वासु सोनी चांपा। दीपावली के दिन मां महालक्ष्मी की पूजा क विशेष महत्व है। वहीं दूसरी ओर अमावस्या होने के कारण मां महाकाली की पूजा करना भी श्रेष्ठ है। कहते है पश्चिम बंगाल में अमावस्या के दिन बंगाली समाज द्वारा मां महाकाली की पूजा भव्य रूप से की जाती है। चांपा में भी कई वर्षों से बंगाली समाज का परिवार निवासरत है। जिनके द्वारा बंग समाज का निर्माण कर दीपावली की रात्रि मां महाकाली की प्रतिमा स्थापित कर विधि विधान से पूजा की जाती है।
चांपा नगर के शिव नगर स्थित काली बाड़ी मे बंग समाज सेवा समिति के द्वारा कई वर्षों से लगातार मां महाकाली की प्रतिमा स्थापित कर पूजा कराई जाती है। मां महाकाली की पूजा के लिए अलग अलग स्थानों से महाराज भी बुलवाए जाते है। इस वर्ष मां महाकाली पूजा गुरूवार दीपावली के दिन रात्रि 8 बजे से प्रारंभ होकर सुबह लगभग 4 बजे तक संपन्न हुई। मां महाकाली की पूजा संपन्न होने के बाद मां महाकाली को खिचड़ी का भोग लगाया गया। बंग समाज सेवा समिति के द्वारा यह आयोजन प्रत्येक वर्ष कराया जाता है। दूसरी ओर नगर में कई स्थानों में मां महाकाली की पूजा की गई जिसमंे मां काली मंदिर थाना चौक चांपा, शिवनगर चांपा, सोनार पारा चांपा सहित अनेक जगहों पर बंगाली परिवार द्वारा मां महाकाली की पूजा अर्चना की गई।
स्थानीय लोगों ने निभाई मां महाकाली पूजा में सहभागिता
बीते कई वर्षों से सोनार पारा चांपा में मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है। जहां सोनार पारा में कई सालों से निवासरत बंगाली परिवार सम्मिलित होते हैं। वहीं इस वर्ष बंगाली समाज द्वारा मनाए जाने वाले मां महाकाली पूजा में सोनार पारा के लोगों ने भी सहभागिता निभाई रात्रि 12 बजे के बाद मां महाकाली की पूजा प्रारंभ हुई जो लगभग 5 बजे संपन्न हुई। सोनार पारा के युवाओं ने रात्रि जागरण कर मां महाकाली की पूजा में अपनी सेवा दी। वहीं मां कालरात्रि की पूजन के बाद शुक्रवार को सोनार पारा में भंडारा का आयोजन किया गया।
प्रसाद निर्माण में युवाओं ने निभाई सहभागिता
दीप पर्व की रात शिवनगर में मां महाकाली की पूजा के साथ साथ युवाओं ने प्रसाद निर्माण में सहभागिता निभाई। जिसमें मोहल्ले के सभी बालक बालिकाओं ने सब्जी काटने से लेकर प्रसाद निर्माण तक अपनी सेवा दी। सभी ने मिलकर भगवान के भोग के लिए प्रसाद का निर्माण किया।