन बांग्लादेश पुलिस की हिरासत से भागने के बाद 2014 में अवैध रूप से भारत में घुसकर आया था। इस दौरान, उसने और उसके साथियों ने अक्टूबर 2014 के बर्दवान धमाके की साजिश रची थी। इस विस्फोट के बाद जाहिदुल और उसके साथी बेंगलुरु भाग गए थे। यहां उन्होंने जेएमबी की भारत विरोधी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए पश्चिम बंगाल और असम के भोले-भाले मुस्लिम युवकों को कट्टरपंथी बनाया।