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एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए भूख हड़ताल पर बैठेंगे जगजीत सिंह डाल्लेवाल…

पंजाब,

किसान नेता जगजीत सिंह ने 26 नवंबर से भूख हड़ताल पर बैठने की घोषणा की है. संभू बॉर्डर पर लगातार धरना दे रहे किसानों ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस मौके पर किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार अपने वादे से पीछे हट रही है, जिसके चलते अब वे अपनी मांगों को लेकर भूख हड़ताल करेंगे.

आंदोलन की तिथि और वजह

किसान नेता डाल्लेवाल ने कहा कि पहले उनका कार्यक्रम 25 नवंबर से अनशन शुरू करने का था, लेकिन 26 नवंबर को इसलिए चुना गया क्योंकि इस दिन से ही दिल्ली की ओर किसानों का आंदोलन शुरू हुआ था.

“जब तक मांगें पूरी नहीं, तब तक अंतिम संस्कार नहीं”

जगजीत सिंह डाल्लेवाल ने कहा कि वे भूख हड़ताल पर बैठेंगे. यदि केंद्र सरकार किसानों की मांगें नहीं मानती और किसान नेता की मृत्यु हो जाती है, तो उनकी मृत देह का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा. उस शव को तब तक रखा जाएगा, जब तक सरकार किसानों की मांगों को मान नहीं लेती. उन्होंने यह भी कहा कि एक नेता की मृत्यु के बाद दूसरा किसान नेता भूख हड़ताल पर बैठ जाएगा. यह सिलसिला तब तक जारी रहेगा, जब तक किसानों की सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं.

किसानों की मांगें क्या हैं?

किसान संगठनों और सरवन सिंह पंधेर ने मांग की है कि केंद्र सरकार और पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार यह सुनिश्चित करें कि किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिले. किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेते समय वादा किया था कि उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दी जाएगी. हालांकि अब सरकार कॉर्पोरेट दबाव के कारण इस वादे को पूरा नहीं कर रही है.

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पंजाब, किसान नेता जगजीत सिंह ने 26 नवंबर से भूख हड़ताल पर बैठने की घोषणा की है. संभू बॉर्डर पर लगातार धरना दे रहे किसानों ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस मौके पर किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार अपने वादे से पीछे हट रही है, जिसके चलते अब वे अपनी मांगों को लेकर भूख हड़ताल करेंगे.

आंदोलन की तिथि और वजह

किसान नेता डाल्लेवाल ने कहा कि पहले उनका कार्यक्रम 25 नवंबर से अनशन शुरू करने का था, लेकिन 26 नवंबर को इसलिए चुना गया क्योंकि इस दिन से ही दिल्ली की ओर किसानों का आंदोलन शुरू हुआ था.

“जब तक मांगें पूरी नहीं, तब तक अंतिम संस्कार नहीं”

जगजीत सिंह डाल्लेवाल ने कहा कि वे भूख हड़ताल पर बैठेंगे. यदि केंद्र सरकार किसानों की मांगें नहीं मानती और किसान नेता की मृत्यु हो जाती है, तो उनकी मृत देह का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा. उस शव को तब तक रखा जाएगा, जब तक सरकार किसानों की मांगों को मान नहीं लेती. उन्होंने यह भी कहा कि एक नेता की मृत्यु के बाद दूसरा किसान नेता भूख हड़ताल पर बैठ जाएगा. यह सिलसिला तब तक जारी रहेगा, जब तक किसानों की सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं.

किसानों की मांगें क्या हैं?

किसान संगठनों और सरवन सिंह पंधेर ने मांग की है कि केंद्र सरकार और पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार यह सुनिश्चित करें कि किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिले. किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेते समय वादा किया था कि उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दी जाएगी. हालांकि अब सरकार कॉर्पोरेट दबाव के कारण इस वादे को पूरा नहीं कर रही है.
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