छत्तीसगढकुल देवी माता  11 फरवरी को माता सेवा जस गीत गायन में...

कुल देवी माता  11 फरवरी को माता सेवा जस गीत गायन में माता परमेश्वरी की दिव्य कथा का गायन हुआ की पूजा अनुष्ठान समाज के हित के लिए

संजय सराफ (संजू) जांजगीर चांपा। परमपिता परमेश्वर व माता परमेश्वरी ने सृष्टि में ऋषि-मुनियों देवताओं के हित के लिए सचराचर जीव की उत्पत्ति एवं रक्षा हेतु स्वयं यज्ञ का अनुष्ठान किया। इस यज्ञ में जितनी भी सामग्री की आवश्यकता पड़ी मां की कृपा से उपलब्ध हो गई लेकिन नवग्रह पूजा, वरुण पूजा, व देवताओं के लिए नए वस्त्र की आवश्यकता पड़ी है तब माता ने अपने अंग के मैल से एक पुतला सिरजाया व जीव न्यास किया, जीव न्यास होने पर मां को एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम दीपचंद देवांगन हुआ तथा उसका संबंध माता परमेश्वरी से सीधा मां और बेटे का हुआ इसलिए देवांगन जाति की इष्ट देवी कुलदेवी भी कहलाए। माता परमेश्वरी का तब से कोस्टा जाति के पूर्वजों के संबंध मां बेटे का हाथकरघा कोसा वस्त्र उद्योग अपने जिले का प्रमुख कुटीर उद्योग है, यहां सदियों से जिले के कोष्टा जाति के बुनकर परिवार बुनाई कार्य करते आ रहे हैं, यह परंपरागत व्यवसाय को कायम रखते हुए अपने परिवार का जीवन यापन भरण पोषण करते हैं। कोष्टा (देवांगन) समाज में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही प्रचलित और संस्कार बड़े ही महत्वपूर्ण है इस अनुष्ठान में परिवर्तन नहीं किया गया है, कोष्टा समाज माता परमेश्वरी को अपना इष्ट देवी मानते हैं तथा अपने आपको माता परमेश्वरी की संतान मानते हैं।

मुख्य गुरु पंचराम देवांगन ने इस अनुष्ठान के संबंध में बताया कि आदि शक्ति माता परमेश्वरी एवं पूर्वजों के आशीर्वाद से ही यह यज्ञ देवांगन परिवारों में किया जाता है जो कि रामकमल देवांगन के परिवार में होने जा रहा है यह 5 दिन तक चलने वाली पूजा है पहले दिन माता का महा मंगल आरती के साथ प्रारंभ हुआ दिनांक 11 फरवरी को बहिर्काज पान फूल का कार्यक्रम आयोजित किया गया जो कि 14 फरवरी 2023 तक जल भरण दर्शन एवं विशेष महाप्रसाद के साथ संपन्न होगा। पूर्वजों से मिली जानकारी पुराणों में वर्णित कथा एवं माता सेवा में गाए जाने वाले सेवा जस गीत में इस प्रकार के अनुष्ठान का वर्णन होता है इसमें कहा जाता है कि माता परमेश्वरी और भगवान नारायण में भांजी और मामा का संबंध है हमारे संस्कारों में है कि मामा और भांजी एक साथ भोजन ग्रहण नहीं करते हैं इसी तरह भगवान नारायण एवं माता परमेश्वरी का प्रसाद और पूजा पृथक पृथक तैयार कर किया जाता है इसमें यह भी कहा गया है की जल भरण कार्यक्रम एवं दर्शन महाप्रसाद एक वृहद स्तर पर आयोजित होता है माता रूप में मातृशक्ति जल भरण करने हेतु एक निश्चित तालाब या नदी में शोभायात्रा के साथ जाती हैं और जल कलश में एकत्र कर लेकर आती हैं तब इसी शुद्ध जल से भोग प्रसाद तैयार होता है यह कार्यक्रम निर्विघ्न सम्पन्न हो, इस हेतु नारायण की पूजा करने के लिए बहिर्काज पान फूल का कार्यक्रम 11 फरवरी को किया गया। हाथकरघा कोसा वस्त्र उद्योग अपने जिले का प्रमुख कुटीर उद्योग है, यहां सदियों से जिले के कोष्टा जाति के बुनकर परिवार बुनाई कार्य करते आ रहे हैं, यह परंपरागत व्यवसाय को कायम रखते हुए अपने परिवार का जीवन यापन भरण पोषण करते हैं। कोष्टा (देवांगन) समाज में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही प्रचलित और संस्कार बड़े ही महत्वपूर्ण है इस अनुष्ठान में परिवर्तन नहीं किया गया है, कोष्टा समाज माता परमेश्वरी को अपना इष्ट देवी मानते हैं तथा अपने आपको माता परमेश्वरी की संतान मानते हैं।

