रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शनिवार को कहा कि अगर केन्द्र सरकार ने आवास योजना के पात्र हितग्राहियों का सर्वे नहीं कराया तो राज्य सरकार स्वयं यह सर्वेक्षण कराएगी।मुख्यमंत्री ने विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा, ”छत्तीसगढ़ सरकार राज्य के सभी पात्र हितग्राहियों को पक्के आवास मुहैया कराने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है। अगर केन्द्र सरकार योजना के पात्र हितग्राहियों का सर्वे नहीं कराती है तो राज्य सरकार एक अप्रैल से 30 जून के बीच स्वयं सर्वेक्षण कराएगी।
चर्चा के बाद राज्यपाल के अभिभाषण के लिए कृतज्ञता ज्ञापन का प्रस्ताव पारित कर दिया गया।बघेल ने कहा, ”केन्द्र सरकार को हमारा सुझाव है कि देश में पिछले 12 साल में बने पक्के मकानों, शेष कच्चे मकानों, एक कमरे वाले मकानों, शौचालय निर्माण योजना, उज्ज्वला गैस योजना, किसानों की आय दोगुनी करने, शत-प्रतिशत घरों के विद्युतीकरण आदि योजनाओं की ताजा स्थिति का आकलन किया जाए।” उन्होंने कहा कि भविष्य की योजनाएं बनाने के लिए ताजा जानकारी होने आवश्यक है।
बघेल ने विपक्ष के सदस्यों से अनुरोध किया कि जनगणना कराने का आग्रह करने के लिए सभी दलों के सदस्य एकसाथ प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मिलने चलें।उन्होंने विधानसभा को बताया, ”प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत छत्तीसगढ़ में आठ लाख 44 हजार आवास बन गए हैं। इस योजना में राज्य के 11 लाख 76 हजार 150 आवासों के लक्ष्य के विरूद्ध 11 लाख 76 हजार 67 आवासों की स्वीकृति दी जा चुकी है, जो लक्ष्य का 99.99 प्रतिशत है।”
उन्होंने दावा किया कि छत्तीसगढ़ आवास निर्माण में असम, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तराखंड, आंध्रप्रदेश तथा कर्नाटक से बेहतर स्थिति में है। छत्तीसगढ़ में लक्ष्य के 71.79 प्रतिशत आवास पूरे किए जा चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच प्रगाढ़ भौगोलिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और पारिवारिक संबंध हैं।उन्होंने कहा, ”छत्तीसगढ़ सरकार गरीबों, किसानों, आदिवासियों, अनुसूचित जनजातियों, महिलाओं की सरकार है। इनके हितों की रक्षा के लिए राज्य सरकार हर संभव प्रयास करेगी।” उन्होंने आरोप लगाया, ”राज्य सरकार ने गोधन न्याय योजना के तहत उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट पर रासायनिक उर्वरकों के अनुरूप अनुदान देने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा है, जिस पर कोई जवाब नहीं मिला है। हमने कोदो-कुटकी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने का अनुरोध भी केंद्र से किया है, लेकिन इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई।