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कोरबा: एसईसीएल कोयला खनन विवाद में पर्यावरण विभाग की जांच, 1115 करोड़ की पेनल्टी

कोरबा,

कोल इंडिया के अधीन एसईसीएल द्वारा संचालित गेवरा कोयला परियोजना में कोयला खनन को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। कुसमुंडा खदान से लीज क्षेत्र के बाहर खनन किए जाने के मामले में अब छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल भी जांच करेगा। पर्यावरण विभाग ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी को जांच के निर्देश दिए हैं।

मामला तब सामने आया जब खनिज विभाग ने पहले से ही जांच शुरू की और अब तक एसईसीएल पर 1115 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया जा चुका है। एसईसीएल के कुसमुंडा खदान को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से लीज क्षेत्र में कोयला खनन की मंजूरी तो प्राप्त है, लेकिन 2006 के पहले और वर्तमान में लीज क्षेत्र के बाहर खनन करने की शिकायतें मिली हैं।

आरटीआई एक्टिविस्ट लक्ष्मी चौहान ने इस मामले में माइनिंग विभाग और पर्यावरण संरक्षण मंडल में शिकायत की है। उनका आरोप है कि एसईसीएल ने खुद ही स्वीकार किया है कि उसने तय सीमा से अधिक भूमि में खनन किया है। 2006 में 1673 हेक्टेयर में से 750 हेक्टेयर में खनन की अनुमति थी, लेकिन 950 हेक्टेयर अधिक जमीन में खनन किया गया। इसी तरह 2009 में 2536 हेक्टेयर में से 1666 हेक्टेयर में खनन की अनुमति थी, लेकिन 2666 हेक्टेयर में खनन किया गया।

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कोरबा, कोल इंडिया के अधीन एसईसीएल द्वारा संचालित गेवरा कोयला परियोजना में कोयला खनन को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। कुसमुंडा खदान से लीज क्षेत्र के बाहर खनन किए जाने के मामले में अब छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल भी जांच करेगा। पर्यावरण विभाग ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी को जांच के निर्देश दिए हैं। मामला तब सामने आया जब खनिज विभाग ने पहले से ही जांच शुरू की और अब तक एसईसीएल पर 1115 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया जा चुका है। एसईसीएल के कुसमुंडा खदान को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से लीज क्षेत्र में कोयला खनन की मंजूरी तो प्राप्त है, लेकिन 2006 के पहले और वर्तमान में लीज क्षेत्र के बाहर खनन करने की शिकायतें मिली हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट लक्ष्मी चौहान ने इस मामले में माइनिंग विभाग और पर्यावरण संरक्षण मंडल में शिकायत की है। उनका आरोप है कि एसईसीएल ने खुद ही स्वीकार किया है कि उसने तय सीमा से अधिक भूमि में खनन किया है। 2006 में 1673 हेक्टेयर में से 750 हेक्टेयर में खनन की अनुमति थी, लेकिन 950 हेक्टेयर अधिक जमीन में खनन किया गया। इसी तरह 2009 में 2536 हेक्टेयर में से 1666 हेक्टेयर में खनन की अनुमति थी, लेकिन 2666 हेक्टेयर में खनन किया गया।
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