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‘मर्द’ को भी होता है ‘दर्द’… भारत में सुसाइड करने वाले 10 में से 7 पुरुष, हर साढ़े 4 मिनट में एक मर्द कर रहा आत्महत्या –

बेंगलुरु की एक कंपनी में बतौर AI इंजीनियर काम कर रहे अतुल सुभाष मोदी की आत्महत्या ने एक बार फिर ये बहस छेड़ दी है कि दुनिया में पुरुषों में आत्महत्या के मामले क्यों लगातार बढ़ रहे हैं। पुरुष शारीरिक और मानसिक रूप से महिलाओं की अपेक्षा मजबूत होता है। बावजूद इसके मर्दों में सुसाइड के मामले क्यों बढ़ रहे हैं। ताजा मामला अतुल सुभाष मोदी का है। सुसाइड से पहले उन्होंने तकरीबन 1 घंटा 20 मिनट का वीडियो भी पोस्ट किया है। साथ ही 24 पन्नों का सुसाइड नोट भी लिखा है। इसमें उन्होंने पत्नी निकिता सिंघानिया और उसके परिवार वालों को अपनी मौत का जिम्मेदार बताया है। तो चलिए जानने की कोशिश करते हैं कि पुरुषों में सुसाइड के मामले क्यों बढ़ रहे हैं। साथ ही ‘मर्द’ को दर्द नहीं होता (men don’t feel pain)… वाली कहावत अब ‘मर्द’ को भी ‘दर्द’ होता है ( Men also feel pain).. में तब्दील हो गया है।

एनसीआरबी (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक भारत में सुसाइड करने वाले 10 में से 7 पुरुष होते हैं। वर्ष 2022 में 1.70 लाख से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की थी, जिनमें से 1.22 लाख से ज्यादा पुरुष थे। यानी हर दिन औसतन 336 पुरुष आत्महत्या कर लेते हैं। इस हिसाब से हर साढ़े 4 मिनट में एक पुरुष सुसाइड कर रहा है।

एनसीआरबी (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक आत्महत्या करने वालों में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की संख्या कहीं ज्यादा है। पिछले दो दशकों के आंकड़े बताते हैं कि भारत में सुसाइड करने वाले हर 10 में से 6 या 7 पुरुष होते हैं। 2001 से 2022 के दौरान हर साल आत्महत्या करने वाली महिलाओं की संख्या 40 से 48 हजार के बीच रही। इसी दौरान सुसाइड करने वाले पुरुषों की संख्या 66 हजार से बढ़कर 1 लाख के पार हो गई।

30 से 45 साल की उम्र के लोग ज्यादा आत्महत्या करते हैं

एनसीआरबी की 2022 की रिपोर्ट बताती है कि 30 से 45 साल की उम्र के लोग ज्यादा आत्महत्या करते आते हैं। इसके बाद 18 से 30 और फिर 45 से 60 साल की उम्र के लोगों में सुसाइड के मामले ज्यादा सामने आते हैं। पिछले साल 30 से 45 साल की उम्र के 54,351 लोगों ने आत्महत्या की थी। इनमें से लगभग 77 फीसदी पुरुष थे। इसी तरह 18 से 30 साल की उम्र के 59,108 लोगों ने सुसाइड की, जिनमें से 65 फीसदी पुरुष थे। वहीं, 45 से 60 साल की उम्र के आत्महत्या करने वाले 31,921 लोगों में से 82 फीसदी से ज्यादा पुरुष शामिल थे।

आत्महत्या करने वाले ज्यादातर शादीशुदा

एनसीआरबी (NCRB) रिपोर्ट ये भी बताती है कि आत्महत्या करने वाले ज्यादातर लोग शादीशुदा होते हैं। पिछले साल 1,14,485 शादीशुदा लोगों ने सुसाइड की। इनमें करीब 74 फीसदी पुरुष थे।

दुनियाभर में हर साल 7 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या कर रहे

वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल 7 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या कर लेते हैं। अकेले भारत में साल दर साल आत्महत्या करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। WHO के मुताबिक, दुनिया में हर एक लाख मर्दों में से 12.6 सुसाइड करके अपनी जान दे देते हैं। वहीं, हर एक लाख महिलाओं में ये दर 5.4 की है। एनसीआरबी की 2022 की रिपोर्ट बताती है कि 30 से 45 साल की उम्र के लोग ज्यादा आत्महत्या करते आते हैं। इसके बाद 18 से 30 और फिर 45 से 60 साल की उम्र के लोगों में सुसाइड के मामले ज्यादा सामने आते हैं।

सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के आंकड़े बताते हैं कि पुरुष ज्यादा आत्महत्या करते हैं। WHO के मुताबिक, दुनिया में हर एक लाख मर्दों में से 12.6 सुसाइड करके अपनी जान दे देते हैं। वहीं, हर एक लाख महिलाओं में ये दर 5.4 की है।

पर मर्द क्यों करते हैं ज्यादा आत्महत्या?

