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राजधानी के ये कैसे माता-पिता! 4 साल की बेटी को 40 हजार में बेचा

राजधानी के ये कैसे माता-पिता! ओडिशा के भुवनेश्वर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया, जहां एक दंपती ने अपनी चार साल की बेटी को ₹40,000 में बेच दिया. यह घटना भुवनेश्वर के बड़गड़ क्षेत्र की है, जहां दंपती आर्थिक तंगी से जूझ रहा था. उनकी गरीबी ने उन्हें यह कठोर कदम उठाने पर मजबूर कर दिया, और उन्होंने अपनी बेटी को पिपिली इलाके के एक अन्य दंपती को सौंप दिया.

मजदूरी करने वाले माता-पिता

बताया गया कि यह दंपती बड़गड़ क्षेत्र में दैनिक मजदूर के तौर पर काम करता था. जब पुलिस को इस घटना की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत बच्ची को रेस्क्यू कर लिया और मामले की जांच शुरू कर दी. पूछताछ में बच्ची के माता-पिता ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया.

सौदे में दो महिलाओं की भूमिका

सूत्रों के अनुसार, यह सौदा मंगलवार शाम को हुआ, जिसमें दो महिलाओं ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई. बड़गड़ थाना प्रभारी के मुताबिक, उन्हें इस घटना की सूचना उस अपार्टमेंट के मालिक ने दी, जहां यह दंपती काम करता था. इस तरह की घटनाएं राज्य में गरीबी और सामाजिक असमानता की गंभीर स्थिति को उजागर करती हैं. बच्चों को बेचना न केवल एक कानूनी अपराध है बल्कि समाज की नैतिकता पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है.

दूसरे मामलों ने किया चौकन्ना

  • ओडिशा में बच्चों की बिक्री के कई अन्य मामले भी सामने आए हैं:
  • 20 नवंबर को बरगढ़ जिले के खैरापाली गांव में एक दंपती ने अपनी 17 दिन की नवजात लड़के को एक निःसंतान दंपती को बेच दिया.
  • बलांगीर जिले में अत्यधिक गरीबी के कारण एक नवजात को बेचा गया, जिसे बाद में राज्य सरकार ने ट्रैक कर लिया.
  • इसी महीने रायगड़ा जिले में ₹20,000 में एक नवजात को बेचे जाने का मामला उजागर हुआ. बच्चा आंध्र प्रदेश में रेस्क्यू किया गया और उसे बाल कल्याण समिति (CWC) के जरिए विशेष गोद लेने की प्रक्रिया में भेजा गया.

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राजधानी के ये कैसे माता-पिता! ओडिशा के भुवनेश्वर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया, जहां एक दंपती ने अपनी चार साल की बेटी को ₹40,000 में बेच दिया. यह घटना भुवनेश्वर के बड़गड़ क्षेत्र की है, जहां दंपती आर्थिक तंगी से जूझ रहा था. उनकी गरीबी ने उन्हें यह कठोर कदम उठाने पर मजबूर कर दिया, और उन्होंने अपनी बेटी को पिपिली इलाके के एक अन्य दंपती को सौंप दिया.

मजदूरी करने वाले माता-पिता

बताया गया कि यह दंपती बड़गड़ क्षेत्र में दैनिक मजदूर के तौर पर काम करता था. जब पुलिस को इस घटना की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत बच्ची को रेस्क्यू कर लिया और मामले की जांच शुरू कर दी. पूछताछ में बच्ची के माता-पिता ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया.

सौदे में दो महिलाओं की भूमिका

सूत्रों के अनुसार, यह सौदा मंगलवार शाम को हुआ, जिसमें दो महिलाओं ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई. बड़गड़ थाना प्रभारी के मुताबिक, उन्हें इस घटना की सूचना उस अपार्टमेंट के मालिक ने दी, जहां यह दंपती काम करता था. इस तरह की घटनाएं राज्य में गरीबी और सामाजिक असमानता की गंभीर स्थिति को उजागर करती हैं. बच्चों को बेचना न केवल एक कानूनी अपराध है बल्कि समाज की नैतिकता पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है.

दूसरे मामलों ने किया चौकन्ना

  • ओडिशा में बच्चों की बिक्री के कई अन्य मामले भी सामने आए हैं:
  • 20 नवंबर को बरगढ़ जिले के खैरापाली गांव में एक दंपती ने अपनी 17 दिन की नवजात लड़के को एक निःसंतान दंपती को बेच दिया.
  • बलांगीर जिले में अत्यधिक गरीबी के कारण एक नवजात को बेचा गया, जिसे बाद में राज्य सरकार ने ट्रैक कर लिया.
  • इसी महीने रायगड़ा जिले में ₹20,000 में एक नवजात को बेचे जाने का मामला उजागर हुआ. बच्चा आंध्र प्रदेश में रेस्क्यू किया गया और उसे बाल कल्याण समिति (CWC) के जरिए विशेष गोद लेने की प्रक्रिया में भेजा गया.
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