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ग्वालियर का वह स्कूल जहां अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी पढ़ाई, आज भी सहेज कर रखा है अटेंडेंस रजिस्टर, पूर्व PM की पूजा के बाद लगती है कक्षाएं

ग्वालियर,

देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की आज 100वीं जयंती है। इस अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी उनका नदी जोड़ो परियोजना का सपना साकार करने जा रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी का मध्य प्रदेश से गहरा नाता रहा है, क्योंकि ग्वालियर उनकी जन्म भूमि है, जहाँ उन्होंने अपनी शिक्षा-दीक्षा ग्रहण की। ग्वालियर के लाल के जन्मदिन पर जानिए उनके बारे में…  

ग्वालियर के गोरखी स्कूल में अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी पढ़ाई 

अटल बिहारी वाजपेयी ने ग्वालियर स्थित गोरखी स्कूल में पढ़ाई की थी। इस स्कूल के जर्रे-जर्रे में अटल जी की यादें समाई हैं। यहां के शिक्षक और छात्र खुद को गौरवशाली महसूस करते हैं। यही वजह है कि अध्यापक भी अटल जी की कविताओं का पाठ करते हैं। पूर्व पीएम के स्कूल का ऐसा प्रभाव है कि छात्र कविताओं का लेखन भी करने लगे हैं।

स्कूल ने आज भी सहेज कर रखा है अटेंडेंस का रजिस्टर 

ग्वालियर का महाराज बाड़ा स्थित गोरखी स्कूल कोई सामान्य स्कूल नहीं है। इस स्कूल में देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन साल तक पढ़ाई की थी। 1934 में उन्होंने इस स्कूल में 6वीं कक्षा में दाखिला लिया था और साल 1938 में 8वीं क्लास तक पढ़ाई की थी। स्कूल में आज भी उस रजिस्टर को सहेज कर रखा गया है, जिसमें कभी  उनकी उपस्थिति दर्ज हुआ करती थी। रजिस्टर में उनका उपस्थिति नंबर 101 था। यानि सौ फीसदी से भी एक ज्यादा जो उनके व्यवहार, कार्य और कुशल राजनेता की छवि के दौरान देश दुनिया को देखने भी मिला।

अटल पूजन के बाद शुरू होता है स्कूल 

इस स्कूल को देखकर हर किसी को फक्र होता है कि यहां कभी अटल जी पढ़ा करते थे। शिक्षक भी मानते हैं कि ये स्कूल उनकी यादों की धरोहर है। स्कूल अटल माहौल में डूबा है। यही वजह है कि स्कूल की शुरुआत सुबह अटल पूजन के साथ होती है। सभी शिक्षक और छात्र अटल बिहारी की पूजा के बाद ही गतिविधियों की शुरुआत करते हैं।

जिस कमरे में पढ़ते थे अटल, वह आज है धरोहर

90 साल पहले अटल जी जिस कमरे पढ़ते थे उसे धरोहर बना दिया गया है। उस दौर में वह यहां पेड़ के नीचे बैठकर कविताएं गुनगुनाते थे। आज ये स्कूल स्मार्ट बन चुका है। यहां सुबह-शाम की पाली में करीब 2 हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ाई करते हैं। बच्चे कहते है कि उन्हें फक्र होता है, कि जहां अटल जी ने शिक्षा हासिल की उसी स्कूल में वे पढ़ाई कर रहे हैं। छात्रों का यह भी कहना है कि अटल का प्रभाव ऐसा है कि वे उनकी कविताओं के पाठ करने के साथ ही खुद भी कविता लिखने लगे हैं।

आज इस खास दिन यानी कि ग्वालियर के लाडले सपूत अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन इन छात्रों ने शिक्षकों के साथ धूमधाम से मनाया है। यह जन्मदिन इसलिए भी और ज्यादा खास हो जाता है क्योंकि यह अटल बिहारी वाजपेई जी का 100वां जन्मदिन है। जिसके चलते देश भर में आज अटल जी को याद किया जा रहा है।

