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8 साल से महिला ऑपरेटर जिला कार्यालय में संलग्न…एसडीएम साहब को भी नहीं जानकारी, मतदाता सूची में नाम जोड़वाने भटक रहे पामगढ़ के मतदाता

जांजगीर-चांपा। पामगढ़ विधानसभा में मतदाताओं को अपना नाम जुड़वाने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ता है फिर भी नाम नही जुड़ पा रहा है क्योंकि वहाँ आठ साल से कंप्यूटर आपरेटर ही नही है। वहाँ के कंप्यूटर आपरेटर को जिला निर्वाचन कार्यालय में संलग्न कर दिया गया है इस बीच दो बार विधानसभा व लोकसभा चुनाव हो गए फिर भी पामगढ़ तहसील कंप्यूटर विहीन है। पामगढ़ एसडीएम कार्यालय में आठ साल पहले कंप्यूटर आपरेटर श्रीमती विजयलक्ष्मी कांत की भर्ती की गई है लेकिन वह पामगढ़ में काम करने के बजाय जिला निर्वाचन में काम कर रही है जिसके कारण पामगढ़ तहसील के मतदाताओं को नाम जुड़वाने के लिए जिला निर्वाचन कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है तो कभी तहसील कार्यालय का फिर भी नाम नही जुड़ पा रहा है। लोग तहसीलदार के पास जाते है तो वे बीएलओ के पास या जिला कार्यालय भेज देते है जिससे उन्हें काफी परेशानी होती है। एक ओर प्रशासन चुनाव पूर्व मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए स्वीप कार्यक्रम जैसे अभियान चलाकर नाम जुड़वाने लोगों को प्रेरित करती है लेकिन उन्हें नाम जुड़वाने के लिए सुविधा नही दी जा रही है। ऐसे में स्वीप कार्यक्रम जैसे अभियान की सार्थकता पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है।

न तो एसडीएम सुनते न तहसीलदार

8 साल से पामगढ़ में कंप्यूटर आपरेटर नही है। लोग अपना नाम जुड़वाने चक्कर लगा रहे है इसके बाद भी लोगो की परेशानी न तो एसडीएम सुनते है और न ही तहसीलदार जिससे लोगो को काफी परेशानी हो रही है।

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जांजगीर-चांपा। पामगढ़ विधानसभा में मतदाताओं को अपना नाम जुड़वाने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ता है फिर भी नाम नही जुड़ पा रहा है क्योंकि वहाँ आठ साल से कंप्यूटर आपरेटर ही नही है। वहाँ के कंप्यूटर आपरेटर को जिला निर्वाचन कार्यालय में संलग्न कर दिया गया है इस बीच दो बार विधानसभा व लोकसभा चुनाव हो गए फिर भी पामगढ़ तहसील कंप्यूटर विहीन है। पामगढ़ एसडीएम कार्यालय में आठ साल पहले कंप्यूटर आपरेटर श्रीमती विजयलक्ष्मी कांत की भर्ती की गई है लेकिन वह पामगढ़ में काम करने के बजाय जिला निर्वाचन में काम कर रही है जिसके कारण पामगढ़ तहसील के मतदाताओं को नाम जुड़वाने के लिए जिला निर्वाचन कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है तो कभी तहसील कार्यालय का फिर भी नाम नही जुड़ पा रहा है। लोग तहसीलदार के पास जाते है तो वे बीएलओ के पास या जिला कार्यालय भेज देते है जिससे उन्हें काफी परेशानी होती है। एक ओर प्रशासन चुनाव पूर्व मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए स्वीप कार्यक्रम जैसे अभियान चलाकर नाम जुड़वाने लोगों को प्रेरित करती है लेकिन उन्हें नाम जुड़वाने के लिए सुविधा नही दी जा रही है। ऐसे में स्वीप कार्यक्रम जैसे अभियान की सार्थकता पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है। न तो एसडीएम सुनते न तहसीलदार

8 साल से पामगढ़ में कंप्यूटर आपरेटर नही है। लोग अपना नाम जुड़वाने चक्कर लगा रहे है इसके बाद भी लोगो की परेशानी न तो एसडीएम सुनते है और न ही तहसीलदार जिससे लोगो को काफी परेशानी हो रही है।

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