ब्राजील में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के बीच कई अहम मुद्दों पर बात हुई। इस दौरान भारत के आर्थिक अपराधी नीरव मोदी और विजय माल्या पर कार्रवाई को लेकर बातचीत हुई। यह पहला मौका है, जब दोनों नेताओं ने इस मुद्दे पर खुलकर चर्चा की। रिपोर्ट के अनुसार दोनों नेताओं ने माइग्रेशन और प्रत्यर्पण से जुड़ी प्रक्रियाओं को तेज करने पर सहमति जताई है। मोदी ने ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर से नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे भगोड़ों पर कड़ी कार्रवाई का मुद्दा उठाया। इसके अलावा अर्थव्यवस्था, व्यापार, तकनीकी नवाचार और ग्रीन इकोनॉमी के क्षेत्रों में सहयोग को लेकर चर्चा हुई। मोदी ने भारत-ब्रिटेन के प्रत्यर्पण मामलों को तेज करने की जरूरतों पर भी बल दिया।
नीरव पीएनबी घोटाले का आरोपी
भारतीय बैंकिंग इतिहास के सबसे बड़े घोटालों में से एक पीएनबी घोटाला है। नीरव मोदी ने यहां से 2 अरब डॉलर की धोखाधड़ी कर ब्रिटेन भाग गया। नीरव के बारे में मार्च 2018 में सूचना मिली थी कि वो ब्रिटेन में है। उसने वहां राजनीतिक शरण के लिए आवेदन किया, लेकिन भारत सरकार उसे प्रत्यर्पित करने का प्रयास कर रही। धोखधाड़ी मामले में स्विस अधिकारियों ने जून 2019 में उसकी संपत्तियां और बैंक खाते फ्रीज किए हैं। उनकी कीमत 6 मिलियन डॉलर है।
माल्या ‘विलफुल डिफॉल्टर’ का मामला
विजय माल्या पर भारतीय बैंकों से लिए गए भारी कर्ज को चुकाने में फेल होने का आरोप है। उनको 2017 में $40 मिलियन बच्चों को ट्रांसफर करने के लिए कोर्ट की अवमानना का दोषी पाया गया। इसके लिए जुलाई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने माल्या को चार महीने जेल और जुर्माने की सजा सुनाई।
रणनीतिक साझेदारी पर असर
नीरव और माल्या जैसे भगोड़ों पर कार्रवाई भारत-ब्रिटेन संबंधों में पारदर्शिता और विश्वास बढ़ाने को अहम कदम साबित हो सकती है। इसके लिए माइग्रेशन और प्रत्यर्पण मामलों में तेजी लाने का निर्णय दोनों देशों के लिए सकारात्मक संकेत है। इस पहल से दूसरे आर्थिक अपराधियों पर भी कार्रवाई का दबाव बनेगा।