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सुपर नेपियर घास से होगी पैसों की खेती, प्रति एकड़ सालाना दो लाख तक की कमाई कर सकेंगे किसान

बिलासपुर। अपने खेतों में सुपर नेपियर घास की खेती कर छत्तीसगढ़ के किसान प्रति एकड़ दो लाख रुपये तक की कमाई कर सकेंगे। इस घास का उपयोग जैविक खाद, बायोकोल व सीएनजी गैस बनाने में किया जाएगा। मुंबई स्थित मीरा क्लीन फ्यूल्स लिमिटेड द्वारा तखतपुर ब्लॉक के परसदा गांव में अप्रेल माह तक यूनिट स्थापित करने की तैयारी है। कंपनी द्वारा क्षेत्रीय सरस मेले में प्रदर्शनी के माध्यम से किसानों को इसकी जानकारी दी जा रही है।

किसानों को पारंपरिक खेती से नगदी फसल की ओर आकर्षित करने के उद्देश्य से महाराष्ट्र की कंपनी मीरा क्लीन्फ्यूल्स लिमिटेड द्वारा रविशंकर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के माध्यम से बिलासपुर जिले के तखतपुर ब्लॉक के परसदा गांव में एक ऐसी यूनिट लगाई जा रही है, जो सुपर नेपियर घास से जैविक खाद, सीएनजी गैस व बायोकोल का निर्माण करेगी।

इन उत्पादों के लिए सुपर नेपियर घास कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल की जाएगी। ऐसे में छत्तीसगढ़ के किसान अपने खेतों में इस घास की खेती करके प्रति एकड़ सालाना दो लाख रुपये तक कमा सकेंगे। कंपनी द्वारा क्षेत्रीय सरस मेले में स्टॉल लगाकर इस संबंध में किसानों को जानकारी दी जा रही है। दो दिनों में 110 लोगों ने स्टॉल में जानकारी लेकर सुपर नेपियर घास की खेती के प्रति अपनी दिलचस्पी दिखाई है।

एक बार बुवाई 6 साल तक उत्पादन

सुपर नेपियर घास की खेती करने वाले किसानों को सिर्फ एक बार बुवाई करनी पड़ेगी। इसके बाद वे हर तीन महीने में घास की कटाई कर सकेंगे। इसी तरह साल में चार बार घास की कटाई की जा सकेगी। यह सिलसिला लगातार छह वर्षो तक चलेगा। किसान छह वर्षों में चैबीस बार घास की कटाई कर कंपनी को इसकी बिक्री कर सकेंगे। बुवाई के लिए नेपियर घास की बीज कंपनी द्वारा एक रुपये प्रति बीज की दर पर उपलब्ध कराया जाएगा।

पंजीकृत किसानों से होगी घास की खरीदी

सुपर नेपियर घास उगाने वाले किसानों को पहले कंपनी में पंजीयन करवाना होगा। कंपनी उतने ही किसानों का पंजीयन करेगी, जितने घास की कंपनी को आवश्यकता होगी। गैर पंजीकृत किसान कंपनी को घास की बिक्री नहीं कर सकेंगे। घास की कटिंग करने के बाद परिवहन व्यवस्था किसान को ही करनी होगी।

देश मे 68 स्थानों पर संयंत्र स्थापित

देश में करीब 68 स्थानों पर कंपनी द्वारा संयंत्र स्थापित किया जा चुका है। लातूर, डोडामार्ग, गोआ, सोलापुर व जालन सहित विभिन्न स्थानों पर 26 जनवरी से एक साथ संयंत्र स्थापित किये गए हैं।

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बिलासपुर। अपने खेतों में सुपर नेपियर घास की खेती कर छत्तीसगढ़ के किसान प्रति एकड़ दो लाख रुपये तक की कमाई कर सकेंगे। इस घास का उपयोग जैविक खाद, बायोकोल व सीएनजी गैस बनाने में किया जाएगा। मुंबई स्थित मीरा क्लीन फ्यूल्स लिमिटेड द्वारा तखतपुर ब्लॉक के परसदा गांव में अप्रेल माह तक यूनिट स्थापित करने की तैयारी है। कंपनी द्वारा क्षेत्रीय सरस मेले में प्रदर्शनी के माध्यम से किसानों को इसकी जानकारी दी जा रही है। किसानों को पारंपरिक खेती से नगदी फसल की ओर आकर्षित करने के उद्देश्य से महाराष्ट्र की कंपनी मीरा क्लीन्फ्यूल्स लिमिटेड द्वारा रविशंकर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के माध्यम से बिलासपुर जिले के तखतपुर ब्लॉक के परसदा गांव में एक ऐसी यूनिट लगाई जा रही है, जो सुपर नेपियर घास से जैविक खाद, सीएनजी गैस व बायोकोल का निर्माण करेगी। इन उत्पादों के लिए सुपर नेपियर घास कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल की जाएगी। ऐसे में छत्तीसगढ़ के किसान अपने खेतों में इस घास की खेती करके प्रति एकड़ सालाना दो लाख रुपये तक कमा सकेंगे। कंपनी द्वारा क्षेत्रीय सरस मेले में स्टॉल लगाकर इस संबंध में किसानों को जानकारी दी जा रही है। दो दिनों में 110 लोगों ने स्टॉल में जानकारी लेकर सुपर नेपियर घास की खेती के प्रति अपनी दिलचस्पी दिखाई है। एक बार बुवाई 6 साल तक उत्पादन सुपर नेपियर घास की खेती करने वाले किसानों को सिर्फ एक बार बुवाई करनी पड़ेगी। इसके बाद वे हर तीन महीने में घास की कटाई कर सकेंगे। इसी तरह साल में चार बार घास की कटाई की जा सकेगी। यह सिलसिला लगातार छह वर्षो तक चलेगा। किसान छह वर्षों में चैबीस बार घास की कटाई कर कंपनी को इसकी बिक्री कर सकेंगे। बुवाई के लिए नेपियर घास की बीज कंपनी द्वारा एक रुपये प्रति बीज की दर पर उपलब्ध कराया जाएगा। पंजीकृत किसानों से होगी घास की खरीदी सुपर नेपियर घास उगाने वाले किसानों को पहले कंपनी में पंजीयन करवाना होगा। कंपनी उतने ही किसानों का पंजीयन करेगी, जितने घास की कंपनी को आवश्यकता होगी। गैर पंजीकृत किसान कंपनी को घास की बिक्री नहीं कर सकेंगे। घास की कटिंग करने के बाद परिवहन व्यवस्था किसान को ही करनी होगी। देश मे 68 स्थानों पर संयंत्र स्थापित देश में करीब 68 स्थानों पर कंपनी द्वारा संयंत्र स्थापित किया जा चुका है। लातूर, डोडामार्ग, गोआ, सोलापुर व जालन सहित विभिन्न स्थानों पर 26 जनवरी से एक साथ संयंत्र स्थापित किये गए हैं।
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