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शराब दुकान सरकारी तो फिर वेतन क्यों देरी से, क्या आबकारी विभाग के पास फंड की कमी

बिलासपुर। छतीसगढ़ शाषन द्वारा संचालित शराब दुकान चलाई जा रही है जिसके अंतर्गत बिलासपुर जिले के शराब दुकान में काम कर रहे कर्मचारियों को 2 महीने से अधिक हो जाने पर वेतन भुगतान नही हो रहा है । जिसको लेकर आज सभी कर्मचारियों द्वारा अपनी निम्न मांगो को लेकर बिलासपुर कलेक्टर को ज्ञापन सौपा गया , ज्ञापन में मुख्य रूप से बताया गया कि 13 से 15 घंटे पूरी ईमानदारी से काम करने के बावजूद उनको पिछले 2 महीने से कोई वेतन भुगतान नही हो रहा है ऐसे में उनके लिए घर को चला पाना भी दूभर हो गया है , यहां तक कि ये भी बताया गया कि उनके जनवरी माह के वेतन से 2000 की अनावश्यक कटौती कर दी गयी ये कहकर के अगले महीने वापस दे दी जाएगी ,लेकिन जिसका अभी तक कोई हिसाब किताब नही हुआ है । शासकीय शराब दुकान कर्मचारियों द्वारा ये भी चेतावनी दी गई है कि अगर उनको 2 दिनों के अंदर भुगतान नही हुआ तो दुकान को संचालित होने नही देंगे । उन्हीने अपनी मांग में ये भी कहा कि उनका वेतन किसी भी माह में सही से नही हो पाता है । निश्चित तौर पर मध्यम वर्गीय कर्मचारियों के लिए ये बेहद ही कठिन छण है जहां पर परिवार को इतनी महंगाई में चला पाना कितना मुश्किल है ।

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बिलासपुर। छतीसगढ़ शाषन द्वारा संचालित शराब दुकान चलाई जा रही है जिसके अंतर्गत बिलासपुर जिले के शराब दुकान में काम कर रहे कर्मचारियों को 2 महीने से अधिक हो जाने पर वेतन भुगतान नही हो रहा है । जिसको लेकर आज सभी कर्मचारियों द्वारा अपनी निम्न मांगो को लेकर बिलासपुर कलेक्टर को ज्ञापन सौपा गया , ज्ञापन में मुख्य रूप से बताया गया कि 13 से 15 घंटे पूरी ईमानदारी से काम करने के बावजूद उनको पिछले 2 महीने से कोई वेतन भुगतान नही हो रहा है ऐसे में उनके लिए घर को चला पाना भी दूभर हो गया है , यहां तक कि ये भी बताया गया कि उनके जनवरी माह के वेतन से 2000 की अनावश्यक कटौती कर दी गयी ये कहकर के अगले महीने वापस दे दी जाएगी ,लेकिन जिसका अभी तक कोई हिसाब किताब नही हुआ है । शासकीय शराब दुकान कर्मचारियों द्वारा ये भी चेतावनी दी गई है कि अगर उनको 2 दिनों के अंदर भुगतान नही हुआ तो दुकान को संचालित होने नही देंगे । उन्हीने अपनी मांग में ये भी कहा कि उनका वेतन किसी भी माह में सही से नही हो पाता है । निश्चित तौर पर मध्यम वर्गीय कर्मचारियों के लिए ये बेहद ही कठिन छण है जहां पर परिवार को इतनी महंगाई में चला पाना कितना मुश्किल है ।
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