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मुखिया मुख सो चाहिए खान पान को एक- राजेश्री महन्त रामसुंदर दास, रचि महेश निज मानस राखा, पाई सुसमय शिवा सन भाषा, हटरी चौक चांपा में आयोजित नवधा रामायण में शामिल हुए अध्यक्ष गौ सेवा आयोग

जांजगीर चांपा। छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज अपने एकदिवसीय जांजगीर-चांपा जिला प्रवास के दौरान चांपा नगर के हटरी चौक में आयोजित नवधा रामायण के कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। यहां पहुंचने पर आयोजक मंडल के द्वारा उनका बड़े ही आत्मीयता पूर्वक स्वागत किया गया राजेश्री महन्त जी महाराज ने सबसे पहले माता दुर्गा मंदिर में तथा उसके पश्चात शिव मंदिर में पहुंचकर भगवान की पूजा अर्चना की, आयोजन समिति की ओर से उनका सम्मान गमछा एवं श्रीफल भेंट करके किया गया। इस अवसर पर उपस्थित श्रोताओं को अपना आशीर्वाचन प्रदान करते हुए राजेश्री महन्त जी महाराज ने कहा कि हमें अपने जीवन में दान उचित पात्र को ही देना चाहिए उचित पात्र को दिया गया दान ही सार्थक होता है। दान चाहे कन्यादान हो, विद्यादान हो या कोई और भी क्यों न हो? हमेशा योग्य पात्र को देना चाहिए। भगवान शंकर ने अपने मानस पटल में श्रीरामचरितमानस की रचना करके उसे ही धारण किया था। उन्हें भी उचित पात्र की तलाश थी उन्हें एक दिन ऐसा लगा कि माता पार्वती योग्य पात्र हैं। उन्होंने श्री रामचरितमानस की कथा उन्हें सुनाया, माता पार्वती ने भी यह कथा केवल अपने तक सीमित नहीं रखा बल्कि इसे जन-जन तक पहुंचाया यही कारण है कि आज हम और आप सभी श्री रामचरितमानस को कथा का रसपान कर पा रहे हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने श्री रामचरितमानस में लिखा है कि -रचि महेश निज मानस राखा पाई सुसमय शिवा सन भाखा। हमें रामचरितमानस के एक एक पंक्ति एवं चौपाई को मंत्र समझकर अपने जीवन में धारण करनी चाहिए इसे आत्मसात करनी चाहिए। गोस्वामी जी ने लिखा है प्रात उपस्थित थे।

काल उठिके रघुनाथा मातृ पिता गुरु नावहिं माथा अर्थात इस ब्रह्मांड की रचना करने वाले परमपिता परमेश्वर भी प्रातः काल सो कर उठ करके अपने माता- पिता और गुरुजनों को साष्टांग प्रणाम किया करते थे। यह संस्कार आज हम लोग अपने बच्चों को प्रदान नहीं कर पा रहे हैं, इस ओर हम सभी को ध्यान अवश्य देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि संसार की समस्त समस्याओं का समाधान रामचरितमानस की सहायता से किया जा सकता है, मुखिया को मुख के समान होना चाहिए। इस अवसर पर विशेष रूप से भागवताचार्य दिनेश दुबे, नवधा आयोजन समिति के अध्यक्ष मनोज मित्तल, अनिल सोनी, कमलेश सिंह, नागेंद्र गुप्ता, शैलेश शर्मा, कुलवंत सलूजा, अवधेश शुक्ला, श्री विश्वकर्मा जी, काली दास महंत, मीडिया प्रभारी निर्मल दास वैष्णव, हर्ष दुबे सहित स्थानीय नागरिक व पुलिस प्रशासन के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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जांजगीर चांपा। छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज अपने एकदिवसीय जांजगीर-चांपा जिला प्रवास के दौरान चांपा नगर के हटरी चौक में आयोजित नवधा रामायण के कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। यहां पहुंचने पर आयोजक मंडल के द्वारा उनका बड़े ही आत्मीयता पूर्वक स्वागत किया गया राजेश्री महन्त जी महाराज ने सबसे पहले माता दुर्गा मंदिर में तथा उसके पश्चात शिव मंदिर में पहुंचकर भगवान की पूजा अर्चना की, आयोजन समिति की ओर से उनका सम्मान गमछा एवं श्रीफल भेंट करके किया गया। इस अवसर पर उपस्थित श्रोताओं को अपना आशीर्वाचन प्रदान करते हुए राजेश्री महन्त जी महाराज ने कहा कि हमें अपने जीवन में दान उचित पात्र को ही देना चाहिए उचित पात्र को दिया गया दान ही सार्थक होता है। दान चाहे कन्यादान हो, विद्यादान हो या कोई और भी क्यों न हो? हमेशा योग्य पात्र को देना चाहिए। भगवान शंकर ने अपने मानस पटल में श्रीरामचरितमानस की रचना करके उसे ही धारण किया था। उन्हें भी उचित पात्र की तलाश थी उन्हें एक दिन ऐसा लगा कि माता पार्वती योग्य पात्र हैं। उन्होंने श्री रामचरितमानस की कथा उन्हें सुनाया, माता पार्वती ने भी यह कथा केवल अपने तक सीमित नहीं रखा बल्कि इसे जन-जन तक पहुंचाया यही कारण है कि आज हम और आप सभी श्री रामचरितमानस को कथा का रसपान कर पा रहे हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने श्री रामचरितमानस में लिखा है कि -रचि महेश निज मानस राखा पाई सुसमय शिवा सन भाखा। हमें रामचरितमानस के एक एक पंक्ति एवं चौपाई को मंत्र समझकर अपने जीवन में धारण करनी चाहिए इसे आत्मसात करनी चाहिए। गोस्वामी जी ने लिखा है प्रात उपस्थित थे। काल उठिके रघुनाथा मातृ पिता गुरु नावहिं माथा अर्थात इस ब्रह्मांड की रचना करने वाले परमपिता परमेश्वर भी प्रातः काल सो कर उठ करके अपने माता- पिता और गुरुजनों को साष्टांग प्रणाम किया करते थे। यह संस्कार आज हम लोग अपने बच्चों को प्रदान नहीं कर पा रहे हैं, इस ओर हम सभी को ध्यान अवश्य देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि संसार की समस्त समस्याओं का समाधान रामचरितमानस की सहायता से किया जा सकता है, मुखिया को मुख के समान होना चाहिए। इस अवसर पर विशेष रूप से भागवताचार्य दिनेश दुबे, नवधा आयोजन समिति के अध्यक्ष मनोज मित्तल, अनिल सोनी, कमलेश सिंह, नागेंद्र गुप्ता, शैलेश शर्मा, कुलवंत सलूजा, अवधेश शुक्ला, श्री विश्वकर्मा जी, काली दास महंत, मीडिया प्रभारी निर्मल दास वैष्णव, हर्ष दुबे सहित स्थानीय नागरिक व पुलिस प्रशासन के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
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