छत्तीसगढमेसर्स अकलसरा डोलोमाइट क्वारी की पर्यावरणीय जनसुनवाई, ग्रामीणों ने कहा दलाली करना...

मेसर्स अकलसरा डोलोमाइट क्वारी की पर्यावरणीय जनसुनवाई, ग्रामीणों ने कहा दलाली करना छोड़ दीजिए साहब…नही खुलने देंगे खदान…

वासु सोनी सक्ति। मेसर्स अकलसरा डोलोमाइट क्वारी की पर्यावरणीय जनसुनवाई शुक्रवार को शासकीय अनुसूचित जनजाति कन्या आश्रम के परिसर में आयोजित किया गया। जहां सक्ति जिला के रचित अग्रवाल द्वारा खोला जा रहा मेसर्स अकलसरा डोलोमाइट क्वारी की जनसुनवाई रखी गई। अधिकारी भी पहुंचे और ग्रामीण भी पहुंचे साथ में खदान संचालक के लोग भी पहुंचे। करीब 11 बजे जनसुनवाई शुरू भी हो गई। कुछ समय तक परिसर खाली रहा धीरे धीरे ग्रामीणों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ। सभी अपने आवेदन जमा करने लगे कुछ खदान खुलने का समर्थन दे रहे थे तो अधिकतर लोगों ने खदान नही खोलने का आवेदन दिया। जनसुनवाई में सक्ति जिला से पहुंचे अधिकारियों ने बताया कि लगभग 65 दावा आपत्ति प्राप्त हुए है और 50 लोगों ने मौखिक रूप से अपनी बात रखी है। फिलहाल कुछ हो हल्ला के बीच शांतिपूर्ण तरीके से जनसुनवाई संपन्न हो गई।

क्या कहा जनप्रतिनिधियों ने…

पर्यावरणीय जनसुनवाई में पहुंचे जनप्रतिनिधि अनुभव तिवारी ने खदान खोले जाने का विरोध किया। वही अधिकारियों के कान खड़े करने वाले बातों ने अधिकारियों की चुप्पी को गुस्से में तब्दील कर दिया लेकिन जनसुनवाई में पहुंचे अधिकारी अपनी धज्जियां उड़ते देख कुछ ना बोल पाए। जल, जंगल, जमीन, रोड, पर्यावरण, गांव की समस्या सहित तमाम बातों को लेकर अनुभव तिवारी ने अपना विरोध दर्ज किया। जिसका गांव वालों ने पूरा समर्थन दिया। वहीं जनप्रतिनिधि चौलेश्वर चंद्राकर ने भी गांव की समस्या, पर्यावरण प्रदूषण, जल प्रदूषण, खदान के धमाकों से होने वाले नुकसान के बारे में बताते हुए खदान नही खोले जाने का विरोध किया। समाजसेविका आशा साव ने भी जनसुनवाई में अपना विरोध दर्ज करवाया और कहा कि खदान खुलने से गांव के लोगो को सड़क, नाली, पानी, प्रदूषण, खदान में होने वाले धमाकों से ग्रामीणों सहित उनके परिवार के लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। कुछ समय पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी ने भी स्वीकृत खदान के पास स्थित माता के मंदिर भी आई थी वह भी खदान खुलने की भेट चढ़ जायेगी।

ग्रामीणों ने कहा दलाली छोड़ दीजिए साहब…

जनसुनवाई में ग्रामीणों का विरोध कुछ अलग ही अंदाज में नजर आ रहा था। वे सभी खुले रूप से अधिकारियों पर दलाली करने का आरोप लगाते नजर आए। ग्रामीणों ने खदान खुलने से समस्याएं तो गिनाई लेकिन उससे ज्यादा जनसुनवाई में पहुंचे अधिकारियों को ही आड़े हाथ ले लिया। खदान खुलने का विरोध कर रहे ग्रामीणों ने कहा यह जनसुनवाई सिर्फ एक दिखावा है। ग्रामीणों ने कहा हमारे विरोध के बावजूद अंदर ही अंदर सेटिंग कर खदान खोल दिया जायेगा। जिससे खदान मालिक एसी कमरे में सोएंगे और हम गरीब सिर्फ रोएंगे।

ग्रामीणों से ज्यादा दिखे पुलिस जवान…

जनसुनवाई में हमेशा विवाद होता है जिससे निपटने अधिकारियों को पुलिस की सहायता लेनी पड़ती है। लेकिन अकलसरा गांव की जनसुनवाई में ग्रामीणों से ज्यादा पुलिस के अधिकारी और जवान नजर आए। जिससे जनसुनवाई परिसर छावनी में तब्दील नजर आ रहा था।

आखिर कौन खिला रहा था खाना और किसकी थी व्यवस्था…

जनसुनवाई परिसर में पंडाल के पीछे खाना खाने की व्यवस्था भी रखी गई थी। लेकिन यह समझ से परे था कि जनसुनवाई शासन की थी तो खाने की व्यवस्था खदान संचालक क्यों देख रहे थे। आखिर जनसुनवाई में पहुंचे लोगो के खाने की व्यवस्था किसकी थी। फिलहाल सभी ने खाने का आनंद भी लिया।

अब देखना यह है कि ग्रामीणों के विरोध के बाद स्वीकृत खदान का क्या होगा? क्या रचित अग्रवाल द्वारा खोले जा रहे मेसर्स अकलसरा डोलोमाइट क्वारी से ग्रामीणों को नुकसान होगा या नहीं ये देखने वाली बात होगी? विरोध के बावजूद क्या खदान खुलेगा? क्या अधिकारियों पर ग्रामीणों द्वारा लगाए गए आरोप सही होंगे?

