छत्तीसगढपटवारियों के प्रांत स्तरीय अनिश्चित कालीन आंदोलन से आम जनता परेशान...नहीं हो...

पटवारियों के प्रांत स्तरीय अनिश्चित कालीन आंदोलन से आम जनता परेशान…नहीं हो रहे है राजस्व संबंधी काम…काले कपड़े पहन कर प्रदेश भर के साढ़े पांच हज़ार पटवारियों ने किया प्रदर्शन …

बिलासपुर। राजस्व पटवारी संघ के अनिश्चित कालीन प्रांतव्यापी आंदोलन का मंगलवार को 16 वां दिन रहा। पटवारी कार्यालय बन्द होने एवं कलम बंद हड़ताल से तहसील, राजस्व निरीक्षक मंडल, रजिस्ट्री ऑफिस सभी सूने पड़े हुए है।राजस्व सहित पटवारियों से जुड़े तमाम काम बंद ठप्प पड़ गए है।आम जनता के सभी काम प्रभावित हो रहे है उसके बावजूद हड़ताल खत्म कराने शासन की ओर से पहल नहीं हो रही है,जिससे पटवारियों का यह अनिश्चित कालीन धरना आंदोलन के लंबा खिंचने के आसार नज़र आ रहे है। मंगलवार को इसी संबंध में पटवारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष भागवत कश्यप ने बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए जानकारी दी कि अगर पटवारियों की मांग पूरी नही होती है और अनिश्चित कालीन आंदोलन लंबे समय तक चलता है तो आम जनता, ग्रामीण, विद्यार्थी के साथ साथ राजस्व विभाग से जुड़े सभी विभागों के कार्य सर्वाधिक प्रभावित होंगे। इस आंदोलन से शासन को राजस्व की क्षति भी होगी। उन्होंने बताया कि उनकी प्रमुख मांग पदोन्नति, वेतन विसंगति, संसाधन, स्टेशनरी भत्ता, नेट भत्ता, मुख्यालय निवास की अनिवार्यता समाप्त किए जाने संबंधी, अतिरिक्त हल्के का प्रभार के लिए 50 प्रतिशत वेतन के अनुपात में राशि एवम सबसे महत्वपूर्ण मांग प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज न किए जाने जब तक की विभागीय जांच निष्पक्षता से न हो जाए। पटवारियों की ये मांगे बहुत लंबे समय से आश्वासन के दम पर खिंचती चली आ रही है। वर्ष 2020 में भी आश्वाशन मिला था जिस पर पहल आज दिनांक तक नही हो पाया है, जिसके कारण पटवारियों को इस भीषण गर्मी में धरना आंदोलन करने की नौबत आई है। उन्होंने बताया कि यही कारण है कि उन्होंने काले कपड़े पहन कर काला दिवस मनाते हुए आंदोलन किया है। उनके आंदोलन के कारण विभिन्न कार्य जैसे जाति, निवास, आमदनी, नामांतरण, सीमांकन, बटवारा यहां तक के निर्वाचन कार्य भी रुक गए है, जिससे आने वाले दिनों में सभी को खासी परेशानी होने वाली है। उन्होंने जानकारी दी की लगभग 59 हज़ार नामांतरण वर्तमान में पेंडिंग हो गए। इसी तरह दूसरे कार्यों की पेंडेंसी भी बढ़ती जा रही है, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रांत अध्यक्ष भागवत कश्यप के अनुसार उक्त हड़ताल किसी प्रकार के आश्वासन पर अब खत्म नहीं होगी। इस बार आर या पार की लड़ाई हो रही है। हड़ताल के इतने दिनों के बाद भी शासन द्वारा सुध नहीं लेने के कारण अब हड़ताली पटवारी नई रणनीति पर चर्चा कर रहे हैं, जिसमें कैंडल मार्च और रायपुर स्तर पर रैली निकाल यहां तक की मुख्यमंत्री निवास घेराव की बात भी कही गई। इस मौके पर कार्यवाहक प्रांत अध्यक्ष ज्योतिष सर्वे, उपप्रांताध्यक्ष प्रमोद टंडन, प्रदेश सचिव बृजेश सिंह राजपूत, बिलासपुर संभाग अध्यक्ष अशोक कुमार बंजारे, बिलासपुर तहसील अध्यक्ष अशोक ध्रुव, उप प्रांताध्यक्ष प्रमोद टंडन, प्रांतीय सह सचिव बृजेश राजपूत, सकरी तहसील अध्यक्ष आर के सोनवानी, रतनपुर तहसील अध्यक्ष भानु चंद्राकर, सीपत से भुनेश्वर पटेल, बेलगहना से सुरेश कुमार सिंह, मस्तूरी से अभिनव गिरी गोस्वामी, बिल्हा से प्रशांत जायसवाल, बेलतरा से किशन लाल व सकरी से लक्ष्मी नारायण कुर्रे और कोटा से रेवती रमण मौजूद रहे।

