चांपा। जिले में हर घर में स्मार्ट मीटर लगना शुरू हो चुका है या यह भी कह सकते हैं कि स्मार्ट मीटर लगाने की स्पीड इतनी है कि ठेकेदार का बस चले तो एक दिन में ही पूरे जिले में स्मार्ट मीटर लगा दे। जी हां यह बिल्कुल सच बात है कि आप खुद अपने मोहल्ले और शहर में घुमकर रोज देख सकते हैं दो से तीन लोग तुफान से भी अधिक गति से स्मार्ट मीटर लगा रहे हैं। जिसका मुख्य कारण ठेका है जिसमें जितनी जल्दी हो मीटर लगाकर बिजली विभाग से रूपए अर्जित करना है। जितनी जल्दी मीटर लग रहा है वो लगा कौन रहा है यह भी एक सवाल है क्योंकि स्मार्ट मीटर लगाने वाला बिजली विभाग से नहीं है।
चांपा नगर की बात करें तो रोजाना दो से तीन लोग स्मार्ट मीटर लगा रहे हैं। वहीं स्मार्ट मीटर लगाने के लिए वे मोहल्ले के घरों से ही कुर्सी, टेबल, सीढ़ी सहयोग के रूप में मांगते हैं और अपना काम निपटा कर वापस दे देते हैं लेकिन कोई घर वाला अगर छोटा सा भी काम बोलते हैं तो स्मार्ट मीटर लगाने वाले लड़कों का जवाब भी रटा रटाया मिलता है कि हमें सिर्फ स्मार्ट मीटर लगाने कहा गया है हम और दूसरा काम क्यों करें? लेकिन जब वे उस घर से कुर्सी, टेबल, सीढी या अन्य उपयोगी सामान अपने कार्य के मांगते हैं तो उन्हें भी घर वाले सामान क्यों दें? उसका भी जवाब स्मार्ट मीटर लगाने पहुंचे लड़कांे के पास पास मौजूद है। स्मार्ट मीटर लगाने वाले लड़के उसका भी जवाब देते हैं कि उन्हें देना पड़ेगा क्योंकि ये उनके घर का काम है उनका काम नहीं। जिससे यह प्रतीत होता है कि वे दादागिरी के साथ स्मार्ट मीटर लगाना चाहते हैं। वहीं स्मार्ट मीटर लगाने पहुंचे लडके से जब पूछा गया उन्हें घर से सामान क्यों दिया जाए तो उनका कहना है कि अधिकारियों से ऐसा आदेश मिला है? वहीं मीटर बदले जाने को लेकर भी उनसे जानकारी ली गई तो उनका कहना था कि वे बिना घर वालों की मर्जी के मीटर बदल सकते हैं जिसके लिए उनके पास अधिकारियों का आदेश है, आदेश दिखाने कहने पर वे टालमटोल करने लगे। जिससे यह प्रतीत होता है कि स्मार्ट मीटर लगाने को लेकर ठेका कर्मचारी अधिकारियों के आदेश का हवाला देकर किसी भी हद तक जा सकते हैं।
जब इसकी बात चांपा नगर के सीएसपीडीसीएल के वाट्स अप ग्रुप में डाला गया तो चांपा के एई महेश जायसवाल ने लिखा कि
‘‘आदरणीय वासु सोनी जी,
स्मार्ट मीटर वाले सिर्फ मीटर लगाएंगे।
अब सवाल यह है उपभोक्ता द्वारा टेबल कुर्सी पानी अगर दिया जा रहा है जहां मीटर अधिक हाइट पर है और उसमें भी आपको तकलीफ है तो लड़कों को मैं बोल दूंगा की अपनी व्यवस्था से कार्य करें। परन्तु कार्य रुकेगा नहीं‘‘
जिस पर जवाब में यह लिखा गया कि
‘‘ जरूर सर जी काम किसी का भी नहीं रुकेगा… लेकिन वो जो जवाब दे रहे है उसके हिसाब से अगर उन्हें आम जनता से सहयोग की उम्मीद है तो जरूर तकलीफ है क्योंकि वो सिर्फ सहयोग मांग रहे है और जनता को सहयोग देने के जवाब में वे सिर्फ जनता को झुकाना चाहते है…वो भी अधिकारियों के आदेश का हवाला देकर… अगर ऐसा है तो जरूर तकलीफ है सर, अगर आपको लगता है कि मैं गलत हु तो फिर आप भी स्वतंत्र है और मैं भी…
आपका आभार‘‘
वहीं जवाब आया कि
‘‘ठीक है वो लड़कों को बुला लूंगा कल और आप भी आ जाएं क्या शिकायत है दूर कर देंगे‘‘
बहरहाल बिजली विभाग और वहां कार्यरत अधिकारी-कर्मचारियों की यह कार्यशैली कई प्रश्नचिन्हों को जन्म देती है। आखिर ऐसी परिस्थिति से आम जनता को कौन बचाएगा? क्या बिजली विभाग और उनके नुमाइंदे जनता को तकलीफें देने के लिए बने हैं या उनकी सेवा के लिए? यह बहुत बड़ा सवाल है।