बहिर्काज पूजन में मुख्य गुरु के साथ आयोजन कर्ता परिवार एवं रिश्तेदारों सहित चांपा नगर के बाहर एक निर्धारित स्थान पर पूजा संपन्न की गई पूजा पश्चात भगवान को भोग जिसमें तसमही चावल और गुड़ से बना हुआ एक खीर, चावल आटे से बना हुआ पूरी, दीया, बांध बाती, छिल्का सहित उड़द दाल का बड़ा, गेहूं आटा गुड़ व तिल से बना डेडौरी, इत्यादि का प्रसाद चढ़ाया गया पूजन के पश्चात देवांगन समाज के स्वजातिय पुरुष वर्ग प्रसाद को ग्रहण किए इसमें लगभग 1000 पुरुष शामिल हुए।इसी दिन सायं से मध्यरात्रि तक पुनः माता के सेवा में गाए जाने वाला जस गीत नगर एवं आसपास के जस गीत मंडलियों द्वारा मांदर एवं विभिन्न प्रकार के वाद्ययंत्रों के साथ गायन हुआ।

भगवान विश्वकर्मा ने दीपचंद के लिए कपड़ा बनाने का औजार बनाया और उसी औजार से दीपचंद ने वस्त्र बनाने का कार्य किया। दोनों मिलकर माताजी के लिए एक सुंदर साड़ी बनाई और साथ में सभी वस्तुओं को बनाने के बाद दीपचंद ने माता को साड़ी भेंट किया एवं यज्ञ में जितने भी भाग लेने आए ऋषि गण एवं देवताओं के लिए भी वस्त्र बनाकर उन्हें प्रदान किया नवग्रह के लिए कपड़ा व चीर बनाकर सभी वस्त्र प्रदान कर दिया। माता परमेश्वरी इन सभी वस्तुओं को पाकर बहुत प्रसन्न हुई और यज्ञ संपन्न होने पर पूर्णाहुति के बाद माता परमेश्वरी अग्नि से साक्षात प्रकट होकर सभी को दर्शन देने लगी। माता परमेश्वरी ने दीपचंद को आशीर्वाद दिया कि तुम अपने निवास में मिट्टी का देवालय बनाना वही मेरा निवास रहेगा तथा तुम जब भी मेरा आह्वान करोगे मैं साक्षात प्रकट होकर तुम्हें दर्शन दूंगी।मां के निर्देशानुसार मिट्टी का देवालय तब से आज तक सभी देवांगन के यहां बनाकर रखने का विधान है जिसे आज भी देवांगन भाई सच्चे हृदय से पूजते आ रहे हैं। माता परमेश्वरी की कृपा आज भी सर्वत्र व्याप्त है। कोष्ठा समाज की माता परमेश्वरी कि इस यज्ञ में रानी रोड निवासरत मोहल्लेवासियों पड़ोसियों एवं नगर के स्वजातीय बंधुओं का सराहनीय योगदान प्राप्त हो रहा है। समाज के महिला कीर्तन मंडलियों द्वारा प्रातः विशेष भजन कीर्तन किया जा रहा है आयोजक परिवार ने स्वजातीय बंधुओं से आग्रह किया है कि इस अनुष्ठान में परिवार सहित सम्मिलित होकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करें।

