वासु सोनी चांपा। चैन से सोना है तो जागते रहिए, यह लाईन तब खास बन जाती है जब कोई कर्मचारी वो भी रेल विभाग का अपने काउंटर पर सोता या झपकी लेता दिखे। जिसके बाद पंच लाइन नई बन जाती है और वो हो जाती है चैन से नौकरी करना है तो सोते या झपकी लेते रहिए।
कुछ दिन पहले मध्य रात्रि के करीब चांपा रेलवे स्टेशन में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। जहां रेलवे का एक कर्मचारी मध्य रात्रि के करीब काउंटर पर झपकी लेते या सोते नजर आया। रेल विभाग अपने यात्रियों के लिए समर्पित है लेकिन क्या रेल विभाग में कार्यरत कर्मचारी अपने यात्रियों को लेकर समर्पित रहते हैं? रेल विभाग के कई स्टेशनों में दर्जनों शिकायते दर्ज होती रहती है साथ ही यात्रियों से बदसलूकी की बातें भी आम बात हो गई। चिल्हर की समस्या हो या जानकारी की रेल विभाग में कार्यरत कर्मचारियों को यह महसूस होता है कि उन्हें जबरन ही काम कराया जा रहा है। वहीं एक दूसरे कर्मचारी से आपसी समझौते के तहत आवश्यकता से अधिक समय तक ड्यूटी करना, वह भी बिना वजह के समझ से परे है। चांपा रेलवे स्टेशन में आए दिन ऐसा वाक्या सुनने और देखने को मिलता रहता है। जिसके चलते यात्रियों को कई परेशानियों से गुजरना पड़ता है। वहीं रेल विभाग कर भी क्या सकता है जब तक कोई शिकायत ना करें, वे किसी रेल विभाग में कार्यरत किसी भी कर्मचारी पर कार्रवाई नहीं कर सकते। साथ ही शिकायत होने के बाद शिकायतकर्ता को जानकारी देना भी रेल विभाग के कर्मचारी मुनासिब नहीं समझते। हालांकि रेल विभाग में कार्यरत कर्मचारी कई नियमों का हवाला देकर शिकायत संबंधित कोई भी जानकारी साझा नहीं करना चाहते। चांपा रेलवे स्टेशन की बात करें तो टिकट काउंटर पर आए दिन चिल्हर की समस्या, काउंटर पर किसी भी कर्मचारी का उपस्थित नहीं होना, काउंटर पर झपकी लेते या सोते दिखना ये आम बात हो चुकी है। हालांकि रेल विभाग किसी भी ऐसी बातों को मानने से इंकार कर देता है क्योंकि उन्हें सबूत की आवश्यकता होती है। जब तक सबूत ना हो रेल विभाग कोई भी कार्रवाई नहीं कर सकता। यात्रियों को अगर रेल विभाग से शिकायत करनी है तो हमेशा एक सबूत अवश्य बनाकर रखें जिससे समय आने पर रेल विभाग को दिखाया जा सके। वहीं रेल विभाग यात्रियों के लिए पूर्ण समर्पित रहता है लेकिन वहां कार्यरत कर्मचारी के नखरे क्या कहने? फिलहाल रेल विभाग इस मामले पर क्या कार्रवाई करता है यह देखने वाली बात होगी।