वासु सोनी चांपा। मौत से अगर दो-दो हाथ करना हो तो चांपा स्टेशन के समीप बने वाय ओवरब्रिज से एक बार घुम कर आएं। क्योंकि वाय ओवरब्रिज को बने महज कुछ ही साल हुए हैं लेकिन ब्रिज के ढ़ांचे खुलेआम मौत को न्यौता दे रहे हैं। वहीं उस वाय ओवरब्रिज से लगभग रोजाना कई अधिकारी कर्मचारी भी गुजरते हैं लेकिन जब तक किसी की मौत ना हो जाए शायद ही किसी अधिकारी की आंख खुले।
आपको बता दें कि साल 2021 के लगभग बिना किसी विधिवत शुभारंभ के वाय ओवरब्रिज को चालू कर दिया गया। अब लगभग तीन साल बीत जाने के बाद भी ठेकेदार ब्रजेश अग्रवाल अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहा है। अधिकारियों द्वारा ठेकेदार ब्रजेश अग्रवाल को कई बार नोटिस भी दी गई कि वाय ओवरब्रिज के आधे अधूरे निर्माण और ब्रिज की समस्त खराबी को दूर करे। बावजूद ठेकेदार ब्रजेश अग्रवाल अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहा।
जब सेतू निगम के अधिकारी रमेश कुमार वर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ठेकेदार ब्रजेश अग्रवाल को अंतिम नोटिस दिया गया है इसके बाद भी अगर ठेकेदार द्वारा कार्य पूर्ण नहीं किया जाता है तो उनकी लेनदेन की संपूर्ण राशि विभाग द्वारा रोक दी जायेगी और उसी रोके गए राशि से दोबारा टेंडर की प्रक्रिया जारी की जाएगी।
वाय ओवरब्रिज का टेंडर लगभग 28 करोड़ का था। अब देखना यह है कि ठेकेदार विभाग की बात मानकर कार्य पूर्ण करता है या फिर सेतु विभाग कार्रवाई कर ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट करेगा।
खराब मटेरियल का किया गया उपयोग
चांपा रेलवे स्टेशन के समीप बने वाय शेप ओवरब्रिज बनने के पहले भी टूट चुका था, जिसे दोबारा बनाकर ब्रिज का निर्माण किया गया। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि इतने खराब मटेरियल का उपयोग करने के बाद भी सेतु विभाग के इंजीनियर अपनी आंख मूंदकर वाय शेप ओवरब्रिज का निर्माण देख रहे थे। लिहाजा वाय शेप ओवरब्रिज बनने के महज दो से तीन साल के अंदर ही ब्रिज का ढांचा बाहर आ गया है। जिससे कभी भी बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती है। लेकिन विभाग के नुमाइंदों को उससे कोई सरोकार नहीं है।
सेतु विभाग के इंजीनियर को कमीशन से मतलब है । ठेकेदार भी जब रिश्वत दिया है तो कुछ आय अपना भी करेगा । छत्तीसगढ़ शासन भी 50 प्रतिशत लिया है । ये बात भी कांग्रेस के नेता ही बोलते है ।