2011 में एक रिसर्च हुई थी, इसमें ये पता लगाने की कोशिश की गई थी कि आखिर महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा सुसाइड क्यों करते हैं? इस रिसर्च में सामने आया था कि समाज में पुरुषों को अक्सर ताकतवर और मजबूत समझा जाता है और इस वजह से वो अपने डिप्रेशन या सुसाइल फीलिंग को दूसरे से साझा नहीं कर पाते और आखिर में थक-हारकर आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं।

2003 में भी एक मर्दों में सुसाइड को लेकर यूरोप में स्टडी हुई थी। इस स्टडी में बताया गया था कि बेरोजगारी के समय मर्दों के सुसाइड करने का रिस्क बढ़ जाता है, क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि समाज और परिवार को जो उनसे उम्मीद है, उस पर वो खरे नहीं उतर पा रहे हैंष इन सबके अलावा पुरुषों में सुसाइड की एक वजह शराब और ड्रग्स की लत को भी माना जाता है, क्योंकि नशा सुसाइडल टेंडेंसी को बढ़ाता है।

फिर उठी पुरुष आयोग बनाने की मांग

भारत में घरेलू हिंसा और महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा के खिलाफ सख्त कानून बनाए गए हैं। मगर पुरुषों पर हो रहे अत्याचारों की अनदेखी इतनी ज्यादा है कि वह न तो समाज को और न ही कानून को दिखलाई पड़ती है। बेंगलुरु के एक होनहार AI इंजीनियर, अतुल सुभाष की खुदकुशी के बाद भारत में एक बार फिर से पुरुष आयोग बनाने की मांग उठने लगी है।

2018 में ही यूपी में भारतीय जनता पार्टी के कुछ सांसदों ने यह मांग उठाई थी कि राष्ट्रीय महिला आयोग की तर्ज पर राष्ट्रीय पुरुश आयोग जैसी भी एक संवैधानिक संस्था बननी चाहिए। इन सांसदों ने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था। पत्र लिखने वाले एक सांसद हरिनारायण राजभर ने उस वक्त यह दावा किया था कि पत्नी प्रताड़ित कई पुरुष जेलों में बंद हैं, लेकिन कानून के एकतरफा रुख और समाज में हंसी के डर से वे खुद के ऊपर होने वाले घरेलू अत्याचारों के खिलाफ आवाज नहीं उठा रहे हैं।

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बेंगलुरु की एक कंपनी में बतौर AI इंजीनियर काम कर रहे अतुल सुभाष मोदी की आत्महत्या ने एक बार फिर ये बहस छेड़ दी है कि दुनिया में पुरुषों में आत्महत्या के मामले क्यों लगातार बढ़ रहे हैं। पुरुष शारीरिक और मानसिक रूप से महिलाओं की अपेक्षा मजबूत होता है। बावजूद इसके मर्दों में सुसाइड के मामले क्यों बढ़ रहे हैं। ताजा मामला अतुल सुभाष मोदी का है। सुसाइड से पहले उन्होंने तकरीबन 1 घंटा 20 मिनट का वीडियो भी पोस्ट किया है। साथ ही 24 पन्नों का सुसाइड नोट भी लिखा है। इसमें उन्होंने पत्नी निकिता सिंघानिया और उसके परिवार वालों को अपनी मौत का जिम्मेदार बताया है। तो चलिए जानने की कोशिश करते हैं कि पुरुषों में सुसाइड के मामले क्यों बढ़ रहे हैं। साथ ही ‘मर्द’ को दर्द नहीं होता (men don’t feel pain)… वाली कहावत अब ‘मर्द’ को भी ‘दर्द’ होता है ( Men also feel pain).. में तब्दील हो गया है।

