छत्तीसगढअकलतरासमोसा 20 का 6, समोसा 20 का 6, आप रेल यात्री है...

समोसा 20 का 6, समोसा 20 का 6, आप रेल यात्री है तो आपने कभी ना कभी यह लाइन जरूर सुना होगा…

चांपा। जी हां अगर आपने भी यही लाइन सुना है तो बिल्कुल सही सुना है। अगर आप रेल यात्री है तो आपने कभी ना कभी यह लाइन जरूर सुना होगा। रेल यात्रा करने का सुगम साधन है। जिससे रेलवे प्रति व्यक्ति आय से रेल का संचालन करती है। वहीं मालगाड़ी से भी रेल विभाग को बहुत फायदा मिलता है। लेकिन इन यात्रियों के बीच सफर में आप कहीं ना कहीं ट्रेनों में कुछ लोगों को समोसा लेकर यात्रियों के बीच से निकलकर चिल्ला चिल्ला कर यही कहते सुना होगा समोसा 20 का 6।
लेकिन इनकी चिल्लाहट यात्रियों के सिवा शायद ही किसी को सुनाई देती हो। क्योंकि रोजाना यात्रियों के बीच समोसा 20 का 6 वाले कई लोग है जो परेशान यात्रियों के बीच और परेशानी बढ़ाते नजर आते है। साथ ही कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही नजर आती है। वहीं कई बार तो अधिकारियों के दबी जुबान से यह भी सुनने को मिल जाता है कि कितनी बार कार्रवाई करें, वो तो हर रोज आ जाते है। जिससे यही प्रतीत होता है कि आखिर इस मामले का हल रेल विभाग के पास नहीं है। वहीं भीड़ भरे रेल के डिब्बे में ये मंजर देखों तो गुस्सा तो लोगों को आता है लेकिन करें भी तो क्या? क्योंकि उनके पास उन्हें इधर से उधर जाने देने के सिवा कोई दुसरा विकल्प नहीं दिखता बल्कि समोसे या अन्य सामान बेचने वाले रास्ता बनाते या यात्रियों को डराते हुए निकल कर सामान बेचते हैं। बिहान खबर को उनके खाने के सामान बेचने से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन जब रेल का डिब्बा यात्रियों से खचाखच भरा हो तभी ये समोसे बेचने वाले अनाधिकृत लोग रेल के डिब्बे में जबरन आकर सामान बेचने लगते हैं। कई बार शिकायत करने पर आरपीएफ की टीम के द्वारा कार्रवाई की जाती है लेकिन वह भी सिर्फ खानापूर्ति के लिए। रेलवे द्वारा अभियान भी चलाया जाता है उसमें भी सिर्फ यात्री ही पकड़े जाते है समोसे बेचने वाले नहीं। क्योंकि समोसे बेचने वाले अनाधिकृत व्यक्ति बड़े स्टेशनों को छोड़कर बाकी अन्य छोटे स्टेशनों से चढ़कर दूसरी ओर बड़े स्टेशन पहंुचने से पहले ही रेल के डिब्बे से उतर जाते हैं।
जब रेल प्रशासन के आरपीएफ से इस बारे में जानकारी ली गई तो उनका रटा हुआ जवाब आया कि हमेशा कार्रवाई की जाती है। बावजूद रोजाना लोकल और एक्सप्रेस ट्रेनों में आपको समोसे 20 के 6 वाली लाइन जरूर सुनने को मिल जायेगी। वहीं वे बिना टिकट के आसानी से घुम-घुमकर समोसे बेचने का आनंद लेते है। लेकिन रेल प्रशासन के अधिकारी सिर्फ हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं।
आखिर किसकी शह पर चल रहा खेल
यात्रियों के बीच यह धंधा हमेशा से चल रहा है लेकिन उस पर बड़ी कार्रवाई का नामोनिशान नजर नहीं आता। रेल विभाग के आरपीएफ, जीआरपी या फिर विजिलेंस की टीम को सिर्फ शिकायत का इंतजार रहता है। बिना शिकायत वे किसी पर कार्रवाई नहीं कर पाते। वहीं कई यात्रियों की दबी जुबान से यही सुनने को मिलता है कि इस प्रकार के सामान बेचने वाले बिना टिकट यात्रा कर अपना धंधा चला रहे है जिन पर रेल प्रशासन कोई बड़ी कार्रवाई नहीं कर पाता, सिर्फ खानापूर्ति के नाम पर कार्रवाई कर इनको छोड़ दिया जाता है। आखिर इन लोगों को किसका संरक्षण प्राप्त है? जिसके चलते वे बड़ी आसानी से अपना सामान बेचने का धंधा चला रहे है?

