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ठेकेदार मस्त, अधिकारी पस्त, जनता त्रस्त… जनता के रूपयों से ठेकेदार कर रहा मनमानी, अधिकारी बेलगाम

चांपा। नगर का एकमात्र रेलवे स्टेशन अपने नए रूप को लेकर काफी चर्चा में है लेकिन उस नए रूप के लिए पुरानी मशीनों की बलि चढ़ाने ठेकेदार को कोई गुरेज नहीं है। जी हां चांपा रेलवे स्टेशन निर्माण कार्य बदस्तूर जारी है लेकिन निर्माण कार्य के साथ ठेकेदार को मशीनी उपकरण को सही सलामत निकालकर रखना चाहिए, लेकिन ठेकेदार अपने काम को देखते हुए पुरानी मशीनों को बिना निकाले ही निर्माण कार्य कर रहा है। चांपा स्टेशन के प्लेटफार्म नं. 01 में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है लेकिन उसकी देखरेख के लिए ठेकेदार तो क्या विभागीय जिम्मेदारों को भी कोई सरोकार नहीं है। प्लेटफार्म नं. 01 के उच्च श्रेणी प्रतीक्षालय के बगल में हो रहे कमरे के निर्माण के दौरान पुराने लगे दो एसी दीवारों पर ही लगे हैं। उन्हें बिना निकाले ही कमरे को तोड़ फोड़ कर दोबारा निर्माण किया जा रहा है। वहीं रेलवे के जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंद कर बैठे है। क्या रेलवे की संपत्ति को बिना नुकसान पहुंचाए ठेकेदार निर्माण कार्य नहीं कर सकता? ऐसे कई मामले चांपा रेलवे स्टेशन में आसानी से देखे जा सकते हैं। जनता के द्वारा दिए जाने वाले सहयोग से ही रेलवे का यह सब कार्य होता है लेकिन ठेकेदारों को अपने कमाई से ही मतलब रहता है। वहीं जनता की सेवा करने वाले अधिकारियों को भी इससे कोई सरोकार नहीं है। अब देखना यह है कि रेलवे के अधिकारी ठेकेदारों के इस रवैये पर कोई कार्रवाई करते हैं या यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा।

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चांपा। नगर का एकमात्र रेलवे स्टेशन अपने नए रूप को लेकर काफी चर्चा में है लेकिन उस नए रूप के लिए पुरानी मशीनों की बलि चढ़ाने ठेकेदार को कोई गुरेज नहीं है। जी हां चांपा रेलवे स्टेशन निर्माण कार्य बदस्तूर जारी है लेकिन निर्माण कार्य के साथ ठेकेदार को मशीनी उपकरण को सही सलामत निकालकर रखना चाहिए, लेकिन ठेकेदार अपने काम को देखते हुए पुरानी मशीनों को बिना निकाले ही निर्माण कार्य कर रहा है। चांपा स्टेशन के प्लेटफार्म नं. 01 में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है लेकिन उसकी देखरेख के लिए ठेकेदार तो क्या विभागीय जिम्मेदारों को भी कोई सरोकार नहीं है। प्लेटफार्म नं. 01 के उच्च श्रेणी प्रतीक्षालय के बगल में हो रहे कमरे के निर्माण के दौरान पुराने लगे दो एसी दीवारों पर ही लगे हैं। उन्हें बिना निकाले ही कमरे को तोड़ फोड़ कर दोबारा निर्माण किया जा रहा है। वहीं रेलवे के जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंद कर बैठे है। क्या रेलवे की संपत्ति को बिना नुकसान पहुंचाए ठेकेदार निर्माण कार्य नहीं कर सकता? ऐसे कई मामले चांपा रेलवे स्टेशन में आसानी से देखे जा सकते हैं। जनता के द्वारा दिए जाने वाले सहयोग से ही रेलवे का यह सब कार्य होता है लेकिन ठेकेदारों को अपने कमाई से ही मतलब रहता है। वहीं जनता की सेवा करने वाले अधिकारियों को भी इससे कोई सरोकार नहीं है। अब देखना यह है कि रेलवे के अधिकारी ठेकेदारों के इस रवैये पर कोई कार्रवाई करते हैं या यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
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