पेगासस स्पाइवेयर का जिन्न एक बार फिर से बाहर निकला है। इजराइल एनएसओ समूह पर अमेरिकी अदालत के फैसले के बाद कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार से कई सवाल किए है। इस मामले में कांग्रेस के नेता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार से इस संबंध में जवाब मांगा है। सुरजेवाला ने कहा कि पेगासस स्पाइवेयर मामले का फैसला साबित करता है कि अवैध स्पाइवेयर रैकेट में भारतीयों के 300 वॉट्सऐप नंबरों को कैसे निशाना बनाया गया।
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में, सुरजेवाला ने कहा, “पेगासस स्पाइवेयर मामले का फैसला साबित करता है कि अवैध स्पाइवेयर रैकेट में भारतीयों के 300 वॉट्सऐप नंबरों को कैसे निशाना बनाया गया। उन्होंने केंद्र से सवाल पूछे, “जिन 300 नामों को निशाना बनाया गया है, वे कौन हैं! दो केंद्रीय मंत्री कौन हैं? तीन विपक्षी नेता कौन हैं? संवैधानिक अधिकारी कौन है? पत्रकार कौन हैं? व्यवसायी कौन हैं?”
कांग्रेस नेता ने पूछा, “भाजपा सरकार और एजेंसियों ने कौन सी जानकारी हासिल की? इसका किस तरह से इस्तेमाल किया गया. क्या अब मौजूदा सरकार में राजनीतिक कार्यकारी/अधिकारियों और एनएसओ के स्वामित्व वाली कंपनी के खिलाफ उचित आपराधिक मामले दर्ज किए जाएंगे?”
सुप्रीम कोर्ट से जताई ये उम्मीद
सुरजेवाला ने आगे पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट मेटा बनाम एनएसओ में अमेरिकी अदालत के फैसले पर ध्यान देगा? “क्या सुप्रीम कोर्ट 2021-22 में पेगासस स्पाइवेयर पर तकनीकी विशेषज्ञों की समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करेगा? क्या सुप्रीम कोर्ट अब भारत के 300 सहित 1,400 वॉट्सऐप नंबरों को निशाना बनाने की पुष्टि करने वाले फैसले के मद्देनजर आगे की जांच करेगा? क्या सुप्रीम कोर्ट अब पेगासस मामले में न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए मेटा से 300 नाम खुद को सौंपने के लिए कहेगा?”
अमेरिकी कोर्ट का फैसला आते ही उठाया मुद्दा
जैसे ही इस मामले में यूएस कोर्ट का आदेश आया, वैसे ही कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार की तीखी आलोचना कीष उन्होंने कहा, “अदालत के फैसले से उन आरोपों को बल मिलता है कि भारत में 300 नंबरों को निशाना बनाया गया था।
जानिए क्या है पूरा मामला
वॉट्सऐप ने 2019 में एनएसओ पर मुकदमा दायर किया था, जिसमें निषेधाज्ञा और हर्जाने की मांग की गई थी, जिसमें कंपनी पर छह महीने पहले पीड़ितों के उपकरणों पर पेगासस स्पाइवेयर स्थापित करने के लिए वॉट्सएप सर्वर तक पहुंचने का आरोप लगाया गया था। मुकदमे के अनुसार, इस घुसपैठ के जरिए कंपनी ने करीब 1,400 लोगों पर नज़र रखी। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 दिसंबर को एक अमेरिकी न्यायाधीश ने वॉट्सऐप के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसमें इजरायल के एनएसओ समूह पर अनधिकृत निगरानी को स्पाइवेयर स्थापित करने के लिए मैसेजिंग ऐप में कमजोरी का फायदा उठाने का आरोप लगाया गया था।