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चांपा। जी हां अगर आपने भी यही लाइन सुना है तो बिल्कुल सही सुना है। अगर आप रेल यात्री है तो आपने कभी ना कभी यह लाइन जरूर सुना होगा। रेल यात्रा करने का सुगम साधन है। जिससे रेलवे प्रति व्यक्ति आय से रेल का संचालन करती है। वहीं मालगाड़ी से भी रेल विभाग को बहुत फायदा मिलता है। लेकिन इन यात्रियों के बीच सफर में आप कहीं ना कहीं ट्रेनों में कुछ लोगों को समोसा लेकर यात्रियों के बीच से निकलकर चिल्ला चिल्ला कर यही कहते सुना होगा समोसा 20 का 6। लेकिन इनकी चिल्लाहट यात्रियों के सिवा शायद ही किसी को सुनाई देती हो। क्योंकि रोजाना यात्रियों के बीच समोसा 20 का 6 वाले कई लोग है जो परेशान यात्रियों के बीच और परेशानी बढ़ाते नजर आते है। साथ ही कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही नजर आती है। वहीं कई बार तो अधिकारियों के दबी जुबान से यह भी सुनने को मिल जाता है कि कितनी बार कार्रवाई करें, वो तो हर रोज आ जाते है। जिससे यही प्रतीत होता है कि आखिर इस मामले का हल रेल विभाग के पास नहीं है। वहीं भीड़ भरे रेल के डिब्बे में ये मंजर देखों तो गुस्सा तो लोगों को आता है लेकिन करें भी तो क्या? क्योंकि उनके पास उन्हें इधर से उधर जाने देने के सिवा कोई दुसरा विकल्प नहीं दिखता बल्कि समोसे या अन्य सामान बेचने वाले रास्ता बनाते या यात्रियों को डराते हुए निकल कर सामान बेचते हैं। बिहान खबर को उनके खाने के सामान बेचने से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन जब रेल का डिब्बा यात्रियों से खचाखच भरा हो तभी ये समोसे बेचने वाले अनाधिकृत लोग रेल के डिब्बे में जबरन आकर सामान बेचने लगते हैं। कई बार शिकायत करने पर आरपीएफ की टीम के द्वारा कार्रवाई की जाती है लेकिन वह भी सिर्फ खानापूर्ति के लिए। रेलवे द्वारा अभियान भी चलाया जाता है उसमें भी सिर्फ यात्री ही पकड़े जाते है समोसे बेचने वाले नहीं। क्योंकि समोसे बेचने वाले अनाधिकृत व्यक्ति बड़े स्टेशनों को छोड़कर बाकी अन्य छोटे स्टेशनों से चढ़कर दूसरी ओर बड़े स्टेशन पहंुचने से पहले ही रेल के डिब्बे से उतर जाते हैं। जब रेल प्रशासन के आरपीएफ से इस बारे में जानकारी ली गई तो उनका रटा हुआ जवाब आया कि हमेशा कार्रवाई की जाती है। बावजूद रोजाना लोकल और एक्सप्रेस ट्रेनों में आपको समोसे 20 के 6 वाली लाइन जरूर सुनने को मिल जायेगी। वहीं वे बिना टिकट के आसानी से घुम-घुमकर समोसे बेचने का आनंद लेते है। लेकिन रेल प्रशासन के अधिकारी सिर्फ हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं। आखिर किसकी शह पर चल रहा खेल यात्रियों के बीच यह धंधा हमेशा से चल रहा है लेकिन उस पर बड़ी कार्रवाई का नामोनिशान नजर नहीं आता। रेल विभाग के आरपीएफ, जीआरपी या फिर विजिलेंस की टीम को सिर्फ शिकायत का इंतजार रहता है। बिना शिकायत वे किसी पर कार्रवाई नहीं कर पाते। वहीं कई यात्रियों की दबी जुबान से यही सुनने को मिलता है कि इस प्रकार के सामान बेचने वाले बिना टिकट यात्रा कर अपना धंधा चला रहे है जिन पर रेल प्रशासन कोई बड़ी कार्रवाई नहीं कर पाता, सिर्फ खानापूर्ति के नाम पर कार्रवाई कर इनको छोड़ दिया जाता है। आखिर इन लोगों को किसका संरक्षण प्राप्त है? जिसके चलते वे बड़ी आसानी से अपना सामान बेचने का धंधा चला रहे है?
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