एनसीआरबी (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक भारत में सुसाइड करने वाले 10 में से 7 पुरुष होते हैं। वर्ष 2022 में 1.70 लाख से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की थी, जिनमें से 1.22 लाख से ज्यादा पुरुष थे। यानी हर दिन औसतन 336 पुरुष आत्महत्या कर लेते हैं। इस हिसाब से हर साढ़े 4 मिनट में एक पुरुष सुसाइड कर रहा है। एनसीआरबी (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक आत्महत्या करने वालों में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की संख्या कहीं ज्यादा है। पिछले दो दशकों के आंकड़े बताते हैं कि भारत में सुसाइड करने वाले हर 10 में से 6 या 7 पुरुष होते हैं। 2001 से 2022 के दौरान हर साल आत्महत्या करने वाली महिलाओं की संख्या 40 से 48 हजार के बीच रही। इसी दौरान सुसाइड करने वाले पुरुषों की संख्या 66 हजार से बढ़कर 1 लाख के पार हो गई। 30 से 45 साल की उम्र के लोग ज्यादा आत्महत्या करते हैं एनसीआरबी की 2022 की रिपोर्ट बताती है कि 30 से 45 साल की उम्र के लोग ज्यादा आत्महत्या करते आते हैं। इसके बाद 18 से 30 और फिर 45 से 60 साल की उम्र के लोगों में सुसाइड के मामले ज्यादा सामने आते हैं। पिछले साल 30 से 45 साल की उम्र के 54,351 लोगों ने आत्महत्या की थी। इनमें से लगभग 77 फीसदी पुरुष थे। इसी तरह 18 से 30 साल की उम्र के 59,108 लोगों ने सुसाइड की, जिनमें से 65 फीसदी पुरुष थे। वहीं, 45 से 60 साल की उम्र के आत्महत्या करने वाले 31,921 लोगों में से 82 फीसदी से ज्यादा पुरुष शामिल थे। आत्महत्या करने वाले ज्यादातर शादीशुदा एनसीआरबी (NCRB) रिपोर्ट ये भी बताती है कि आत्महत्या करने वाले ज्यादातर लोग शादीशुदा होते हैं। पिछले साल 1,14,485 शादीशुदा लोगों ने सुसाइड की। इनमें करीब 74 फीसदी पुरुष थे। दुनियाभर में हर साल 7 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या कर रहे वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल 7 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या कर लेते हैं। अकेले भारत में साल दर साल आत्महत्या करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। WHO के मुताबिक, दुनिया में हर एक लाख मर्दों में से 12.6 सुसाइड करके अपनी जान दे देते हैं। वहीं, हर एक लाख महिलाओं में ये दर 5.4 की है। एनसीआरबी की 2022 की रिपोर्ट बताती है कि 30 से 45 साल की उम्र के लोग ज्यादा आत्महत्या करते आते हैं। इसके बाद 18 से 30 और फिर 45 से 60 साल की उम्र के लोगों में सुसाइड के मामले ज्यादा सामने आते हैं। सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के आंकड़े बताते हैं कि पुरुष ज्यादा आत्महत्या करते हैं। WHO के मुताबिक, दुनिया में हर एक लाख मर्दों में से 12.6 सुसाइड करके अपनी जान दे देते हैं। वहीं, हर एक लाख महिलाओं में ये दर 5.4 की है। पर मर्द क्यों करते हैं ज्यादा आत्महत्या? 2011 में एक रिसर्च हुई थी, इसमें ये पता लगाने की कोशिश की गई थी कि आखिर महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा सुसाइड क्यों करते हैं? इस रिसर्च में सामने आया था कि समाज में पुरुषों को अक्सर ताकतवर और मजबूत समझा जाता है और इस वजह से वो अपने डिप्रेशन या सुसाइल फीलिंग को दूसरे से साझा नहीं कर पाते और आखिर में थक-हारकर आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। 2003 में भी एक मर्दों में सुसाइड को लेकर यूरोप में स्टडी हुई थी। इस स्टडी में बताया गया था कि बेरोजगारी के समय मर्दों के सुसाइड करने का रिस्क बढ़ जाता है, क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि समाज और परिवार को जो उनसे उम्मीद है, उस पर वो खरे नहीं उतर पा रहे हैंष इन सबके अलावा पुरुषों में सुसाइड की एक वजह शराब और ड्रग्स की लत को भी माना जाता है, क्योंकि नशा सुसाइडल टेंडेंसी को बढ़ाता है। फिर उठी पुरुष आयोग बनाने की मांग भारत में घरेलू हिंसा और महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा के खिलाफ सख्त कानून बनाए गए हैं। मगर पुरुषों पर हो रहे अत्याचारों की अनदेखी इतनी ज्यादा है कि वह न तो समाज को और न ही कानून को दिखलाई पड़ती है। बेंगलुरु के एक होनहार AI इंजीनियर, अतुल सुभाष की खुदकुशी के बाद भारत में एक बार फिर से पुरुष आयोग बनाने की मांग उठने लगी है। 2018 में ही यूपी में भारतीय जनता पार्टी के कुछ सांसदों ने यह मांग उठाई थी कि राष्ट्रीय महिला आयोग की तर्ज पर राष्ट्रीय पुरुश आयोग जैसी भी एक संवैधानिक संस्था बननी चाहिए। इन सांसदों ने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था। पत्र लिखने वाले एक सांसद हरिनारायण राजभर ने उस वक्त यह दावा किया था कि पत्नी प्रताड़ित कई पुरुष जेलों में बंद हैं, लेकिन कानून के एकतरफा रुख और समाज में हंसी के डर से वे खुद के ऊपर होने वाले घरेलू अत्याचारों के खिलाफ आवाज नहीं उठा रहे हैं।
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