वासु सोनी (तीर कमान) : समाज कल्याण विभाग बिलासपुर में एक साहब है जो हस्ताक्षर कराकर छपने छापने वालों चंदा बांट रहा है…वो भी चेहरा देखकर कहता है मैडम ने अभी नहीं बोला है…दो दिन बाद आना…ऐस लग रहा है जैसे सरकारी नौकरी करवा रहा है…अब समझने वाली बात है कि उसके पास 500 और हजार और पता नहीं कितने जेब में लेकर घूमता रहता है…कहता है और कितने छपने छापने वाले आते है सबको ऐसा ही मिलता है…लेकिन सरकारी नौकरी जैसे हस्ताक्षर भी करवा रहा है…वो तो बाते भी ऐसे करता है जैसे अपने घर से बांट रहा है लेकिन साहब को ये पता नहीं कि वो समाज का है उसी का कल्याण करना है…लेकिन ये कईसा समाज और कैसा कल्याण…मैडम को भी पता है या नहीं वो तो चंद्र के सामने नत मस्तक लगता है…जिले के मुखिया को भी नहीं पता कि समाज कल्याण का ये कारनामा क्या रंग लाता है.. चन्द्र का चेहरा देख कर रोशनी बांटना ना गवार रहा…डंके की चोट में बांट रहा तो कौन क्या कर सकता है…चंद्र कहता है बड़े बड़े आए और बड़े बड़े गए…कौन क्या कर सकता है…दिवाली भी है.. छोटे बम का भी असली मजा है…