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बाहरी ठेकेदारों का काम रुकवाया भूविस्थापित किसानों ने, एन टी पी सी सीपत का मामला

 

बिलासपुर| एनटीपीसी सीपत में किसानों की जमीन अधिग्रहण कर उन्हे नौकरी नहीं दिए जाने का मामला शायद ही सुलझ पाएगा क्योंकि प्रबंधन भूविस्थापितो को नौकरी नहीं दे पा रही ही ऐसा कहना है किसानों का। वही दूसरी ओर किसानों ने प्रबंधन पर यह भी आरोप लगाया है कि बाहर के लोगों को यहां नौकरी कैसे दी जा रही है?

भूविस्थापित किसानों व ग्रामीणों ने प्रबंधन के बाहरी ठेकेदार का काम रूकवाकर शांतिपूर्ण आंदोलन किया, इस दौरान विरोध प्रदर्शन कर रहे भूविस्थापित किसानों व ग्रामीणों को सीपत टीआई राजकुमार सोढ़ी एवं एनटीपीसी सीपत के अधिकारियों के काफी समझाइस दी जिसके बाद ग्रामीण शांत हुए मगर भूविस्थापित किसानों व ग्रामीणों इस मामले को लेकर कार्यवाही नहीं होने की स्थिति में आगे आंदोलन को उग्र करने की चेतावनी दिया है|

एनटीपीसी प्रभावित किसानो ग्रामीणों ने बताया कि एनटीपीसी प्रबंधन द्वारा किसानो से उनकी जमीने अधिग्रहित कर ली पिछले 20 वर्षो से प्रभावित किसानो-ग्रामीणों के सामने रोजी रोटी की समस्या बनी हुई है, एनटीपीसी प्रबंधन द्वारा प्रभावित ग्रामीणों किसानो से यह तर्ज दिया जा रहा है कि जिन प्रभावित किसान-ग्रामीणों की जमीने एक एकड़ से ऊपर जिसकी भी जमीने नहीं उन्हें प्लांट में नौकरी की पात्रता नहीं है| प्रभावित किसानो ग्रामीणों ने कहा कि एनटीपीसी प्रबंधन अगर नौकरी नहीं दे रही है तो 40 गाव के जिन किसानो व ग्रामीणों की जमीने एनटीपीसी ने अधिग्रहित नहीं की है वहां के लोगो को फिर प्लांट में नौकरी क्यों दी गई है ? प्रभावित किसानो ग्रामीणों ने एनटीपीसी प्रबंधन पर बाहरी लोगो को लाकर प्लांट में नौकरी कराने व ठेकेदारों से छत्तीसगढ़ के स्थानीय लोगो को नौकरी पर नहीं रखने का आरोप लगाया है, ग्रामीणों ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि अगर प्रभावित किसानो के परिवारों से प्रबंधन २से 3 लोगो को नौकरी पर नहीं रख रही है तो एक घर से केवल 1 सदस्य को ही नौकरी पर रख ले जिससे उनकी आर्थिक स्थिति संभल सके| प्रभावित ग्रामीण-किसानो ने कहा कि दतौरा, भिलाई, रलिया, रांख, कौड़िया, देवरी, जांजी, सीपत व कर्रा ग्राम एनटीपीसी प्रभावित ग्राम पंचायते है जहा के लोगो को प्रबंधन की मनमानी का शिकार होना पड़ रहा है कई बार एनटीपीसी प्रबंधन, प्रशासन व स्थानीय अधिकारियो से इस मामले की शिकायत कर चुके है बावजूद इसके ग्रामीणों के पक्ष में किसी भी तरह की सुनवाई नहीं हो रही है|

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  बिलासपुर| एनटीपीसी सीपत में किसानों की जमीन अधिग्रहण कर उन्हे नौकरी नहीं दिए जाने का मामला शायद ही सुलझ पाएगा क्योंकि प्रबंधन भूविस्थापितो को नौकरी नहीं दे पा रही ही ऐसा कहना है किसानों का। वही दूसरी ओर किसानों ने प्रबंधन पर यह भी आरोप लगाया है कि बाहर के लोगों को यहां नौकरी कैसे दी जा रही है? भूविस्थापित किसानों व ग्रामीणों ने प्रबंधन के बाहरी ठेकेदार का काम रूकवाकर शांतिपूर्ण आंदोलन किया, इस दौरान विरोध प्रदर्शन कर रहे भूविस्थापित किसानों व ग्रामीणों को सीपत टीआई राजकुमार सोढ़ी एवं एनटीपीसी सीपत के अधिकारियों के काफी समझाइस दी जिसके बाद ग्रामीण शांत हुए मगर भूविस्थापित किसानों व ग्रामीणों इस मामले को लेकर कार्यवाही नहीं होने की स्थिति में आगे आंदोलन को उग्र करने की चेतावनी दिया है| एनटीपीसी प्रभावित किसानो ग्रामीणों ने बताया कि एनटीपीसी प्रबंधन द्वारा किसानो से उनकी जमीने अधिग्रहित कर ली पिछले 20 वर्षो से प्रभावित किसानो-ग्रामीणों के सामने रोजी रोटी की समस्या बनी हुई है, एनटीपीसी प्रबंधन द्वारा प्रभावित ग्रामीणों किसानो से यह तर्ज दिया जा रहा है कि जिन प्रभावित किसान-ग्रामीणों की जमीने एक एकड़ से ऊपर जिसकी भी जमीने नहीं उन्हें प्लांट में नौकरी की पात्रता नहीं है| प्रभावित किसानो ग्रामीणों ने कहा कि एनटीपीसी प्रबंधन अगर नौकरी नहीं दे रही है तो 40 गाव के जिन किसानो व ग्रामीणों की जमीने एनटीपीसी ने अधिग्रहित नहीं की है वहां के लोगो को फिर प्लांट में नौकरी क्यों दी गई है ? प्रभावित किसानो ग्रामीणों ने एनटीपीसी प्रबंधन पर बाहरी लोगो को लाकर प्लांट में नौकरी कराने व ठेकेदारों से छत्तीसगढ़ के स्थानीय लोगो को नौकरी पर नहीं रखने का आरोप लगाया है, ग्रामीणों ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि अगर प्रभावित किसानो के परिवारों से प्रबंधन २से 3 लोगो को नौकरी पर नहीं रख रही है तो एक घर से केवल 1 सदस्य को ही नौकरी पर रख ले जिससे उनकी आर्थिक स्थिति संभल सके| प्रभावित ग्रामीण-किसानो ने कहा कि दतौरा, भिलाई, रलिया, रांख, कौड़िया, देवरी, जांजी, सीपत व कर्रा ग्राम एनटीपीसी प्रभावित ग्राम पंचायते है जहा के लोगो को प्रबंधन की मनमानी का शिकार होना पड़ रहा है कई बार एनटीपीसी प्रबंधन, प्रशासन व स्थानीय अधिकारियो से इस मामले की शिकायत कर चुके है बावजूद इसके ग्रामीणों के पक्ष में किसी भी तरह की सुनवाई नहीं हो रही है|
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