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भाजी महोत्सव को लेकर किसानों में दिख रहा उत्साह का माहौल, किसान स्कूल में 10 दिसम्बर को आयोजित होगा राज्य स्तरीय भाजी महोत्सव. कलेक्टर समेत अन्य अफसर होंगे शामिल….


बहेराडीह,

सालों पहले छत्तीसगढ़ की 36 भाजियों के सरंक्षण और संवर्धन की दिशा में काम कर रहे युवा कृषक द्वारा प्रदेश के प्रगतिशील किसानों के सहयोग से वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह में 10 दिसम्बर को राज्य स्तरीय भाजी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव में जांजगीर-चाम्पा के अलावा गरियाबंद , बलौदाबाजार, धमतरी, बिलासपुर, सरगुजा, सक्ती, कोरबा समेत अन्य जिले के प्रगतिशील किसान शामिल होंगे। जिले में पहली बार आयोजित होने वाले राज्य स्तरीय भाजी महोत्सव को लेकर प्रदेश के किसानों में इस समय व्यापक उत्साह का माहौल दिख रहा है।

किसान स्कूल के संचालक दीनदयाल यादव और संरक्षक समाजसेवी डॉ. सुरेश कुमार देवांगन ने बताया कि मंगलवार 10 दिसंबर को वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह में सुबह 10 बजे से अपरान्ह 12 बजे तक राज्य स्तरीय भाजी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव में प्रदेश के किसान एक टोकरी में विविध प्रकार की भाजियों को लेकर प्रदर्शनी कार्यक्रम में शामिल होंगे और किसान स्कूल परिवार के द्वारा उन किसानों को सहभागिता प्रमाण पत्र के साथ उनका सम्मान किया जायेगा। किसान स्कूल परिवार ने प्रदेश के किसानों को राज्य स्तरीय भाजी महोत्सव कार्यक्रम में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होने का आग्रह किया है। इस महोत्सव में कलेक्टर आकाश छिकारा, आईएएस दुर्गा प्रसाद अधिकारी, उद्यान विभाग की सहायक संचालक रंजना मखीजा व अन्य अधिकारी शामिल होंगे।

भाजियों का सीजन होता है दिसंबर का महीना
छत्तीसगढ़ की 36 भाजियों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में सालों पहले से काम कर रहे अनुसंधानकर्ता दीनदयाल यादव ने बताया कि दिसंबर का महीना भाजियों का सीजन होता है। इस समय किसानो के खेतों और बाड़ी पर लालभाजी, करेला भाजी, पोई भाजी, मुढ़ी भाजी, पहुना भाजी, नोनिया भाजी, पालक भाजी, बर्रे भाजी, सरसों भाजी, कांदा भाजी, मुरई भाजी, गोभी भाजी, चौलाई भाजी, रोपा भाजी, करमता भाजी, सुनसुनिया भाजी, मखना भाजी, मुनगा भाजी, मेथी भाजी, तिवरा भाजी, अकरी भाजी, भथुआ भाजी, चना भाजी, चनौरी भाजी, चेच भाजी, पटुआ भाजी, अमारी भाजी आदि भाजियों की फसल लहलहा रही है।

पौष्टिकता का खजाना है भाजी
मनुष्य के भोजन में भाजी का अपना एक अलग ही महत्व होता है। वैसे भाजियों को पौष्टिकता का खजाना कहा जाता है। मनुष्य के शरीर में खून की कमी को दूर करने के साथ साथ पाचन क्रिया को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इतना ही नहीं, बल्कि भाजियों में कई तरह की औषधीय गुण भी विद्यमान होती है, जो शरीर के लिए आवश्यक होता है। भाजियों को लेकर सालों से शोध कार्य कर रहे युवा किसान दीनदयाल यादव ने बताया कि कई भाजी ऐसे होती है, जो सालभर में सिर्फ और सिर्फ एक बार ही मिलती है, जिसमें भाजियों का राजा कहे जाने वाले बोहार भाजी, कोइलार भाजी, कुरमा भाजी, पीपर भाजी, मुसकेनी भाजी, चरोटा भाजी, केना भाजी, खुंजियारी भाजी, मुढ़ी भाजी, चना भाजी, चनोरी भाजी, बर्रे भाजी, तिवरा भाजी, अकरी भाजी, गोंदली भाजी, पटुआ भाजी, भथुआ भाजी आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं।

किसान स्कूल की देश-दुनिया में बनी बड़ी पहचान
देश के पहले किसान स्कूल वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह की देश-दुनिया मे बन गई है. यहां आए दिन छ.ग. के अलावा देश-दुनिया के लोग आते हैं और नवाचार को देखकर तारीफ करते हैं. किसान स्कूल में साढ़े 6 फ़ीट का धनिया, केले के रेशे और अलसी डंठल के रेशे के कपड़े-जैकेट, पुरानी सामग्री के संग्रहैलय धरोहर, बीज संरक्षण केंद्र, 36 भाजी, पारम्परिक सेल्फी जोन समेत बागवानी इकाई समेत कई विशेष चीजें है, जिसे देखकर सराहना की जाती है.