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वासु सोनी सक्ति। मेसर्स अकलसरा डोलोमाइट क्वारी की पर्यावरणीय जनसुनवाई शुक्रवार को शासकीय अनुसूचित जनजाति कन्या आश्रम के परिसर में आयोजित किया गया। जहां सक्ति जिला के रचित अग्रवाल द्वारा खोला जा रहा मेसर्स अकलसरा डोलोमाइट क्वारी की जनसुनवाई रखी गई। अधिकारी भी पहुंचे और ग्रामीण भी पहुंचे साथ में खदान संचालक के लोग भी पहुंचे। करीब 11 बजे जनसुनवाई शुरू भी हो गई। कुछ समय तक परिसर खाली रहा धीरे धीरे ग्रामीणों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ। सभी अपने आवेदन जमा करने लगे कुछ खदान खुलने का समर्थन दे रहे थे तो अधिकतर लोगों ने खदान नही खोलने का आवेदन दिया। जनसुनवाई में सक्ति जिला से पहुंचे अधिकारियों ने बताया कि लगभग 65 दावा आपत्ति प्राप्त हुए है और 50 लोगों ने मौखिक रूप से अपनी बात रखी है। फिलहाल कुछ हो हल्ला के बीच शांतिपूर्ण तरीके से जनसुनवाई संपन्न हो गई। क्या कहा जनप्रतिनिधियों ने... पर्यावरणीय जनसुनवाई में पहुंचे जनप्रतिनिधि अनुभव तिवारी ने खदान खोले जाने का विरोध किया। वही अधिकारियों के कान खड़े करने वाले बातों ने अधिकारियों की चुप्पी को गुस्से में तब्दील कर दिया लेकिन जनसुनवाई में पहुंचे अधिकारी अपनी धज्जियां उड़ते देख कुछ ना बोल पाए। जल, जंगल, जमीन, रोड, पर्यावरण, गांव की समस्या सहित तमाम बातों को लेकर अनुभव तिवारी ने अपना विरोध दर्ज किया। जिसका गांव वालों ने पूरा समर्थन दिया। वहीं जनप्रतिनिधि चौलेश्वर चंद्राकर ने भी गांव की समस्या, पर्यावरण प्रदूषण, जल प्रदूषण, खदान के धमाकों से होने वाले नुकसान के बारे में बताते हुए खदान नही खोले जाने का विरोध किया। समाजसेविका आशा साव ने भी जनसुनवाई में अपना विरोध दर्ज करवाया और कहा कि खदान खुलने से गांव के लोगो को सड़क, नाली, पानी, प्रदूषण, खदान में होने वाले धमाकों से ग्रामीणों सहित उनके परिवार के लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। कुछ समय पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी ने भी स्वीकृत खदान के पास स्थित माता के मंदिर भी आई थी वह भी खदान खुलने की भेट चढ़ जायेगी। ग्रामीणों ने कहा दलाली छोड़ दीजिए साहब... जनसुनवाई में ग्रामीणों का विरोध कुछ अलग ही अंदाज में नजर आ रहा था। वे सभी खुले रूप से अधिकारियों पर दलाली करने का आरोप लगाते नजर आए। ग्रामीणों ने खदान खुलने से समस्याएं तो गिनाई लेकिन उससे ज्यादा जनसुनवाई में पहुंचे अधिकारियों को ही आड़े हाथ ले लिया। खदान खुलने का विरोध कर रहे ग्रामीणों ने कहा यह जनसुनवाई सिर्फ एक दिखावा है। ग्रामीणों ने कहा हमारे विरोध के बावजूद अंदर ही अंदर सेटिंग कर खदान खोल दिया जायेगा। जिससे खदान मालिक एसी कमरे में सोएंगे और हम गरीब सिर्फ रोएंगे। ग्रामीणों से ज्यादा दिखे पुलिस जवान... जनसुनवाई में हमेशा विवाद होता है जिससे निपटने अधिकारियों को पुलिस की सहायता लेनी पड़ती है। लेकिन अकलसरा गांव की जनसुनवाई में ग्रामीणों से ज्यादा पुलिस के अधिकारी और जवान नजर आए। जिससे जनसुनवाई परिसर छावनी में तब्दील नजर आ रहा था। आखिर कौन खिला रहा था खाना और किसकी थी व्यवस्था... जनसुनवाई परिसर में पंडाल के पीछे खाना खाने की व्यवस्था भी रखी गई थी। लेकिन यह समझ से परे था कि जनसुनवाई शासन की थी तो खाने की व्यवस्था खदान संचालक क्यों देख रहे थे। आखिर जनसुनवाई में पहुंचे लोगो के खाने की व्यवस्था किसकी थी। फिलहाल सभी ने खाने का आनंद भी लिया। अब देखना यह है कि ग्रामीणों के विरोध के बाद स्वीकृत खदान का क्या होगा? क्या रचित अग्रवाल द्वारा खोले जा रहे मेसर्स अकलसरा डोलोमाइट क्वारी से ग्रामीणों को नुकसान होगा या नहीं ये देखने वाली बात होगी? विरोध के बावजूद क्या खदान खुलेगा? क्या अधिकारियों पर ग्रामीणों द्वारा लगाए गए आरोप सही होंगे?
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