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नगरी निकाय चुनाव को लेकर साय सरकार का बड़ा फैसला , कैबिनेट की बैठक में लिए गए कई अहम निर्णय

रायपुर,

​कैबिनेट की बैठक में सीएम विष्णुदेव साय ने बड़ा फैसला लिया है। इसके अनुसार नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायतों यानी नगरीय निकायों में महापौर का चुनाव भी सीधे आम लोगों की वोटिंग से होगा। सीएम साय की अध्यक्षता में मंत्रालय में करीब दो घंटे चली केबिनेट की बैठक में ओबीसी को मिलाकर आरक्षण की अपर लिमिट भी 50 प्रतिशत तय कर दी गई है।

साय सरकार ने पांच साल पहले भूपेश सरकार की उस नीति को बदल दिया है, जिसमें महापौर का चुनाव पार्षदों के बीच किया गया था। छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के गठन के बाद से ही चर्चा थी कि महापौर चुनाव पार्षदों के बीच न करवाकर सीधे जनता के बीच होगा। पूर्ववर्ती रमन सरकार के समय में सभी नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायतों में महापौर के लिए चुनाव डायरेक्ट ही होता था।

साय केबिनेट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए ओबीसी आरक्षण पर भी अहम फैसला लिया है। पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की अनुशंसा के आधार पर ओबीसी के लिए 25 प्रतिशत की एकमुश्त सीमा को शिथिल कर दिया गया है। आयोग ने अनुशंसा की है कि ओबीसी को मिलाकर अधिकतम आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। साय केबिनेट ने पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की अनुशंसा और प्रतिवेदन के आधार पर इस फैसले का अनुमोदन कर दिया है। अर्थात और नगरीय और पंचायत, दोनों ही चुनावों का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है।

ये फैसले भी लिए गए

-छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम, 1993 के अंतर्गत त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधित्व एवं आरक्षण संबंधी प्रावधानों में संशोधन किए जाने के विभिन्न धाराओं में संशोधन किए जाने का निर्णय लिया गया।

मंत्रिपरिषद द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत पात्र हितग्राहियों को वितरण हेतु नागरिक आपूर्ति निगम को आवश्यक चना उपार्जन, ई-ऑक्शन प्लेटफॉर्म के माध्यम से किए जाने की अनुमति दी गई।

मंत्रिपरिषद की बैठक में राज्य में पर्यटन को बढ़ावा  तथा योजनाबद्ध विकास के लिए छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग के प्रस्ताव पर राज्य में पर्यटन को उद्योग का दर्जा प्रदान करने का निर्णय लिया गया।

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रायपुर, ​कैबिनेट की बैठक में सीएम विष्णुदेव साय ने बड़ा फैसला लिया है। इसके अनुसार नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायतों यानी नगरीय निकायों में महापौर का चुनाव भी सीधे आम लोगों की वोटिंग से होगा। सीएम साय की अध्यक्षता में मंत्रालय में करीब दो घंटे चली केबिनेट की बैठक में ओबीसी को मिलाकर आरक्षण की अपर लिमिट भी 50 प्रतिशत तय कर दी गई है। साय सरकार ने पांच साल पहले भूपेश सरकार की उस नीति को बदल दिया है, जिसमें महापौर का चुनाव पार्षदों के बीच किया गया था। छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के गठन के बाद से ही चर्चा थी कि महापौर चुनाव पार्षदों के बीच न करवाकर सीधे जनता के बीच होगा। पूर्ववर्ती रमन सरकार के समय में सभी नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायतों में महापौर के लिए चुनाव डायरेक्ट ही होता था। साय केबिनेट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए ओबीसी आरक्षण पर भी अहम फैसला लिया है। पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की अनुशंसा के आधार पर ओबीसी के लिए 25 प्रतिशत की एकमुश्त सीमा को शिथिल कर दिया गया है। आयोग ने अनुशंसा की है कि ओबीसी को मिलाकर अधिकतम आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। साय केबिनेट ने पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की अनुशंसा और प्रतिवेदन के आधार पर इस फैसले का अनुमोदन कर दिया है। अर्थात और नगरीय और पंचायत, दोनों ही चुनावों का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है। ये फैसले भी लिए गए -छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम, 1993 के अंतर्गत त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधित्व एवं आरक्षण संबंधी प्रावधानों में संशोधन किए जाने के विभिन्न धाराओं में संशोधन किए जाने का निर्णय लिया गया। मंत्रिपरिषद द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत पात्र हितग्राहियों को वितरण हेतु नागरिक आपूर्ति निगम को आवश्यक चना उपार्जन, ई-ऑक्शन प्लेटफॉर्म के माध्यम से किए जाने की अनुमति दी गई। मंत्रिपरिषद की बैठक में राज्य में पर्यटन को बढ़ावा  तथा योजनाबद्ध विकास के लिए छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग के प्रस्ताव पर राज्य में पर्यटन को उद्योग का दर्जा प्रदान करने का निर्णय लिया गया।
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