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बहेराडीह, सालों पहले छत्तीसगढ़ की 36 भाजियों के सरंक्षण और संवर्धन की दिशा में काम कर रहे युवा कृषक द्वारा प्रदेश के प्रगतिशील किसानों के सहयोग से वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह में 10 दिसम्बर को राज्य स्तरीय भाजी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव में जांजगीर-चाम्पा के अलावा गरियाबंद , बलौदाबाजार, धमतरी, बिलासपुर, सरगुजा, सक्ती, कोरबा समेत अन्य जिले के प्रगतिशील किसान शामिल होंगे। जिले में पहली बार आयोजित होने वाले राज्य स्तरीय भाजी महोत्सव को लेकर प्रदेश के किसानों में इस समय व्यापक उत्साह का माहौल दिख रहा है। किसान स्कूल के संचालक दीनदयाल यादव और संरक्षक समाजसेवी डॉ. सुरेश कुमार देवांगन ने बताया कि मंगलवार 10 दिसंबर को वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह में सुबह 10 बजे से अपरान्ह 12 बजे तक राज्य स्तरीय भाजी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव में प्रदेश के किसान एक टोकरी में विविध प्रकार की भाजियों को लेकर प्रदर्शनी कार्यक्रम में शामिल होंगे और किसान स्कूल परिवार के द्वारा उन किसानों को सहभागिता प्रमाण पत्र के साथ उनका सम्मान किया जायेगा। किसान स्कूल परिवार ने प्रदेश के किसानों को राज्य स्तरीय भाजी महोत्सव कार्यक्रम में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होने का आग्रह किया है। इस महोत्सव में कलेक्टर आकाश छिकारा, आईएएस दुर्गा प्रसाद अधिकारी, उद्यान विभाग की सहायक संचालक रंजना मखीजा व अन्य अधिकारी शामिल होंगे। भाजियों का सीजन होता है दिसंबर का महीना छत्तीसगढ़ की 36 भाजियों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में सालों पहले से काम कर रहे अनुसंधानकर्ता दीनदयाल यादव ने बताया कि दिसंबर का महीना भाजियों का सीजन होता है। इस समय किसानो के खेतों और बाड़ी पर लालभाजी, करेला भाजी, पोई भाजी, मुढ़ी भाजी, पहुना भाजी, नोनिया भाजी, पालक भाजी, बर्रे भाजी, सरसों भाजी, कांदा भाजी, मुरई भाजी, गोभी भाजी, चौलाई भाजी, रोपा भाजी, करमता भाजी, सुनसुनिया भाजी, मखना भाजी, मुनगा भाजी, मेथी भाजी, तिवरा भाजी, अकरी भाजी, भथुआ भाजी, चना भाजी, चनौरी भाजी, चेच भाजी, पटुआ भाजी, अमारी भाजी आदि भाजियों की फसल लहलहा रही है। पौष्टिकता का खजाना है भाजी मनुष्य के भोजन में भाजी का अपना एक अलग ही महत्व होता है। वैसे भाजियों को पौष्टिकता का खजाना कहा जाता है। मनुष्य के शरीर में खून की कमी को दूर करने के साथ साथ पाचन क्रिया को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इतना ही नहीं, बल्कि भाजियों में कई तरह की औषधीय गुण भी विद्यमान होती है, जो शरीर के लिए आवश्यक होता है। भाजियों को लेकर सालों से शोध कार्य कर रहे युवा किसान दीनदयाल यादव ने बताया कि कई भाजी ऐसे होती है, जो सालभर में सिर्फ और सिर्फ एक बार ही मिलती है, जिसमें भाजियों का राजा कहे जाने वाले बोहार भाजी, कोइलार भाजी, कुरमा भाजी, पीपर भाजी, मुसकेनी भाजी, चरोटा भाजी, केना भाजी, खुंजियारी भाजी, मुढ़ी भाजी, चना भाजी, चनोरी भाजी, बर्रे भाजी, तिवरा भाजी, अकरी भाजी, गोंदली भाजी, पटुआ भाजी, भथुआ भाजी आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं। किसान स्कूल की देश-दुनिया में बनी बड़ी पहचान देश के पहले किसान स्कूल वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह की देश-दुनिया मे बन गई है. यहां आए दिन छ.ग. के अलावा देश-दुनिया के लोग आते हैं और नवाचार को देखकर तारीफ करते हैं. किसान स्कूल में साढ़े 6 फ़ीट का धनिया, केले के रेशे और अलसी डंठल के रेशे के कपड़े-जैकेट, पुरानी सामग्री के संग्रहैलय धरोहर, बीज संरक्षण केंद्र, 36 भाजी, पारम्परिक सेल्फी जोन समेत बागवानी इकाई समेत कई विशेष चीजें है, जिसे देखकर सराहना की जाती है.
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