छत्तीसगढदीवाली है साहब...छपने छापने वाले को मेंटेन करना पड़ता है...बाकी सब मजे...

दीवाली है साहब…छपने छापने वाले को मेंटेन करना पड़ता है…बाकी सब मजे में है…

बिलासपुर। समाज कल्याण विभाग के एक साहब की करतूतें चर्चा का विषय बना हुआ है। सूत्रों के अनुसार इस नामचीन साहब को यूनियन और विभागीय खुली छूट मिली हुई है। विभाग के लोगों ने इसे खास ज़िम्मेदारी देते हुए, दिवाली प्रमुख भी बना दिया है। अब नोट की गठरी लेकर राज गद्दी पर बैठ चुका है। सामने दिवाली है और बम फोड़ना जरुरी है। ये साहब हस्ताक्षर करवाकर चंदा बांटने में लगा हुआ है, वह भी बिना किसी औपचारिकता के हस्ताक्षर कराकर पैसे बांटता है और यह भी कहता फिरता है कि “मैडम ने अभी नहीं बोला है, दो दिन बाद आना।” यह सब कुछ ऐसे किया जा रहा है जैसे वह सरकारी नौकरी दिलवा रहा हो।

वहीं साहब के पास बड़ी मात्रा में नोट रखने की बात सामने आ रही है, जो उसने विभिन्न छपाई करने वालों में बांटने का दावा भी किया है। वह यह भी कहता है कि सभी को ऐसा ही मिलता है, लेना है तो लो, नहीं तो दिवाली बाद मिलते है..जबकि असल में यह समाज के कल्याण के लिए एक गंभीर सवाल है।

क्या इस साहब की गतिविधियों से जिला प्रशासन और उच्च अधिकारी अवगत है? सवाल यह भी उठता है कि क्या इस मामले में उचित कार्रवाई होगी या फिर यह मामला भी ठंडे बस्ते में जायेगा।

क्या जिले के मुखिया इस अनियमितता को गंभीरता से लेंगे? यह देखना महत्वपूर्ण होगा। दिवाली के समय इस तरह के मामलों का प्रकाश में आना समाज के लिए एक बड़ा चिंता का विषय है।

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बिलासपुर। समाज कल्याण विभाग के एक साहब की करतूतें चर्चा का विषय बना हुआ है। सूत्रों के अनुसार इस नामचीन साहब को यूनियन और विभागीय खुली छूट मिली हुई है। विभाग के लोगों ने इसे खास ज़िम्मेदारी देते हुए, दिवाली प्रमुख भी बना दिया है। अब नोट की गठरी लेकर राज गद्दी पर बैठ चुका है। सामने दिवाली है और बम फोड़ना जरुरी है। ये साहब हस्ताक्षर करवाकर चंदा बांटने में लगा हुआ है, वह भी बिना किसी औपचारिकता के हस्ताक्षर कराकर पैसे बांटता है और यह भी कहता फिरता है कि “मैडम ने अभी नहीं बोला है, दो दिन बाद आना।” यह सब कुछ ऐसे किया जा रहा है जैसे वह सरकारी नौकरी दिलवा रहा हो।

वहीं साहब के पास बड़ी मात्रा में नोट रखने की बात सामने आ रही है, जो उसने विभिन्न छपाई करने वालों में बांटने का दावा भी किया है। वह यह भी कहता है कि सभी को ऐसा ही मिलता है, लेना है तो लो, नहीं तो दिवाली बाद मिलते है..जबकि असल में यह समाज के कल्याण के लिए एक गंभीर सवाल है।

क्या इस साहब की गतिविधियों से जिला प्रशासन और उच्च अधिकारी अवगत है? सवाल यह भी उठता है कि क्या इस मामले में उचित कार्रवाई होगी या फिर यह मामला भी ठंडे बस्ते में जायेगा।

क्या जिले के मुखिया इस अनियमितता को गंभीरता से लेंगे? यह देखना महत्वपूर्ण होगा। दिवाली के समय इस तरह के मामलों का प्रकाश में आना समाज के लिए एक बड़ा चिंता का विषय है।

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