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जनता मरती है तो मरने दो इससे हमें क्या…गड्ढ़े ही तो है मरेंगे थोड़ी

चांपा। नगर में इन दिनों लगातार दुर्घटना हो रही है। कहीं सड़कों में जानलेवा गड़ढ़े तो कहीं आवारा मवेशी के रोड में घुमने से रोजाना कोई ना कोई इनकी चपेट में आ रहा है। लेकिन जनता के लिए नौकरी कर रहे अधिकारी सिर्फ अपनी जेबे भरने का इंतजार करते रहते हैं। जब तक अधिकारियों की जेबे गर्म ना हो तब तक प्रशासनिक संस्था में कागजें इधर से उधर नहीं पहुंचते। नगर में आए दिन दुर्घटना का प्रमुख कारण अधिकारियों की मनमानी और तानाशाही रवैया माना जा सकता है क्योंकि अधिकारियों को इनकी जानकारी होने के बावजूद भी वे कुंभकर्णी नींद में सोए रहते हैं। जनता द्वारा इनको जानकारी देने के बाद भी वे सिर्फ अपनी ढफली अपना राग अलापते नजर आते हैं। अधिकारी कहते फिरते हैं कि काम तो कर रहें है जो काम हमारा नहीं है वो काम हम क्यों करें। लेकिन अधिकारी अपने काम को भी नजरअंदाज करने पीछे नहीं रहते।

बेरियर चौक से स्टेशन रोड तक रोड में हजारों जानलेवा गड्ढ़़े बन गए हैं बावजूद जिले के किसी भी अधिकारी की नजर उन गड्ढ़ों पर नहीं है वहीं नगर के अंदर भी रोड की हालात अपना दर्द खुद बयां कर रही है लेकिन अधिकारियों की कुंभकर्णी नींद शायद ही खत्म हो। मैने तो नहीं बनाया है तो मरम्मत मैं क्यों करूं वाले शब्दों से जनता को शायद ही कोई बचा पाए। जनता मरती है तो मरने दो उससे इन अधिकारियों का कोई लेना देना नहीं है। दुसरी ओर चुनावी सीजन आने वाला है कईयों के जुबान से तो यही सुनने को मिल रहा है फलां ने खबर छपवाया होगा।

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चांपा। नगर में इन दिनों लगातार दुर्घटना हो रही है। कहीं सड़कों में जानलेवा गड़ढ़े तो कहीं आवारा मवेशी के रोड में घुमने से रोजाना कोई ना कोई इनकी चपेट में आ रहा है। लेकिन जनता के लिए नौकरी कर रहे अधिकारी सिर्फ अपनी जेबे भरने का इंतजार करते रहते हैं। जब तक अधिकारियों की जेबे गर्म ना हो तब तक प्रशासनिक संस्था में कागजें इधर से उधर नहीं पहुंचते। नगर में आए दिन दुर्घटना का प्रमुख कारण अधिकारियों की मनमानी और तानाशाही रवैया माना जा सकता है क्योंकि अधिकारियों को इनकी जानकारी होने के बावजूद भी वे कुंभकर्णी नींद में सोए रहते हैं। जनता द्वारा इनको जानकारी देने के बाद भी वे सिर्फ अपनी ढफली अपना राग अलापते नजर आते हैं। अधिकारी कहते फिरते हैं कि काम तो कर रहें है जो काम हमारा नहीं है वो काम हम क्यों करें। लेकिन अधिकारी अपने काम को भी नजरअंदाज करने पीछे नहीं रहते। बेरियर चौक से स्टेशन रोड तक रोड में हजारों जानलेवा गड्ढ़़े बन गए हैं बावजूद जिले के किसी भी अधिकारी की नजर उन गड्ढ़ों पर नहीं है वहीं नगर के अंदर भी रोड की हालात अपना दर्द खुद बयां कर रही है लेकिन अधिकारियों की कुंभकर्णी नींद शायद ही खत्म हो। मैने तो नहीं बनाया है तो मरम्मत मैं क्यों करूं वाले शब्दों से जनता को शायद ही कोई बचा पाए। जनता मरती है तो मरने दो उससे इन अधिकारियों का कोई लेना देना नहीं है। दुसरी ओर चुनावी सीजन आने वाला है कईयों के जुबान से तो यही सुनने को मिल रहा है फलां ने खबर छपवाया होगा।
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