महाराष्ट्र,
अमरावती में पूर्व सांसद और बीजेपी नेता नवनीत राणा की रैली में हुए हंगामे और हमले के मामने में हैरान कर देने वाली आपबीती भाजपा नेत्री ने सुनाई है। नवनीत राणा के अनुसार, जब वे सभा में भाषण दे रही थीं, तभी कुछ लोगों ने उन्हें गंदे इशारे किए और ‘अल्लाह हू अकबर’ के नारे लगाए। जैसे ही राणा का भाषण समाप्त हुआ, उन पर कुर्सियां फेंकी गईं। नवनीत राणा ने बताया कि उनके सुरक्षा गार्डों ने उन्हें सुरक्षित वाहन तक पहुंचाया, लेकिन हिंसक भीड़ ने उन पर गालियां देते हुए हमला करने की कोशिश की।
इधर राणा ने पुलिस थाने में 40 से 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि आरोपियों को जल्द गिरफ्तार नहीं किया गया, तो हिंदू संगठन आंदोलन करेंगे। पुलिस ने इस मामले में अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। किसी भी अफवाह पर ध्यान न देने की अपील की गई है।
महाराष्ट्र में अमरावती की पूर्व सांसद और बीजेपी नेता नवनीत राणा शनिवार (16 नवंबर) को अमरावती जिले के दर्यापुर विधानसभा क्षेत्र के खल्लार गांव में युवा स्वाभिमान पार्टी के उम्मीदवार रमेश बुंदीले के समर्थन में रैली करने पहुंचीं थीं। रमेश बुंदीले प्रचार के लिए एक बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में किसी बात पर बहस छिड़ गई, जिसने हंगामे का रूप ले लिया। इसके बाद कार्यकर्ता एक दूसरे पर कुर्सियां फेंकने लगे। घटना के वक्त नवनीत राणा बाल-बाल बच गईं। उन्हें वहां से हटाकर दूसरी जगह शिफ्ट किया गया।
नवनीत राणा ने पुलिस में दी शिकायत
इस मामले में नवनीत राणा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। पूर्व सांसद नवनीत राणा अपनी रैली में हिंसा को देखते हुए अपने समर्थकों के साथ खल्लार पुलिस स्टेशन पहुंची थीं। उनकी शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज किया पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है। पुलिस ने घटनास्थल पर कड़ा बंदोबस्त किया है और फिलहाल शांति बनी हुई है।
पिछले महीने मिली थी धमकी
पिछले महीने अक्टूबर में पूर्व सांसद नवनीत राणा को पत्र भेजकर धमकी दी गई थी और 10 करोड़ रुपए की मांग की गई थी। नवनीत राणा की शिकायत के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। अमरावती की पूर्व सांसद को स्पीड पोस्ट के जरिए आमिर नामक व्यक्ति ने पत्र भेजा और पैसों की मांग की थी। राणा के निजी सचिव विनोद गुहे ने अमरावती के राजापेठ पुलिस थाने में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि यह पत्र 11 अक्टूबर को राणा के आवास पर एक कर्मचारी को मिला था।