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निकाय कर्मचारियों की हड़ताल समाप्त लेकिन सरकार को दी चेतावनी, यदि मांगें न मानी तो निकाय चुनाव के समय ………… पढ़िए पूरी खबर

नवनियुक्त अधिकारी कर्मचारी कल्याण संघ के बैनर तले नगरीय निकाय कर्मचारियों की तीन दिवसीय हड़ताल तो समाप्त हो गई है, लेकिन आंदोलन करने वाले कर्मचारियों ने शासन को पत्र लिखकर यह चेतावनी दी है कि चुनाव से पहले तक उनकी मांगें न मानी गयी तो वे अपने परिवार सहित चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

अरुण साव को लिखा पत्र, परिवार समेत करेंगे चुनाव बहिष्कार

कर्मचारी संघ के द्वारा डिप्टी सीएम एवं नगरीय निकाय मंत्री को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि नवयुक्त कर्मचारी संगठन के द्वारा समय समय नगरीय निकाय कर्मचारियों की समस्या जैसे समय पर वेतन भुगतान न होने, ओल्ड पेंशन लागू न होने, प्लेसमेंट ठेका प्रथा बन्द करने, अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान करने और नियमतिकरण जैसे अन्य मांगों के लिए पत्राचार व सांकेतिक विरोध हड़ताल कर चुकी है। उसके बाद भी कर्मचारियों को वेतन व अन्य समस्याओं का सामधान नही हो पाया है, इसलिए हम कर्मचारी यह घोषणा करते हैं कि अगर मांगे निकाय चुनाव  तक पूर्ण नही कि जाती है तो  निकाय कर्मचारी परिवार सहित चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

तीन दिन तक चली हड़ताल, ये थी मांगे

नगरीय निकाय कर्मचारियों नेब12 नवम्बर से लेकर 14 नवम्बर तक तीन दिवसीय हड़ताल कर नेहरू चौक बिलासपुर में धरना प्रदर्शन किये,  इन कर्मचारियों की मांग है कि एक तारीख को वेतन भुगतान ट्रेजरी के माध्यम से सुनिश्चित हो। तथा नगरीय निकाय में ठेका पद्धति समाप्त करते हुए प्लेसमेंट कर्मचारियों के माध्यम से भुगतान और नियमतिकरण हो।

सबसे बुरी  स्थिति प्लेसमेंट कर्मचारियों की

पिछली भाजपा सरकार में ही निकाय के इन  दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को अचानक से एक फैसला लेकर प्लेसमेंट कर्मचारी के रूप में तब्दील कर दिया गया था, जिससे ठेका पद्धति का कर्मचारियों को लेकर अवतरण हो गया, और इन दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के साथ अन्याय हो गया, उसके बाद कांग्रेस की सरकार भी आई, और इस पर कोई फैसला नही हुआ, जिससे इन कर्मचारियों का नियमतिकरण भी नही हो पाया, प्लसमेन्ट में काम कर रहे कई कर्मचारी 15-20 साल से ज्यादा तक काम कर चुके है, पर तमाम कार्य करने के बावजूद नियमतिकरण से दूर है, ऊपर से समय से वेतन न मिलना, वेतन के लिये भी ठेकेदारों पर निर्भरता इनकी दारुण कथा को कहता है।

सरकारें आती है जाती है, और शहरी क्षेत्रों में कार्यरत इन प्लेसमेंट कर्मचारियों को 8-10 हजार में ही गुजारा करना पड़ता है, जबकि निकाय क्षेत्र में 80 प्रतिशत निकाय कार्य को कार्यालय में लिपिक से लेकर फील्ड में काम करने वाले स्वच्छता तक इन्ही कर्मचारियों के द्वारा पूरा किया जाता है। पर इनके मामले और समस्याओं को लेकर सरकारें उदासीन क्यो है ये अब तक समझ से परे है।

अभी कुछ दिनों पहले वन विभाग ने निर्णय लेते हुए अपने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमतिकरण की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है, ऐसे में इन प्लसमेन्ट कर्मचारियों में भी साय सरकार को लेकर आस जगी है, पर कब इनके लिए सरकारें संवेदनशील होकर नियमतिकरण करेंगी, अब तक इसका निर्णय नही आ पाया है।

