वासु सोनी (तीर कमान) : अब ये भी सुन लीजिए…साहब है तो तानाशाही तो झाड़ेंगे ही…कौन क्या कर सकता है? लेकिन छपने छापने वाले ने पूछ लिया साहब! जब मरेंगे तभी भरेंगे क्या? तो साहब भी भन्ना गए कहा मेरे पालिका का रोड थोड़ी है राजमार्ग वाले जाने…तो छापने वाले ने भी राजमार्ग वाले से पूछ लिया तो वो साहब भी भन्ना गए…अब समझ ये नहीं आ रहा ये भन्ना भन्नी के चक्कर में कोई मर जाए…तो रोड है किसका…पालिका ने डामर क्या चढ़ा दिया राजमार्ग वाले भन्ना गए है लेकिन गड्ढे भी ऐसे की कोई ना कोई जरूर मर सकता है…अब आता है मामला कि रोड पालिका एजेंसी से किसने बनाया…अब इंजीनियर की बारी थी तो पालिका अध्यक्ष भन्ना गए…लेकिन शाख भी तो बचानी है ये भन्ना भन्नी के चक्कर और साख बचाने के चक्कर में कोई निपट जाए तो फिर भन्ना भन्नी चलती रहेगी…अपना क्या लेकिन रोड है किसका ये सवाल जरूर रहेगा…