तीर कमान (वासु सोनी)। सुनने में तो ये भी आ रहा कि समाज कल्याण वाले खाता पीता विभाग के मालिक आजकल भक्ति भाव में रमे हुए है…लेकिन जिसका खाए उसी को नहीं दिए…तो भक्ति भी किस काम की…चलो छोड़ो.. ग्रहण शायद कल खत्म हो जाएगा…इतवार भी निकल गया…अब होगा कि नहीं ये भी समझ से परे है…साहिबा भी बड़े गुस्से में लगती है…मोबाइल दिखा के जाहिर भी करती है…लेकिन अपना सिक्का खोटा है तो…रहने दो मोबाइल दिखा के बना लेंगे…कम से कम देना तो नहीं पड़ेगा… वैसे भी दिवाली है हम ही धमाका कर लेंगे…विभाग का बचत जाए भाड़ में…अधिकारी है… कौन क्या कर सकता है?… छपने छापने वाले है तो…क्या हुआ?…कौन क्या कर सकता है…बाकी सब मजे में है…