बिलासपुर। रंगो से ही जीवन का सार है। काल चक्र और रंगो का खेल बड़ा ही निराला है। अपनी रंगो के इस खेल से लोगो का दिल जीतने वाले पंडित संजय शर्मा बिलासपुर के लोगो के बीच पहुंचे है।
पंडित संजय शर्मा ने बहुत ही रिसर्च के बाद रंगो के इस खेल से लोगो की परेशानियों को दूर करने का बीड़ा उठाया है। अत्याधुनिक युग में आज भी लोगो को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वही अध्यात्म और काल चक्र के साथ रंगो को मिलाकर लोगो की समस्या का समाधान किया जाता है।
जीवन में रंगो का महत्व क्या है रंग कई तरह से मानव जीवन को प्रभावित करते है सामान्यतः विवाह समारोह में वधु का जोड़ा लाल रंग का ही होता है , वर व वधु दोनो को पीले रंग की हल्दी लगाई जाती है , सफेद व काले रंगों को ऐसे समारोह से दूर रखा जाता है जबकि चिकित्सालय में हल्के रंगों का उपयोग किया जाता है नैत्र की शल्यचिकित्सा (आॉपरेषन) के समय हरे रंग की पट्टी आख पर बांधी जाती है गैरेज के मेकेनिक सामान्यतः नीले रंग के कपड़े पहनते है । जब पूजा होती है तो लाल कुमकुम , पीली हल्दी, गुलाबी गुलाल, सफेद अबीर और चावल, सिंदूरी सिंदूर का प्रयोग किया जाता है ,प्रकृति हरियाली की चादर ओढती है और अधिकतर पत्तों का रंग हरा ही होता है । मनुष्य हो या पशु सभी माताऐं अपने बच्चों को जो दूध पिलाती है उसका रंग सफेद ही होता है अधिकतर जीव जन्तुओ के रक्त का रंग लाल ही होता है । प्रकृति , धर्म, विज्ञान सभी रंगों के आधार पर ही गतिमान है
यह हम सभी जानते है अनायास ही कोई रंग हमें आकर्षित करता है और कोई रंग प्रतिकर्षित करता है , पसंद व नापसंद भी रंगो में अपनी प्रकृति के अनुसार ही होती है जिस रंग में संतुलन का अभाव होता है वह रंग अनायास ही आकर्षित करने लगता है और जो रंग अति प्रचुर मात्रा में षरीर में विद्यमान होता है वह प्रतिकर्षित करने लगता है जो रंग मानव शरीर में संतुलित होता है वह न पसंद होता है न ही नापसंद या जिस रंग के प्रति उदासीन भाव होता है ज्योतिषी आपको वही रत्न पहनाता है जिस रंग के संतुलन का अभाव होता है या उदासीन रंग जिसकी आपके शरीर को आवष्यकता होती है । यही आपके भोजन को प्रभावित करती है आप भोजन अधिकतर वही पसंद आता है जिस रंग के संतुलन का अभाव होता है यहां एक बात ध्यान रखने योग्य यह है कि आप भोजन वही लिया करें जो आपकी समस्या को ध्यान में रखते हुए अनुकूल होता है ।
कोई रंगीन व्यक्त्वि का स्वामी होता है तो किसी का जीवन रंगहीन होता है जैसे कोई व्यक्ति रसिक स्वभाव का होता है तो कोई नीरस कोई गर्म स्वभाव का होता है तो कोई ठंडे स्वभाव का, कोई हंसमुख होता है तो कोई गंभीर किसी के लिये मच्छर को मारना भी कठिन होता है तो कोई किसी का भी खून बहा देता है किसी को भीड़ पसंद होती है तो किसी को एकांत मे रहना । इन रंगो की इस विषेष दुनिया में कई तरह के लोग होते है रंगो के प्रभाव से ही व्यक्ति में गुणों का विकास होता है किसी रंग की मात्रा के संतुलन को बनाकर या उस रंग को असंतुलित करके गुणों का विकास किया या रोका जा सकता है । सृष्टि महज एक खेल है रंगो का राग का और प्रकृति का रूप हिलोरे लेने लगता है और ये हिलोरे प्रकट होने लगते है । हर व्यक्ति किसी न किसी रंग में रंगा होता है दुनिया के अलग अलग रंगमंच पर अलग अलग विभिन्न भूमिका को अदा करते है ।
ऐसा कहते है इस सकल विष्व की हर वस्तु रंगहीन होती है पानी , हवा, अंतरिक्ष एवं सुपूर्ण जगत सभी रंगहीन है और विषेष यह कि जिस वस्तु को आप देखते है वह भी रंगहीन होती है रंग केवल प्रकाष में होता है रंग वह नहीं है जो दिखाई देता है बल्कि रंग है जो वह विषेष वस्तु छोडती है या त्यागती है आप जो रंग बिखेरते है वही आपका रंग होता है । रंगो में तीन रंग सबसे प्रमुख है लाल, हरा , नीला अन्य समस्त रंग इन तीनो रंगों से पैदा किये जा सकते है। प्रत्येक व्यक्ति के उपर प्रत्येक रंग का एक विषेष प्रभाव पडता है । आजकल प्रचिलित चिकित्सा प्रणाली जिसे कलर थेरेपी कहते है अलग अलग रंग की बॉटल मे पानी रखकर रोगी को पीने के लिये बोलते है ।