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ग्वालियर, देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की आज 100वीं जयंती है। इस अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी उनका नदी जोड़ो परियोजना का सपना साकार करने जा रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी का मध्य प्रदेश से गहरा नाता रहा है, क्योंकि ग्वालियर उनकी जन्म भूमि है, जहाँ उन्होंने अपनी शिक्षा-दीक्षा ग्रहण की। ग्वालियर के लाल के जन्मदिन पर जानिए उनके बारे में…  

ग्वालियर के गोरखी स्कूल में अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी पढ़ाई 

अटल बिहारी वाजपेयी ने ग्वालियर स्थित गोरखी स्कूल में पढ़ाई की थी। इस स्कूल के जर्रे-जर्रे में अटल जी की यादें समाई हैं। यहां के शिक्षक और छात्र खुद को गौरवशाली महसूस करते हैं। यही वजह है कि अध्यापक भी अटल जी की कविताओं का पाठ करते हैं। पूर्व पीएम के स्कूल का ऐसा प्रभाव है कि छात्र कविताओं का लेखन भी करने लगे हैं।

स्कूल ने आज भी सहेज कर रखा है अटेंडेंस का रजिस्टर 

ग्वालियर का महाराज बाड़ा स्थित गोरखी स्कूल कोई सामान्य स्कूल नहीं है। इस स्कूल में देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन साल तक पढ़ाई की थी। 1934 में उन्होंने इस स्कूल में 6वीं कक्षा में दाखिला लिया था और साल 1938 में 8वीं क्लास तक पढ़ाई की थी। स्कूल में आज भी उस रजिस्टर को सहेज कर रखा गया है, जिसमें कभी  उनकी उपस्थिति दर्ज हुआ करती थी। रजिस्टर में उनका उपस्थिति नंबर 101 था। यानि सौ फीसदी से भी एक ज्यादा जो उनके व्यवहार, कार्य और कुशल राजनेता की छवि के दौरान देश दुनिया को देखने भी मिला।

अटल पूजन के बाद शुरू होता है स्कूल 

इस स्कूल को देखकर हर किसी को फक्र होता है कि यहां कभी अटल जी पढ़ा करते थे। शिक्षक भी मानते हैं कि ये स्कूल उनकी यादों की धरोहर है। स्कूल अटल माहौल में डूबा है। यही वजह है कि स्कूल की शुरुआत सुबह अटल पूजन के साथ होती है। सभी शिक्षक और छात्र अटल बिहारी की पूजा के बाद ही गतिविधियों की शुरुआत करते हैं।

जिस कमरे में पढ़ते थे अटल, वह आज है धरोहर

90 साल पहले अटल जी जिस कमरे पढ़ते थे उसे धरोहर बना दिया गया है। उस दौर में वह यहां पेड़ के नीचे बैठकर कविताएं गुनगुनाते थे। आज ये स्कूल स्मार्ट बन चुका है। यहां सुबह-शाम की पाली में करीब 2 हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ाई करते हैं। बच्चे कहते है कि उन्हें फक्र होता है, कि जहां अटल जी ने शिक्षा हासिल की उसी स्कूल में वे पढ़ाई कर रहे हैं। छात्रों का यह भी कहना है कि अटल का प्रभाव ऐसा है कि वे उनकी कविताओं के पाठ करने के साथ ही खुद भी कविता लिखने लगे हैं। आज इस खास दिन यानी कि ग्वालियर के लाडले सपूत अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन इन छात्रों ने शिक्षकों के साथ धूमधाम से मनाया है। यह जन्मदिन इसलिए भी और ज्यादा खास हो जाता है क्योंकि यह अटल बिहारी वाजपेई जी का 100वां जन्मदिन है। जिसके चलते देश भर में आज अटल जी को याद किया जा रहा है।
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