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नवनियुक्त अधिकारी कर्मचारी कल्याण संघ के बैनर तले नगरीय निकाय कर्मचारियों की तीन दिवसीय हड़ताल तो समाप्त हो गई है, लेकिन आंदोलन करने वाले कर्मचारियों ने शासन को पत्र लिखकर यह चेतावनी दी है कि चुनाव से पहले तक उनकी मांगें न मानी गयी तो वे अपने परिवार सहित चुनाव का बहिष्कार करेंगे। अरुण साव को लिखा पत्र, परिवार समेत करेंगे चुनाव बहिष्कार कर्मचारी संघ के द्वारा डिप्टी सीएम एवं नगरीय निकाय मंत्री को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि नवयुक्त कर्मचारी संगठन के द्वारा समय समय नगरीय निकाय कर्मचारियों की समस्या जैसे समय पर वेतन भुगतान न होने, ओल्ड पेंशन लागू न होने, प्लेसमेंट ठेका प्रथा बन्द करने, अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान करने और नियमतिकरण जैसे अन्य मांगों के लिए पत्राचार व सांकेतिक विरोध हड़ताल कर चुकी है। उसके बाद भी कर्मचारियों को वेतन व अन्य समस्याओं का सामधान नही हो पाया है, इसलिए हम कर्मचारी यह घोषणा करते हैं कि अगर मांगे निकाय चुनाव  तक पूर्ण नही कि जाती है तो  निकाय कर्मचारी परिवार सहित चुनाव का बहिष्कार करेंगे। तीन दिन तक चली हड़ताल, ये थी मांगे नगरीय निकाय कर्मचारियों नेब12 नवम्बर से लेकर 14 नवम्बर तक तीन दिवसीय हड़ताल कर नेहरू चौक बिलासपुर में धरना प्रदर्शन किये,  इन कर्मचारियों की मांग है कि एक तारीख को वेतन भुगतान ट्रेजरी के माध्यम से सुनिश्चित हो। तथा नगरीय निकाय में ठेका पद्धति समाप्त करते हुए प्लेसमेंट कर्मचारियों के माध्यम से भुगतान और नियमतिकरण हो। सबसे बुरी  स्थिति प्लेसमेंट कर्मचारियों की पिछली भाजपा सरकार में ही निकाय के इन  दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को अचानक से एक फैसला लेकर प्लेसमेंट कर्मचारी के रूप में तब्दील कर दिया गया था, जिससे ठेका पद्धति का कर्मचारियों को लेकर अवतरण हो गया, और इन दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के साथ अन्याय हो गया, उसके बाद कांग्रेस की सरकार भी आई, और इस पर कोई फैसला नही हुआ, जिससे इन कर्मचारियों का नियमतिकरण भी नही हो पाया, प्लसमेन्ट में काम कर रहे कई कर्मचारी 15-20 साल से ज्यादा तक काम कर चुके है, पर तमाम कार्य करने के बावजूद नियमतिकरण से दूर है, ऊपर से समय से वेतन न मिलना, वेतन के लिये भी ठेकेदारों पर निर्भरता इनकी दारुण कथा को कहता है। सरकारें आती है जाती है, और शहरी क्षेत्रों में कार्यरत इन प्लेसमेंट कर्मचारियों को 8-10 हजार में ही गुजारा करना पड़ता है, जबकि निकाय क्षेत्र में 80 प्रतिशत निकाय कार्य को कार्यालय में लिपिक से लेकर फील्ड में काम करने वाले स्वच्छता तक इन्ही कर्मचारियों के द्वारा पूरा किया जाता है। पर इनके मामले और समस्याओं को लेकर सरकारें उदासीन क्यो है ये अब तक समझ से परे है। अभी कुछ दिनों पहले वन विभाग ने निर्णय लेते हुए अपने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमतिकरण की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है, ऐसे में इन प्लसमेन्ट कर्मचारियों में भी साय सरकार को लेकर आस जगी है, पर कब इनके लिए सरकारें संवेदनशील होकर नियमतिकरण करेंगी, अब तक इसका निर्णय नही आ पाया है।
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