तीर कमान (वासु सोनी)। इसकी टोपी उसके सर! शायद यही मलाल रहेगा जिंदगी भर…चलो दशहरा भी मन गया और कांड भी दब गया…लेकिन एक बात समझ नहीं आई…लिफ्टर वाले ने इतना बड़ा रिस्क कैसे ले लिया और तीन लोगों को बैठा लिया उपर से उपर ही उपर घुमा भी दिया…फिर क्या धड़ाम…अब पुलिस ने भी धड़ाम से लगा दिया…अब सवालों का बौछार है लेकिन सबसे पहली बात मरीज का इलाज भी जारी है…चंदे का सहारा भी है…अनुमति भी सही है…साहब भी उपस्थित थे…तो फिर गिरा किसकी अनुमति से सवाल यही है…चलो कम से कम उत्सव तो पूरा हो गया…लेकिन अब मरीज और लिफ्टर चालक का क्या होगा…ये समझ से परे है…उपर से कई लोग ताना भी मार रहे…लेकिन गलती कहां है अधिकारियों के भंवर जाल में उलझ गया बेचारा लिफ्टर चालक…साहब ने तो दशानन खड़े करने भेजा था तो किसकी अनुमति से भगवान रूप को चढ़ा लिया…हवा ही हवा है भाई लेकिन समझ से परे है…सवाल आखिर तक रहेगा…बने रहिए…