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“याद रखिए आप लोक सेवक हैं, शहंशाह नहीं”…, छत्तीसगढ़ के रायपुर में पुलिस विभाग की अहम बैठक

राजधानी रायपुर में बस्तर छोड़ शेष प्रदेश के सभी एसपी और रेंज आईजी की बेहद अहम बैठक डीजीपी अशोक जुनेजा और एडीजी इंटेलिजेंस अमित कुमार ने ली है। सीएम साय के दिशा निर्देशों के अनुरूप प्रदेश में क़ानून व्यवस्था को सर्वोत्तम बनाने की दिशा में यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। खबरें हैं कि कई जिलों के अधिकारियों को सख्त सवालों का सामना करना पड़ा है। बैठक के दौरान प्रदेश पुलिस के शीर्षस्थ अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया कि, ऐसा कुछ नहीं जो छुपा हुआ है।

दो टूक बात- रिकवरी एजेंट मत बनिए

आला अधिकारियों के द्वारा ली गई इस बैठक में जो कि करीब साढ़े तीन घंटे की मैराथन बैठक में वह विषय जो पूरे बैठक के विषय का सार था, वह विषय था लॉ एंड ऑर्डर। प्रदेश के बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील जिले के प्रतिनिधि अधिकारियों को दो टूक अंदाज में कहा गया – “बेहतर हो बेसिक पुलिसिंग करें, और उससे भी बेहतर हो कि, पुलिस रिकवरी एजेंट की भूमिका तक सीमित ना रहे।” एक अन्य संवेदनशील जिले के प्रतिनिधि अधिकारियों से सवाल हुआ “आपके यहाँ शराब के मामले को सख्ती के निर्देश दिए गए, कार्यवाही का आश्वासन आपने दिया, और आपके यहाँ कोचिया आपस में ही छुरेबाजी कर गए।” कट टू कट अंदाज में आला अधिकारियों ने हिंसक कारणों की वजह से चर्चित जिले के प्रतिनिधि अधिकारी से कहा “आपके जिले में हालिया कांड के पहले भी कांड हुआ था, जबकि पुलिस और राजस्व के अधिकारियों को बंधक बनाया गया। घर को जलाने की कोशिश हुई। क्या आप हमें बता सकते हैं कि आख़िर उसमें क्या कार्यवाही हुई थी ?” सरहदी रेंज के दो जिलों से सवाल हुए “महिला का शव पड़ोस में था तो आप थाने में क्या कर रहे थे” इसी इलाके के एक जिले के अधिकारी से सवाल हुआ “कर्मचारी को वापस क्यों लाए थे, लाना ही था तो हटाए क्यों थे ?”

गांजा प्रकरण पर बात

प्रदेश के शीर्षस्थ अधिकारी द्वय में से एक ने गांजा तस्करी के आरोप में गिरफ्तार रेल्वे पुलिस कर्मचारियों का जिक्र करते हुए कहा – जिसे बर्खास्त करना था उसे फिर नौकरी पर लेकर ठीक वहीं तैनात किया गया, जहां वह गिरोह बनाकर पहले से सक्रिय थे। ये शर्मनाक है, भविष्य में जवाबदेही आप पर तय होगी।”

इस मसले पर भी निरुत्तर रह गए

बीते अगस्त में पुलिस मुख्यालय से आदेश जारी हुआ था कि, थानों में जो ग्लो साईन बोर्ड लगाए गए हैं, उनमें प्रायोजक के रूप में नाम दर्ज रहता है, ऐसे सारे ग्लो साईन बोर्ड हटाए जाएँ। अगस्त के इस आदेश के क्रियान्वयन को लेकर सूबे के आला अधिकारियों ने कुछ ऐसा किया कि, अधिकारी निरुत्तर रह गए। बैठक में वे तस्वीरें दिखाई गई जिसमें थानों के ग्लो साइन बोर्ड प्रायोजक अथवा सौजन्य के नाम हवाले से मौजूद थे. इन तस्वीरों को दिखाते हुए एक शीर्ष अधिकारी ने कहा “अगस्त में आदेश जारी हुए थे, ऐसे सारे ग्लो साईन बोर्ड हटा दिए जाएँ, ये तस्वीरें हालिया ही हैं। थानों को प्रायोजक केंद्र मत बनाइए।

तब बोले डीजीपी जुनेजा याद रखिए आप शहंशाह नहीं हैं

बैठक से एक दिन पहले याने 13 नवंबर को स्टेट यूनिट से राज्य के 28 जिलों के कंट्रोल रूम में फ़ोन खड़काए गए थे। इसका उद्देश्य था कि रिस्पांस टाईम क्या है। तब यह खुलासा हुआ कि, आधे से ज़्यादा जगहों के फ़ोन ही खराब हैं या किन्हीं कारणों से चालू नहीं हैं। बैठक में प्रदेश के शीर्षस्थ अधिकारी द्वय ने जब इस बारे में दरयाफ्त की तो जवाब से समझ आ गया कि, जिला और रेंज के साहबान इस बात से वाकिफ़ ही नहीं हैं कि, कंट्रोल रुम जैसे बेहद महत्वपूर्ण जगह के टेलीफोन ख़राब होने को लेकर जानकारी ही नहीं है। डीजीपी अशोक जुनेजा ने कहा-‘याद रखिए, आप लोकसेवक हैं, शहंशाह नहीं है।”

