देश के दो राज्य- महाराष्ट्र और झारखंड। दोनों राज्य़ों में एक साथ चुनाव हुए और एक साथ ही 23 नवंबर को दोनों राज्यों में चुनाव परिणाम आए। महाराष्ट्र में, जहां बीजेपी नेतृत्व वाली महायुति गठबंधन ने एक तरफा जीत हासिल करते हुए 288 में से 232 सीटों पर विजय प्राप्त की। वहीं दूसरी तरफ झारखंड में जेएमएम (JMM) नेतृत्व वाली इंडिया अलांयस ने भारी बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता में आई। इंडिया अलांयस ने राज्य की 81 में से 56 सीटों पर जीत हासिल की। हालांकि चुनाव परिणाम आए हुए 10 दिन हो चुके हैं लेकिन दोनों ही राज्यों में मंत्रिमंडल अभी तक ऑपरेट नहीं हो पाया है। इतना जरूर है कि झारखंड में सीएम हेमंत सोरेन ने शपथ ले ली है। वहीं महाराष्ट्र में सीएम चेहरे पर अभी भी संशय है। दोनों ही राज्यों में इसके पीछे का कारण एक ही है- गठबंधन की पार्टियों के बीच मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या और विभागों के बंटवारे पर एक राय नहीं बन पाना।
महाराष्ट्र में सरकार पर जारी सस्पेंस के बीच झारखंड में इंडिया गठबंधन को मिली प्रचंड जीत मुसीबत बन गई है। 28 नवंबर को रांची के मोरहाबादी मैदान में भव्य शपथ ग्रहण समारोह में झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन ने शपथ ली। शपथ ग्रहण के चार दिन बीत जाने के बावजूद अब तक हेमंत सोरेन सरकार के कैबिनेट का विस्तार नहीं हो सका है।
हालांकि कैबिनेट के विस्तार को लेकर शपथ ग्रहण के बाद मीडिया से बात करते हुए जहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि अगले 1 से 2 दिनों में कैबिनेट का विस्तार हो जाएगा। लेकिन उनका यह दावा फेल हो गया है। राजनीति के जानकारों की माने तो अधिक संख्या में विधायकों का जीतना ही मंत्रिमंडल विस्तार में एक बड़ी रुकावट बन गई है। हालांकि जेएमएम का दावा है कि 9 दिसंबर से शुरू होने वाले झारखंड विधानसभा के सत्र से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाएगा।
कांग्रेस और आरजेडी पुराने फॉर्मूले पर मांग रहे मंत्रिमंडल में स्थान
इंडिया गठबंधन में शामिल दल कांग्रेस और आरजेडी पुराने फॉर्मूले को ही दोहराना चाह रहे हैं। साल 2019 में चार विधायक पर एक मंत्री पद दिया गया था। हालांकि इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा विधायकों की बढ़ी हुई संख्या को देखते हुए पांच विधायकों पर एक मंत्री वाले फॉर्मूले को सेट कर कैबिनेट विस्तार चाहता है। इस पेंच को भी मंत्रिमंडल विस्तार में देरी का एक बड़ा प्रमुख कारण माना जा रहा है।
कांग्रेस और आरजेडी में चल रही लॉबिंग
चर्चा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा में कैबिनेट को लेकर लगभग फॉर्मूला पार्टी के अंदर सेट हो गया है कि कौन से विधायक को मंत्री बनाना है, जबकि उसकी सहयोगी पार्टी कांग्रेस और आरजेडी में मंत्री बनने वाले विधायकों में जमकर लॉबिंग चल रही है। कांग्रेस के कई विधायक और प्रदेश अध्यक्ष दिल्ली में कैबिनेट के मसले को समझने के लिए सिर्फ नेतृत्व के समक्ष अपनी-अपनी बातों को रख रहे हैं। आरजेडी की राजनीति पटना शिफ्ट हो गई है, पार्टी सुप्रीमो लालू यादव के निर्देश का इंतजार हो रहा है। हालांकि यह कहा जा रहा है कि 9 दिसंबर से शुरू होने वाले झारखंड विधानसभा के सत्र से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाएगा, लेकिन पेंच कहां फंस रहा है इस पर किसी भी दल की ओर से स्पष्ट रूप से जवाब नहीं दिया जा रहा है।
जेएमएम की ये है दलील
कैबिनेट के विस्तार में हो रही देरी के सवाल पर जेएमएम के प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा की जल्द ही मंत्रिमंडल का गठन हो जाएगा। इस बार की कैबिनेट में नए जोश यानी नए चेहरों के साथ-साथ पुराने और अनुभवी चेहरों को भी रखा जाएगा। इसके साथ ही झारखंड के सभी प्रमंडल, सभी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व, सभी वर्गों कोई जगह देने के साथ-साथ नारी शक्ति को भी प्रमुखता से कैबिनेट में जगह दी जाएगी। 9 दिसंबर से शुरू होने वाले झारखंड विधानसभा के सत्र से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाएगा।