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दिल्ली हाईकोर्ट का ‘आप’ सरकार को आदेश; पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर आयुष्मान भारत योजना लागू करें

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को 4 सप्ताह के भीतर प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन को सरकारी अस्पतालों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू करने का आदेश दिया है, जिसमें मरीजों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने और राजधानी के सरकारी अस्पतालों की बदहाल स्थिति में सुधार शामिल है. दिल्ली सरकार के स्थायी वकील राहुल मेहरा और अतिरिक्त स्थायी वकील सत्यकाम ने प्रधान न्यायाधीश मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच के सामने पीएम-एबीएचआईएम योजना को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू करने की मांग की. बेंच ने कहा कि राजधानी के सभी अस्पतालों में मरीजों की सुविधा के लिए इस योजना को जल्द ही लागू करना चाहिए.

डॉ. सरीन कमेटी की सिफारिशों को मानते हुए दिल्ली के अस्पतालों में सुधार के लिए बुलाई गई एक बैठक का विवरण भी हाईकोर्ट को पेश किया गया. इसके अलावा, दिल्ली सरकार ने अस्पतालों में बदलाव के लिए किए गए प्रयासों की भी जानकारी दी गई. 11 दिसंबर को इस मामले में अगली सुनवाई होगी.

हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया: इस मामले में, हाईकोर्ट ने दिल्ली के 24 सरकारी अस्पतालों की खराब हालत पर स्वत: संज्ञान लिया और डॉ. सरीन की देखरेख में एक कमेटी बनाई.

दिए कई दिशानिर्देश

● 11 दिसंबर 2024 से पहले 762 पैरामेडिकल और 701 नर्सिंग स्टॉफ की नियुक्ति होनी चाहिए.

● दिल्ली सरकार को पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के अनुसार रेडियोलॉजिकल डायग्नोस्टिक सेवाओं को जांच करने का 2 सप्ताह का समय दिया गया है जब तक कि पुख्ता ढांचा तैयार नहीं हो जाता.

● दिल्ली सरकार को 2 सप्ताह के भीतर कानून के अनुसार सभी अस्पतालों में पूर्णकालिक एमएस, एमडी, निदेशक या HOD की नियुक्ति करने का आदेश दिया गया.

● दिल्ली के सभी 24 अस्पतालों में 4 सप्ताह के भीतर जन औषधि केंद्रों को खोला जाना चाहिए.

● जिन अस्पतालों में 80 प्रतिशत काम पूरा हो गया है, वहां संविदा के आधार पर कर्मचारियों की भर्ती शुरू करें. 4 सप्ताह के भीतर, अस्पतालों में मरीजों का उपचार शुरू हो सके .

 

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दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को 4 सप्ताह के भीतर प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन को सरकारी अस्पतालों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू करने का आदेश दिया है, जिसमें मरीजों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने और राजधानी के सरकारी अस्पतालों की बदहाल स्थिति में सुधार शामिल है. दिल्ली सरकार के स्थायी वकील राहुल मेहरा और अतिरिक्त स्थायी वकील सत्यकाम ने प्रधान न्यायाधीश मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच के सामने पीएम-एबीएचआईएम योजना को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू करने की मांग की. बेंच ने कहा कि राजधानी के सभी अस्पतालों में मरीजों की सुविधा के लिए इस योजना को जल्द ही लागू करना चाहिए. डॉ. सरीन कमेटी की सिफारिशों को मानते हुए दिल्ली के अस्पतालों में सुधार के लिए बुलाई गई एक बैठक का विवरण भी हाईकोर्ट को पेश किया गया. इसके अलावा, दिल्ली सरकार ने अस्पतालों में बदलाव के लिए किए गए प्रयासों की भी जानकारी दी गई. 11 दिसंबर को इस मामले में अगली सुनवाई होगी. हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया: इस मामले में, हाईकोर्ट ने दिल्ली के 24 सरकारी अस्पतालों की खराब हालत पर स्वत: संज्ञान लिया और डॉ. सरीन की देखरेख में एक कमेटी बनाई. दिए कई दिशानिर्देश ● 11 दिसंबर 2024 से पहले 762 पैरामेडिकल और 701 नर्सिंग स्टॉफ की नियुक्ति होनी चाहिए. ● दिल्ली सरकार को पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के अनुसार रेडियोलॉजिकल डायग्नोस्टिक सेवाओं को जांच करने का 2 सप्ताह का समय दिया गया है जब तक कि पुख्ता ढांचा तैयार नहीं हो जाता. ● दिल्ली सरकार को 2 सप्ताह के भीतर कानून के अनुसार सभी अस्पतालों में पूर्णकालिक एमएस, एमडी, निदेशक या HOD की नियुक्ति करने का आदेश दिया गया. ● दिल्ली के सभी 24 अस्पतालों में 4 सप्ताह के भीतर जन औषधि केंद्रों को खोला जाना चाहिए. ● जिन अस्पतालों में 80 प्रतिशत काम पूरा हो गया है, वहां संविदा के आधार पर कर्मचारियों की भर्ती शुरू करें. 4 सप्ताह के भीतर, अस्पतालों में मरीजों का उपचार शुरू हो सके .  
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