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‘फ्लावर’ होती हैं महिलाएं… अली खामेनेई के बयान की इजरायल ने निकाल दी हवा, महसा अमीनी की तस्वीर पोस्ट कर सुप्रीम लीडर को दिखाया आइना

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने महिलाओं को ‘फ्लावर’ और बच्चा पैदा करने की मशीन कहा था। ईरान के सुप्रीम लीडर के बयान पर इजरायल ने प्रतिक्रिया देकर आइना दिखाया है। इजरायल ने महसा अमीनी की तस्वीर पोस्ट की है, जिससे ईरान को सबसे ज्यादा डर लगता है। इस युवती के कारण ईरान में हिजाब के विरोध में 21वीं सदी का सबसे बड़ा आंदोलन हुआ।

दरअसल ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने कहा था कि महिला हाउसमेड की तरह नहीं होती बल्कि वे नाजुक फूल की तरह होती हैं। महिलाओं के साथ घर में फूल की तरह व्यवहार किया जाना चाहिए। एक फूल की तरह देखभाल करने की जरूरत होती है।

खामेनेई ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था कि महिलाओं और पुरुषों की परिवार में अलग-अलग भूमिका होती है। उदाहरण के लिए पुरुष घर के खर्चों की जिम्मेदारी उठाते हैं जबकि महिलाओं की जिम्मेदारी होती है बच्चे पालना। इनमें कोई भी एक दूसरे से ओहदे में ऊंचा नहीं है बल्कि दोनों के गुण और योग्यताएं अलग-अलग है। खामेनेई के महिलाओं को लेकर इन्हीं ‘नेक’ विचारों के बाद इजरायल ने महसा अमीनी की तस्वीर पोस्ट कर जवाब दिया है।

महसा अमीनी कौन है?

दरअसल 22 साल की महसा अमीनी ईरान की कुर्दिश महिला थी, जो अपने भाई के साथ तेहरान गई थी। इस दौरान महसा ने हिजाब नहीं पहना था तो हिजाब पहनने के कानून का उल्लंघन करने के आरोप में ईरान की मॉरैलिटी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो ईरान की मॉरैलिटी पुलिस ने महसा को घसीटकर वैन में डाला और उनकी बेरहमी से पिटाई की थी। महसा को तेहरान के वोजारा डिटेंशन सेंटर ले जाया गया था. यहां पुलिस ने महसा को टॉर्चर किया, उनकी लगातार बेरहमी से पिटाई की गई। उनके सिर पर मुक्के मारे गए। इस बर्बरता की वजह से महसा कोमा में चली गईं और तीन दिन बाद 16 सितंबर 2022 को उनकी मौत हो गई थी।

महिला ने किया आंदोलन का नेतृत्व

महसा अमीनी की मौत की खबर बाहर आते ही प्रदर्शनकारी उग्र हो गए और महिलाओं ने एंटी-हिजाब कैंपेन नाम की दीवार खड़ी कर दी। ईरानी शासन रोज उस दीवार को तोड़ने की कोशिश करता लेकिन ईरानी महिलाएं रोज अपने विरोध से उस दीवार को और मजबूत और ऊंची कर रही थीं। इस आंदोलन से न सिर्फ ईरान बल्कि दुनियाभर से महिलाएं जुड़ीं। कठोर सजा को भूलकर महिलाओं ने हिजाब जलाए, बाल काटे, वीडियो बनाए, हैशटेग ट्रेंड कराए, चौराहों पर मार खाई लेकिन डटी रहीं थी।

कहां से शुरू हुई ईरान की हिजाब क्रांति

45 साल पहले तक ईरान ऐसा नहीं था। पश्चिमी सभ्यता का बोलबाला होने के कारण यहां खुलापन था। पहनावे को लेकर कोई रोकटोक नहीं थी। महिलाएं कुछ भी पहनकर कहीं भी आ-जा सकती थीं। 1979 ईरान के लिए इस्लामिक क्रांति का दौर लेकर आया। शाह मोहम्मद रेजा पहलवी को हटाकर धार्मिक नेता अयातुल्लाह खोमैनी ने सत्ता की बागडोर अपने हाथ में ले ली और पूरे देश में शरिया कानून लागू कर दिया।

