वासु सोनी चांपा। जांजगीर चांपा जिले में अगर रेत चोरी करना हो तो रायल्टी की कोई जरूरत नहीं। सिर्फ एक ट्रेक्टर, दो मजदूर और आराम से रेत चोरी। रोड में आपको अगर बचना है तो सिर्फ खनिज विभाग के मुखबिरों से, क्योंकि चोरी की रेत ले जाना बड़ा ही आसान काम है। अब समझना ऐसे है कि जिले में रेत का कारोबार करने वाले या फिर रेत माफिया बड़े ही आसान तरीके रोजाना हजारों ट्रेक्टर और ट्रक में भरकर रेत ले जाते है। इनको रोकने का काम खनिज विभाग के नुमाइंदों का है लेकिन वे भी सिर्फ शिकायत का इंतजार करते रहते हैं। जब तक कोई शिकायत ना करें वे बड़े ही आराम से अपने कार्यालय में व्यस्त रहते हैं। रेत चोरी की अगर शिकायत हो भी जाए तो बड़े साहब टीम भेजकर कार्रवाई करने में कोई कसर नहीं छोड़ते, उसके बाद फिर से शिकायत का इंतजार।
आपको बता दें कि बरसात के दिनों में एनजीटी के नियम अनुसार नदी से रेत निकालना प्रतिबंधित होता है। जिसके तहत रेत चोरी करने वाले को अर्थदंड सहित कानूनी सजा का प्रावधान है। लेकिन जब आप जांजगीर चांपा जिले की सड़क में निकलेंगे तो आप देखेंगे कि बरसात के दिनों में ही अधिक से अधिक रेत चोरी का कार्य चल रहा है। रेत माफिया रोजाना हजारों ट्रेक्टर रेत बड़ी ही आसानी से निकलवाकर अधिक दामों में बेच रहे हंै। वहीं दूसरी ओर कई स्थानों पर रेत का ढ़ेर भी आपको देखने को मिल जाएगा, बावजूद खनिज विभाग के आला अधिकारी कार्रवाई करने से कतराते हैं क्योंकि उन्हें शिकायत नहीं मिलती। जब तक शिकायत नहीं मिलेगी तब तक वे किसी भी प्रकार से कार्रवाई नहीं करेंगे।
फिलहाल बरसात के दिनों में रोजाना जिले की सड़कों में रेत से भरे ट्रेक्टर अपने मालिक और संचालकों के नाम पर फर्राटे भरते नजर आते है। आपको यह भी जानकारी देते हैं कि रेत का परिवहन करने वाले अधिक से अधिक ट्रेक्टर बिना नंबर के उपयोग किए जाते हैं जिसमें अगर कोई बड़ी घटना घट भी जाए तो ड्रायवर और मालिक दोनों को कोई नुकसान ना पहुंचे और वे कार्रवाई से बड़ी ही आसानी से बच निकले।
जब नहीं चलती गाड़ियां तब करते हैं जांच
खबर यह भी सामने आ रही है कि जब विभाग अपने उच्च अधिकारियों के निर्देश पर टीम गठित कर खनिज या रेत चोरी की जांच करने निकलती है तब अधिक से अधिक दो-चार गाड़ियां ही पकड़ में आती है। जिससे यह लगता है सिर्फ खानापूर्ति के नाम पर जांच की कार्रवाई की जा रही हो।
अब देखना यह है कि खनिज विभाग बरसात के दिनों में रेत चोरी करने वालों पर कार्रवाई करती है या सिर्फ खानापूर्ति के नाम पर जांच कर बचने की कोशिश करती है।