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राजधानी रायपुर में बस्तर छोड़ शेष प्रदेश के सभी एसपी और रेंज आईजी की बेहद अहम बैठक डीजीपी अशोक जुनेजा और एडीजी इंटेलिजेंस अमित कुमार ने ली है। सीएम साय के दिशा निर्देशों के अनुरूप प्रदेश में क़ानून व्यवस्था को सर्वोत्तम बनाने की दिशा में यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। खबरें हैं कि कई जिलों के अधिकारियों को सख्त सवालों का सामना करना पड़ा है। बैठक के दौरान प्रदेश पुलिस के शीर्षस्थ अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया कि, ऐसा कुछ नहीं जो छुपा हुआ है। दो टूक बात- रिकवरी एजेंट मत बनिए आला अधिकारियों के द्वारा ली गई इस बैठक में जो कि करीब साढ़े तीन घंटे की मैराथन बैठक में वह विषय जो पूरे बैठक के विषय का सार था, वह विषय था लॉ एंड ऑर्डर। प्रदेश के बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील जिले के प्रतिनिधि अधिकारियों को दो टूक अंदाज में कहा गया - "बेहतर हो बेसिक पुलिसिंग करें, और उससे भी बेहतर हो कि, पुलिस रिकवरी एजेंट की भूमिका तक सीमित ना रहे।" एक अन्य संवेदनशील जिले के प्रतिनिधि अधिकारियों से सवाल हुआ "आपके यहाँ शराब के मामले को सख्ती के निर्देश दिए गए, कार्यवाही का आश्वासन आपने दिया, और आपके यहाँ कोचिया आपस में ही छुरेबाजी कर गए।" कट टू कट अंदाज में आला अधिकारियों ने हिंसक कारणों की वजह से चर्चित जिले के प्रतिनिधि अधिकारी से कहा "आपके जिले में हालिया कांड के पहले भी कांड हुआ था, जबकि पुलिस और राजस्व के अधिकारियों को बंधक बनाया गया। घर को जलाने की कोशिश हुई। क्या आप हमें बता सकते हैं कि आख़िर उसमें क्या कार्यवाही हुई थी ?" सरहदी रेंज के दो जिलों से सवाल हुए "महिला का शव पड़ोस में था तो आप थाने में क्या कर रहे थे" इसी इलाके के एक जिले के अधिकारी से सवाल हुआ "कर्मचारी को वापस क्यों लाए थे, लाना ही था तो हटाए क्यों थे ?" गांजा प्रकरण पर बात प्रदेश के शीर्षस्थ अधिकारी द्वय में से एक ने गांजा तस्करी के आरोप में गिरफ्तार रेल्वे पुलिस कर्मचारियों का जिक्र करते हुए कहा - जिसे बर्खास्त करना था उसे फिर नौकरी पर लेकर ठीक वहीं तैनात किया गया, जहां वह गिरोह बनाकर पहले से सक्रिय थे। ये शर्मनाक है, भविष्य में जवाबदेही आप पर तय होगी।" इस मसले पर भी निरुत्तर रह गए बीते अगस्त में पुलिस मुख्यालय से आदेश जारी हुआ था कि, थानों में जो ग्लो साईन बोर्ड लगाए गए हैं, उनमें प्रायोजक के रूप में नाम दर्ज रहता है, ऐसे सारे ग्लो साईन बोर्ड हटाए जाएँ। अगस्त के इस आदेश के क्रियान्वयन को लेकर सूबे के आला अधिकारियों ने कुछ ऐसा किया कि, अधिकारी निरुत्तर रह गए। बैठक में वे तस्वीरें दिखाई गई जिसमें थानों के ग्लो साइन बोर्ड प्रायोजक अथवा सौजन्य के नाम हवाले से मौजूद थे. इन तस्वीरों को दिखाते हुए एक शीर्ष अधिकारी ने कहा "अगस्त में आदेश जारी हुए थे, ऐसे सारे ग्लो साईन बोर्ड हटा दिए जाएँ, ये तस्वीरें हालिया ही हैं। थानों को प्रायोजक केंद्र मत बनाइए। तब बोले डीजीपी जुनेजा याद रखिए आप शहंशाह नहीं हैं बैठक से एक दिन पहले याने 13 नवंबर को स्टेट यूनिट से राज्य के 28 जिलों के कंट्रोल रूम में फ़ोन खड़काए गए थे। इसका उद्देश्य था कि रिस्पांस टाईम क्या है। तब यह खुलासा हुआ कि, आधे से ज़्यादा जगहों के फ़ोन ही खराब हैं या किन्हीं कारणों से चालू नहीं हैं। बैठक में प्रदेश के शीर्षस्थ अधिकारी द्वय ने जब इस बारे में दरयाफ्त की तो जवाब से समझ आ गया कि, जिला और रेंज के साहबान इस बात से वाकिफ़ ही नहीं हैं कि, कंट्रोल रुम जैसे बेहद महत्वपूर्ण जगह के टेलीफोन ख़राब होने को लेकर जानकारी ही नहीं है। डीजीपी अशोक जुनेजा ने कहा-'याद रखिए, आप लोकसेवक हैं, शहंशाह नहीं है।"
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