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2 दशक पुरानी दुश्मनी का दोहराया इतिहास , जोगी और जूदेव की सियासी दुश्मनी का शुरू हुआ पार्ट-2 , अब दूसरी पीढ़ी ने उठाई …

रायपुर,

जोगी और जूदेव 2 दशक बाद फिर से आमने-सामने आ गए है। जूदेव के प्रबल विरोधी रहे प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे व पूर्व विधायक अमित जोगी ने धर्मान्तरण को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर चल रही राजनीति के बीच घरवापसी के नायक “जूदेव” को लेकर बड़ा बयान सोशल मीडिया में पोस्ट किया है। जोगी ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट के वाल पर पोस्ट करते हुए स्व दिलीप सिंह जूदेव की घरवापसी अभियान को राजनीति लाभ के लिए संचालित होने वाला अभियान बता दिया। इतना ही उन्होंने यह भी लिखा है हिंदुत्व  इनके कमाई का जरिया हो सकता है आत्मविश्वास का नहीं। 

अपने लंबे चौड़े लेख में उन्होंने स्व दिलीप सिंह जूदेव और प्रबल प्रताप जूदेव के नामो का उल्लेख करते हुए लिखा है कि हिंदुत्व की पैरवी करने वाले स्व जूदेव और प्रबल प्रताप जूदेब दोनो ईसाई स्कूल में पढ़े और इनके द्वारा ईसाईयत का विरोध किया जाता है। उन्होंने स्वयं को सनातनी बताते हुए लिखा कि उनकी माँ रेणु जोगी और वह स्वयं ईसाई कॉलेज से पढ़े लेकिन घरवापसी जैसी भद्दी राजनीति से बचते रहे ।

अमित जोगी के इस पोस्ट पर प्रबल प्रताप जूदेव ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। प्रबल ने अमित के पोस्ट का जवाब देते हुए लिखा है कि “अमित जोगी महोदय इतिहास साक्षी है अंग्रेज जिस मानसिकता के साथ भारत आये थे भारतीय शासकों को अगर मालूम होता कि वो पीठ पर छुरा घोपेंगे तो कदापि उन्हें भारत में व्यवसाय करने की इजाज़त नहीं मिलती और भारत देश क्रिश्चियनिटी से अछूता रहता। सेवा के बदले सौदा वाला चरित्र अब उजागर हो गया है बावजूद इसके हम सहिष्णु हैं और उन्हीं को घर वापस लाते हैं जो धर्मांतरित होकर ठगी के शिकार हुये हैं, हम धर्मांतरण नहीं करवाते।

अपने को किस मुंह से सनातनी कहते हो। जब अपने ही सनातनी भाई जो ठगे गये उनको अपनाने से परहेज है ये तो कमाल है ! मेरे पिताजी ने पैर पखारकर उनका स्वागत किया तो परेशानी है। कैसे सनातनी हो भाई अगर जरा सा भी पूर्वजों के प्रति सम्मान हो तो आओ घरवापसी में शामिल हो जाओ पुरखे आशीर्वाद देंगे तुम्हें। ईश्वर करे मेरा संदेह गलत हो पर अपने से पूछना जरूर कि कहीं आप भी क्रिप्टो क्रिस्टिनियटी वाली भूमिका में तो नहीं हो अगर हो तो खुलकर आओ भाई शर्म कैसा !”

स्व अजीत जोगी और स्व दिलीप सिंह जूदेव की सियासी दुश्मनी से हर वो व्यक्ति वाकिफ है जो राजनीति से ताल्लुक रखता है। जोगी की सरकार का तख्ता पलट करने और जूदेव ने अपनी मूछों को दांव पर लगाया था। 2003 में जोगी सरकार का तख्ता पलटने से स्व दिलीप सिंह जूदेव की अहम भूमिका थी। 2003 में पटखनी खाने के बाद काँग्रेस पूरे 15 वर्षो तक प्रदेश की सत्ता से बाहर रही।

हांलाकि अब न तो अजीत जोगी रहे न दिलीप सिंह जूदेव इसलिए धीरे धीरे दो सियासी घरानों के इतिहास धुंधले होने लगे लगे थे लेकिन अमित जोगी के ताजे बयान और इस बयान पर प्रबल की त्वरित और तीखी प्रतिक्रिया के बाद इनके बीच अदावत के रंग फिर से गहरे हो गए हैं।