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बिलासपुर। राजस्व पटवारी संघ के अनिश्चित कालीन प्रांतव्यापी आंदोलन का मंगलवार को 16 वां दिन रहा। पटवारी कार्यालय बन्द होने एवं कलम बंद हड़ताल से तहसील, राजस्व निरीक्षक मंडल, रजिस्ट्री ऑफिस सभी सूने पड़े हुए है।राजस्व सहित पटवारियों से जुड़े तमाम काम बंद ठप्प पड़ गए है।आम जनता के सभी काम प्रभावित हो रहे है उसके बावजूद हड़ताल खत्म कराने शासन की ओर से पहल नहीं हो रही है,जिससे पटवारियों का यह अनिश्चित कालीन धरना आंदोलन के लंबा खिंचने के आसार नज़र आ रहे है। मंगलवार को इसी संबंध में पटवारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष भागवत कश्यप ने बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए जानकारी दी कि अगर पटवारियों की मांग पूरी नही होती है और अनिश्चित कालीन आंदोलन लंबे समय तक चलता है तो आम जनता, ग्रामीण, विद्यार्थी के साथ साथ राजस्व विभाग से जुड़े सभी विभागों के कार्य सर्वाधिक प्रभावित होंगे। इस आंदोलन से शासन को राजस्व की क्षति भी होगी। उन्होंने बताया कि उनकी प्रमुख मांग पदोन्नति, वेतन विसंगति, संसाधन, स्टेशनरी भत्ता, नेट भत्ता, मुख्यालय निवास की अनिवार्यता समाप्त किए जाने संबंधी, अतिरिक्त हल्के का प्रभार के लिए 50 प्रतिशत वेतन के अनुपात में राशि एवम सबसे महत्वपूर्ण मांग प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज न किए जाने जब तक की विभागीय जांच निष्पक्षता से न हो जाए। पटवारियों की ये मांगे बहुत लंबे समय से आश्वासन के दम पर खिंचती चली आ रही है। वर्ष 2020 में भी आश्वाशन मिला था जिस पर पहल आज दिनांक तक नही हो पाया है, जिसके कारण पटवारियों को इस भीषण गर्मी में धरना आंदोलन करने की नौबत आई है। उन्होंने बताया कि यही कारण है कि उन्होंने काले कपड़े पहन कर काला दिवस मनाते हुए आंदोलन किया है। उनके आंदोलन के कारण विभिन्न कार्य जैसे जाति, निवास, आमदनी, नामांतरण, सीमांकन, बटवारा यहां तक के निर्वाचन कार्य भी रुक गए है, जिससे आने वाले दिनों में सभी को खासी परेशानी होने वाली है। उन्होंने जानकारी दी की लगभग 59 हज़ार नामांतरण वर्तमान में पेंडिंग हो गए। इसी तरह दूसरे कार्यों की पेंडेंसी भी बढ़ती जा रही है, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रांत अध्यक्ष भागवत कश्यप के अनुसार उक्त हड़ताल किसी प्रकार के आश्वासन पर अब खत्म नहीं होगी। इस बार आर या पार की लड़ाई हो रही है। हड़ताल के इतने दिनों के बाद भी शासन द्वारा सुध नहीं लेने के कारण अब हड़ताली पटवारी नई रणनीति पर चर्चा कर रहे हैं, जिसमें कैंडल मार्च और रायपुर स्तर पर रैली निकाल यहां तक की मुख्यमंत्री निवास घेराव की बात भी कही गई। इस मौके पर कार्यवाहक प्रांत अध्यक्ष ज्योतिष सर्वे, उपप्रांताध्यक्ष प्रमोद टंडन, प्रदेश सचिव बृजेश सिंह राजपूत, बिलासपुर संभाग अध्यक्ष अशोक कुमार बंजारे, बिलासपुर तहसील अध्यक्ष अशोक ध्रुव, उप प्रांताध्यक्ष प्रमोद टंडन, प्रांतीय सह सचिव बृजेश राजपूत, सकरी तहसील अध्यक्ष आर के सोनवानी, रतनपुर तहसील अध्यक्ष भानु चंद्राकर, सीपत से भुनेश्वर पटेल, बेलगहना से सुरेश कुमार सिंह, मस्तूरी से अभिनव गिरी गोस्वामी, बिल्हा से प्रशांत जायसवाल, बेलतरा से किशन लाल व सकरी से लक्ष्मी नारायण कुर्रे और कोटा से रेवती रमण मौजूद रहे।

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