चांपा,
नगर के बैरियर चौक से लेकर स्टेशन तक कई स्थानों में रोड पर जाम और पार्किग का मजा अगर लेना है तो चांपा जरूर पहुंचे। क्योंकि यहां रोड पर आए दिन इस तरीके से आधे से अधिक रास्ते पर दो पहिया वाहन की पार्किंग आम बात है। पार्किंग भी क्यों ना करें, यहां रोड पर स्थित दुकानों के पास पार्किंग नाम की कोई चीज है ही नहीं। आखिर दुकानदार पार्किंग करवाए भी तो कहां?
जी हां अक्सर लोगोें के जेहन में ये सवाल उठता है कि नगर में इतनी दुकानें है लेकिन पार्किंग किसी के पास नहीं। दुकान में सामान लेने पहुंचे उपभोक्ता रोड पर अपनी दो पहिया वाहन पार्किंग कर सामान खरीदते नजर आते है। वहीं डाक्टरों के पास इलाज करवाने पहुंचे मरीज और उनके परिजन रोड पर ही अपना वाहन पार्किंग कर अपना इलाज कराते हैं। मरीजों के इलाज के लिए इनके पास पर्याप्त जगह होती है लेकिन उनके वाहनों के लिए रोड में पार्किंग नहीं होती। आखिर पार्किंग नहीं बनाना और रोड पर जाम की स्थिति निर्मित करना ही इनका मूल उद्देश्य नजर आता है।
फिलहाल पार्किंग को लेकर पुलिस और प्रशासन भी कभी कभार अपनी उपस्थिति दर्ज कर अपना पल्ला झाड़ने कसर नहीं छोड़ती। आखिरकार आम जनता क्या करे इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। स्टेशन से लेकर बेरियर चौक के बीच और लायंस चौक, जगदल्ला रोड में हर रोज यही स्थिति नजर आती है। सुबह से ही नगर के सभी निजी हाॅस्पिटल, क्लीनिक और डायग्नोस्टिक सेंटर, पैथोलेब सहित तमाम मेडिकल से जुड़ी सुविधाओें वाली जगहों पर रोड में मरीजों के वाहनों का कब्जा नजर आता है। जिससे नगर के आधे से भी ज्यादा सड़क जाम हो जाती है। इस तकलीफ से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। कभी कभार यातायात विभाग द्वारा मुख्य मार्ग में कार्रवाई तो की जाती है लेकिन डाक्टर साहब के हाॅस्पिटल, क्लीनिक, डायग्नोस्टिक सेंटर, पैथोलेब सहित मेडिकल तमाम जगहों को छोड़कर कार्रवाई की जाती है।
कार्रवाई के लिए प्रशासन और पुलिस पीछे क्यों?
चांपा नगर के रोड में लगने वाले जाम की जानकारी सभी को होती है लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति आखिर क्यों? ये सवाल बार बार लोगों के जेहन में उठता है लेकिन प्रशासन और पुलिस के पास कौन जाए? कई बार शिकायत होने के बाद भी नगर की रोड पर आधे से अधिक जगह पर दो पहिया वाहन रोजाना खड़ी रहती है। सुबह से लेकर शाम तक यही स्थिति नजर आती है बावजूद कोई भी उचित पहल करना प्रशासन और पुलिस को नागवार गुजरती है। आम जनता कई बार इसकी शिकायत संबंधित अधिकारियों को कर चुकी है बावजूद अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंगती। फिलहाल जब तक रोड पर पूर्ण रूप से दो पहिया और अन्य वाहनों का कब्जा नहीं हो जाता। शायद ही कोई अधिकारी इस व्यवस्था को सुधार पाए।