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रायपुर, जोगी और जूदेव 2 दशक बाद फिर से आमने-सामने आ गए है। जूदेव के प्रबल विरोधी रहे प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे व पूर्व विधायक अमित जोगी ने धर्मान्तरण को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर चल रही राजनीति के बीच घरवापसी के नायक "जूदेव" को लेकर बड़ा बयान सोशल मीडिया में पोस्ट किया है। जोगी ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट के वाल पर पोस्ट करते हुए स्व दिलीप सिंह जूदेव की घरवापसी अभियान को राजनीति लाभ के लिए संचालित होने वाला अभियान बता दिया। इतना ही उन्होंने यह भी लिखा है हिंदुत्व  इनके कमाई का जरिया हो सकता है आत्मविश्वास का नहीं।  अपने लंबे चौड़े लेख में उन्होंने स्व दिलीप सिंह जूदेव और प्रबल प्रताप जूदेव के नामो का उल्लेख करते हुए लिखा है कि हिंदुत्व की पैरवी करने वाले स्व जूदेव और प्रबल प्रताप जूदेब दोनो ईसाई स्कूल में पढ़े और इनके द्वारा ईसाईयत का विरोध किया जाता है। उन्होंने स्वयं को सनातनी बताते हुए लिखा कि उनकी माँ रेणु जोगी और वह स्वयं ईसाई कॉलेज से पढ़े लेकिन घरवापसी जैसी भद्दी राजनीति से बचते रहे । अमित जोगी के इस पोस्ट पर प्रबल प्रताप जूदेव ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। प्रबल ने अमित के पोस्ट का जवाब देते हुए लिखा है कि "अमित जोगी महोदय इतिहास साक्षी है अंग्रेज जिस मानसिकता के साथ भारत आये थे भारतीय शासकों को अगर मालूम होता कि वो पीठ पर छुरा घोपेंगे तो कदापि उन्हें भारत में व्यवसाय करने की इजाज़त नहीं मिलती और भारत देश क्रिश्चियनिटी से अछूता रहता। सेवा के बदले सौदा वाला चरित्र अब उजागर हो गया है बावजूद इसके हम सहिष्णु हैं और उन्हीं को घर वापस लाते हैं जो धर्मांतरित होकर ठगी के शिकार हुये हैं, हम धर्मांतरण नहीं करवाते। अपने को किस मुंह से सनातनी कहते हो। जब अपने ही सनातनी भाई जो ठगे गये उनको अपनाने से परहेज है ये तो कमाल है ! मेरे पिताजी ने पैर पखारकर उनका स्वागत किया तो परेशानी है। कैसे सनातनी हो भाई अगर जरा सा भी पूर्वजों के प्रति सम्मान हो तो आओ घरवापसी में शामिल हो जाओ पुरखे आशीर्वाद देंगे तुम्हें। ईश्वर करे मेरा संदेह गलत हो पर अपने से पूछना जरूर कि कहीं आप भी क्रिप्टो क्रिस्टिनियटी वाली भूमिका में तो नहीं हो अगर हो तो खुलकर आओ भाई शर्म कैसा !" स्व अजीत जोगी और स्व दिलीप सिंह जूदेव की सियासी दुश्मनी से हर वो व्यक्ति वाकिफ है जो राजनीति से ताल्लुक रखता है। जोगी की सरकार का तख्ता पलट करने और जूदेव ने अपनी मूछों को दांव पर लगाया था। 2003 में जोगी सरकार का तख्ता पलटने से स्व दिलीप सिंह जूदेव की अहम भूमिका थी। 2003 में पटखनी खाने के बाद काँग्रेस पूरे 15 वर्षो तक प्रदेश की सत्ता से बाहर रही। हांलाकि अब न तो अजीत जोगी रहे न दिलीप सिंह जूदेव इसलिए धीरे धीरे दो सियासी घरानों के इतिहास धुंधले होने लगे लगे थे लेकिन अमित जोगी के ताजे बयान और इस बयान पर प्रबल की त्वरित और तीखी प्रतिक्रिया के बाद इनके बीच अदावत के रंग फिर से गहरे हो गए हैं।
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