महिला एवं बाल विकास विभाग की एक विशेष टीम ने शहर के प्रमुख चौराहों पर भिक्षुकों की पहचान कर कार्रवाई शुरू कर दी है। चिन्हित भिक्षुकों को उज्जैन और इंदौर के विभिन्न आश्रमों में भेजा जा रहा है। कलेक्टर ने साफ किया है कि 1 जनवरी 2025 से शहर में भिक्षा देने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। उनका कहना है कि कई बार भिक्षावृत्ति के माध्यम से इकट्ठा किए गए पैसे का उपयोग नशे और तस्करी जैसे अवैध कार्यों में होता है। ऐसे में इन गतिविधियों पर सख्ती से रोक लगाई जाएगी।
कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि शहर को भिक्षुक मुक्त बनाने के लिए जागरूकता अभियान चलाने के साथ-साथ सख्त कार्रवाई भी जरूरी है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे भिक्षा ना दे। क्योंकि भिक्षुक इस पेज से ड्रग्स खरीद कर उसका भी इस्तेमाल करते हैं और कई भिक्षुक परिवार के दबाव में आकर भिक्षावृत्ति करते हैं।