फ्लाईवे, जो दिल्ली और नोएडा को जोड़ता है, में टोल वसूली बंद ही रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया, जो DND को टोल फ्री कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डीएनडी टोल ब्रिज कंपनी ने हमेशा टोल वसूल करने का अनुबंध किया था. हाई कोर्ट ने इसे खारिज करके उसे सही किया. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि NTBCL को बिना सार्वजनिक टेंडर जारी किए नियुक्ति दी गई. पूरी तरह से मनमाना और गलत निर्णय था.
इस वसूली को हाई कोर्ट ने बताया था अवैध
यह मामला 16 नवंबर 2012 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर किया गया था, जहां कोर्ट ने सरकार को टोल वसूलने पर रोक लगाने का आदेश दिया था. 4 साल की सुनवाई के बाद, हाईकोर्ट ने टोल वसूलने पर रोक लगा दी. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया.
फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशसन (फोनरवा) ने इस मामले में डीएनडी नोएडा प्राधिकरण और कंपनी के बीच हुए समझौते को रद्द करने और टोल फ्री करने के लिए जनहित याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल किया. हाईकोर्ट ने कहा कि आम जनता पर टैक्स का बोझ क्यों डाला जाए जब फ्लाईओवर की कुल लागत से अधिक की वसूली हुई है?
दिल्ली नोएडा डायरेक्ट फ्लाई ओवर का निर्माण 1997 में शुरू हुआ था और 407 करोड़ रुपये का खर्च था, लेकिन अब तक 2 हजार करोड़ रुपये से अधिक की वसूली हो चुकी है.