छत्तीसगढसफलता की कहानी : मनरेगा से बने कुएं से खेती कर बढ़ाया...

सफलता की कहानी : मनरेगा से बने कुएं से खेती कर बढ़ाया मुनाफा, धान के अलावा सब्जियों की कर रहे खेती

बिलासपुर। विकासखण्ड कोटा के सेमरिया निवासी विजय कुमार का जीवन संवर गया है। महात्मा गांधी नरेगा के तहत उनके भूमि पर हुए कूप निर्माण से उनकी भूमि अब लह-लहा रही है। विजय की आर्थिक स्थिति के साथ-साथ उनकी बंजर भूमि भी उपजाऊ हो चुकी है। वे धान के अलावा सब्जियों की खेती कर अपने पूरे परिवार का भरण-पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा पूरी करने में भी सशक्त हो गए है।

सेमरिया के किसान विजय कुमार बताते हैं कि उनके पास 3 एकड़ कृषि भूमि है। बरसाती पानी पर निर्भर रहते हुए केवल धान की खेती किया करते थे। कम बारिश के कारण धान की पैदावार पर भी फर्क पड़ता था। 3 एकड़ की भूमि पर केवल 15 से 20 क्विंटल धान की पैदावार हो पाती थी। आय का कोई और साधन नहीं था, जिससे परिवार का गुजारा जैसे-तैसे हो रहा था। रोजगार सहायक गयाराम प्रसाद जगत ने उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए कृषि भूमि पर कुआं निर्माण करवाने का सुझाव दिया। विजय ने कुआं निर्माण के लिए ग्राम पंचायत में आवेदन दिया। महात्मा गांधी नरेगा के तहत कृषि भूमि पर कुआं निर्माण का कार्य तकनीकी सहायक के मार्गदर्शन में शुरू किया गया। अब उनकी 3 एकड़ की कृषि भूमि के लिए कुएं का पानी पर्याप्त है। उन्हें बारिश के पानी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। पर्याप्त पानी मिलने से पैदावार भी अब बढ़कर 40 क्विंटल हो गई है। जिसे बेचकर अब वे आय के एक बड़े हिस्से की बचत कर पा रहे हैं। विजय बताते हैं कि धान की फसल के अलावा अब वे अपने खेत में सब्जियों का भी उत्पादन कर रहे हैं। उनका पूरा परिवार इस कार्य में जुड़ा है और वे सब्जियों की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे है। अब वे परिवार का भरण पोषण अच्छे से कर पा रहे है। शासन की इस मदद के लिए वे अपना आभार जताते हुए कहते हैं कि महात्मा गांधी नरेगा गरीब परिवारों के लिए वरदान है। कुएं के निर्माण से वर्ष भर पानी की उपलब्धता रहती है। इसके साथ ही सब्जी उत्पादन से हमें आय का एक और स्त्रोत मिल गया है, जिससे परिवार की सभी जरूरतें पूरी हो पा रही है।

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बिलासपुर। विकासखण्ड कोटा के सेमरिया निवासी विजय कुमार का जीवन संवर गया है। महात्मा गांधी नरेगा के तहत उनके भूमि पर हुए कूप निर्माण से उनकी भूमि अब लह-लहा रही है। विजय की आर्थिक स्थिति के साथ-साथ उनकी बंजर भूमि भी उपजाऊ हो चुकी है। वे धान के अलावा सब्जियों की खेती कर अपने पूरे परिवार का भरण-पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा पूरी करने में भी सशक्त हो गए है। सेमरिया के किसान विजय कुमार बताते हैं कि उनके पास 3 एकड़ कृषि भूमि है। बरसाती पानी पर निर्भर रहते हुए केवल धान की खेती किया करते थे। कम बारिश के कारण धान की पैदावार पर भी फर्क पड़ता था। 3 एकड़ की भूमि पर केवल 15 से 20 क्विंटल धान की पैदावार हो पाती थी। आय का कोई और साधन नहीं था, जिससे परिवार का गुजारा जैसे-तैसे हो रहा था। रोजगार सहायक गयाराम प्रसाद जगत ने उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए कृषि भूमि पर कुआं निर्माण करवाने का सुझाव दिया। विजय ने कुआं निर्माण के लिए ग्राम पंचायत में आवेदन दिया। महात्मा गांधी नरेगा के तहत कृषि भूमि पर कुआं निर्माण का कार्य तकनीकी सहायक के मार्गदर्शन में शुरू किया गया। अब उनकी 3 एकड़ की कृषि भूमि के लिए कुएं का पानी पर्याप्त है। उन्हें बारिश के पानी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। पर्याप्त पानी मिलने से पैदावार भी अब बढ़कर 40 क्विंटल हो गई है। जिसे बेचकर अब वे आय के एक बड़े हिस्से की बचत कर पा रहे हैं। विजय बताते हैं कि धान की फसल के अलावा अब वे अपने खेत में सब्जियों का भी उत्पादन कर रहे हैं। उनका पूरा परिवार इस कार्य में जुड़ा है और वे सब्जियों की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे है। अब वे परिवार का भरण पोषण अच्छे से कर पा रहे है। शासन की इस मदद के लिए वे अपना आभार जताते हुए कहते हैं कि महात्मा गांधी नरेगा गरीब परिवारों के लिए वरदान है। कुएं के निर्माण से वर्ष भर पानी की उपलब्धता रहती है। इसके साथ ही सब्जी उत्पादन से हमें आय का एक और स्त्रोत मिल गया है, जिससे परिवार की सभी जरूरतें पूरी हो पा रही है।
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