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ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने महिलाओं को ‘फ्लावर’ और बच्चा पैदा करने की मशीन कहा था। ईरान के सुप्रीम लीडर के बयान पर इजरायल ने प्रतिक्रिया देकर आइना दिखाया है। इजरायल ने महसा अमीनी की तस्वीर पोस्ट की है, जिससे ईरान को सबसे ज्यादा डर लगता है। इस युवती के कारण ईरान में हिजाब के विरोध में 21वीं सदी का सबसे बड़ा आंदोलन हुआ।

दरअसल ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने कहा था कि महिला हाउसमेड की तरह नहीं होती बल्कि वे नाजुक फूल की तरह होती हैं। महिलाओं के साथ घर में फूल की तरह व्यवहार किया जाना चाहिए। एक फूल की तरह देखभाल करने की जरूरत होती है। खामेनेई ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था कि महिलाओं और पुरुषों की परिवार में अलग-अलग भूमिका होती है। उदाहरण के लिए पुरुष घर के खर्चों की जिम्मेदारी उठाते हैं जबकि महिलाओं की जिम्मेदारी होती है बच्चे पालना। इनमें कोई भी एक दूसरे से ओहदे में ऊंचा नहीं है बल्कि दोनों के गुण और योग्यताएं अलग-अलग है। खामेनेई के महिलाओं को लेकर इन्हीं ‘नेक’ विचारों के बाद इजरायल ने महसा अमीनी की तस्वीर पोस्ट कर जवाब दिया है। महसा अमीनी कौन है? दरअसल 22 साल की महसा अमीनी ईरान की कुर्दिश महिला थी, जो अपने भाई के साथ तेहरान गई थी। इस दौरान महसा ने हिजाब नहीं पहना था तो हिजाब पहनने के कानून का उल्लंघन करने के आरोप में ईरान की मॉरैलिटी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो ईरान की मॉरैलिटी पुलिस ने महसा को घसीटकर वैन में डाला और उनकी बेरहमी से पिटाई की थी। महसा को तेहरान के वोजारा डिटेंशन सेंटर ले जाया गया था. यहां पुलिस ने महसा को टॉर्चर किया, उनकी लगातार बेरहमी से पिटाई की गई। उनके सिर पर मुक्के मारे गए। इस बर्बरता की वजह से महसा कोमा में चली गईं और तीन दिन बाद 16 सितंबर 2022 को उनकी मौत हो गई थी। महिला ने किया आंदोलन का नेतृत्व महसा अमीनी की मौत की खबर बाहर आते ही प्रदर्शनकारी उग्र हो गए और महिलाओं ने एंटी-हिजाब कैंपेन नाम की दीवार खड़ी कर दी। ईरानी शासन रोज उस दीवार को तोड़ने की कोशिश करता लेकिन ईरानी महिलाएं रोज अपने विरोध से उस दीवार को और मजबूत और ऊंची कर रही थीं। इस आंदोलन से न सिर्फ ईरान बल्कि दुनियाभर से महिलाएं जुड़ीं। कठोर सजा को भूलकर महिलाओं ने हिजाब जलाए, बाल काटे, वीडियो बनाए, हैशटेग ट्रेंड कराए, चौराहों पर मार खाई लेकिन डटी रहीं थी। कहां से शुरू हुई ईरान की हिजाब क्रांति 45 साल पहले तक ईरान ऐसा नहीं था। पश्चिमी सभ्यता का बोलबाला होने के कारण यहां खुलापन था। पहनावे को लेकर कोई रोकटोक नहीं थी। महिलाएं कुछ भी पहनकर कहीं भी आ-जा सकती थीं। 1979 ईरान के लिए इस्लामिक क्रांति का दौर लेकर आया। शाह मोहम्मद रेजा पहलवी को हटाकर धार्मिक नेता अयातुल्लाह खोमैनी ने सत्ता की बागडोर अपने हाथ में ले ली और पूरे देश में शरिया कानून लागू कर दिया।
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