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संजय सराफ (संजू) जांजगीर चांपा। परमपिता परमेश्वर व माता परमेश्वरी ने सृष्टि में ऋषि-मुनियों देवताओं के हित के लिए सचराचर जीव की उत्पत्ति एवं रक्षा हेतु स्वयं यज्ञ का अनुष्ठान किया। इस यज्ञ में जितनी भी सामग्री की आवश्यकता पड़ी मां की कृपा से उपलब्ध हो गई लेकिन नवग्रह पूजा, वरुण पूजा, व देवताओं के लिए नए वस्त्र की आवश्यकता पड़ी है तब माता ने अपने अंग के मैल से एक पुतला सिरजाया व जीव न्यास किया, जीव न्यास होने पर मां को एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम दीपचंद देवांगन हुआ तथा उसका संबंध माता परमेश्वरी से सीधा मां और बेटे का हुआ इसलिए देवांगन जाति की इष्ट देवी कुलदेवी भी कहलाए। माता परमेश्वरी का तब से कोस्टा जाति के पूर्वजों के संबंध मां बेटे का हाथकरघा कोसा वस्त्र उद्योग अपने जिले का प्रमुख कुटीर उद्योग है, यहां सदियों से जिले के कोष्टा जाति के बुनकर परिवार बुनाई कार्य करते आ रहे हैं, यह परंपरागत व्यवसाय को कायम रखते हुए अपने परिवार का जीवन यापन भरण पोषण करते हैं। कोष्टा (देवांगन) समाज में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही प्रचलित और संस्कार बड़े ही महत्वपूर्ण है इस अनुष्ठान में परिवर्तन नहीं किया गया है, कोष्टा समाज माता परमेश्वरी को अपना इष्ट देवी मानते हैं तथा अपने आपको माता परमेश्वरी की संतान मानते हैं। मुख्य गुरु पंचराम देवांगन ने इस अनुष्ठान के संबंध में बताया कि आदि शक्ति माता परमेश्वरी एवं पूर्वजों के आशीर्वाद से ही यह यज्ञ देवांगन परिवारों में किया जाता है जो कि रामकमल देवांगन के परिवार में होने जा रहा है यह 5 दिन तक चलने वाली पूजा है पहले दिन माता का महा मंगल आरती के साथ प्रारंभ हुआ दिनांक 11 फरवरी को बहिर्काज पान फूल का कार्यक्रम आयोजित किया गया जो कि 14 फरवरी 2023 तक जल भरण दर्शन एवं विशेष महाप्रसाद के साथ संपन्न होगा। पूर्वजों से मिली जानकारी पुराणों में वर्णित कथा एवं माता सेवा में गाए जाने वाले सेवा जस गीत में इस प्रकार के अनुष्ठान का वर्णन होता है इसमें कहा जाता है कि माता परमेश्वरी और भगवान नारायण में भांजी और मामा का संबंध है हमारे संस्कारों में है कि मामा और भांजी एक साथ भोजन ग्रहण नहीं करते हैं इसी तरह भगवान नारायण एवं माता परमेश्वरी का प्रसाद और पूजा पृथक पृथक तैयार कर किया जाता है इसमें यह भी कहा गया है की जल भरण कार्यक्रम एवं दर्शन महाप्रसाद एक वृहद स्तर पर आयोजित होता है माता रूप में मातृशक्ति जल भरण करने हेतु एक निश्चित तालाब या नदी में शोभायात्रा के साथ जाती हैं और जल कलश में एकत्र कर लेकर आती हैं तब इसी शुद्ध जल से भोग प्रसाद तैयार होता है यह कार्यक्रम निर्विघ्न सम्पन्न हो, इस हेतु नारायण की पूजा करने के लिए बहिर्काज पान फूल का कार्यक्रम 11 फरवरी को किया गया। हाथकरघा कोसा वस्त्र उद्योग अपने जिले का प्रमुख कुटीर उद्योग है, यहां सदियों से जिले के कोष्टा जाति के बुनकर परिवार बुनाई कार्य करते आ रहे हैं, यह परंपरागत व्यवसाय को कायम रखते हुए अपने परिवार का जीवन यापन भरण पोषण करते हैं। कोष्टा (देवांगन) समाज में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही प्रचलित और संस्कार बड़े ही महत्वपूर्ण है इस अनुष्ठान में परिवर्तन नहीं किया गया है, कोष्टा समाज माता परमेश्वरी को अपना इष्ट देवी मानते हैं तथा अपने आपको माता परमेश्वरी की संतान मानते हैं। बहिर्काज पूजन में मुख्य गुरु के साथ आयोजन कर्ता परिवार एवं रिश्तेदारों सहित चांपा नगर के बाहर एक निर्धारित स्थान पर पूजा संपन्न की गई पूजा पश्चात भगवान को भोग जिसमें तसमही चावल और गुड़ से बना हुआ एक खीर, चावल आटे से बना हुआ पूरी, दीया, बांध बाती, छिल्का सहित उड़द दाल का बड़ा, गेहूं आटा गुड़ व तिल से बना डेडौरी, इत्यादि का प्रसाद चढ़ाया गया पूजन के पश्चात देवांगन समाज के स्वजातिय पुरुष वर्ग प्रसाद को ग्रहण किए इसमें लगभग 1000 पुरुष शामिल हुए।इसी दिन सायं से मध्यरात्रि तक पुनः माता के सेवा में गाए जाने वाला जस गीत नगर एवं आसपास के जस गीत मंडलियों द्वारा मांदर एवं विभिन्न प्रकार के वाद्ययंत्रों के साथ गायन हुआ। भगवान विश्वकर्मा ने दीपचंद के लिए कपड़ा बनाने का औजार बनाया और उसी औजार से दीपचंद ने वस्त्र बनाने का कार्य किया। दोनों मिलकर माताजी के लिए एक सुंदर साड़ी बनाई और साथ में सभी वस्तुओं को बनाने के बाद दीपचंद ने माता को साड़ी भेंट किया एवं यज्ञ में जितने भी भाग लेने आए ऋषि गण एवं देवताओं के लिए भी वस्त्र बनाकर उन्हें प्रदान किया नवग्रह के लिए कपड़ा व चीर बनाकर सभी वस्त्र प्रदान कर दिया। माता परमेश्वरी इन सभी वस्तुओं को पाकर बहुत प्रसन्न हुई और यज्ञ संपन्न होने पर पूर्णाहुति के बाद माता परमेश्वरी अग्नि से साक्षात प्रकट होकर सभी को दर्शन देने लगी। माता परमेश्वरी ने दीपचंद को आशीर्वाद दिया कि तुम अपने निवास में मिट्टी का देवालय बनाना वही मेरा निवास रहेगा तथा तुम जब भी मेरा आह्वान करोगे मैं साक्षात प्रकट होकर तुम्हें दर्शन दूंगी।मां के निर्देशानुसार मिट्टी का देवालय तब से आज तक सभी देवांगन के यहां बनाकर रखने का विधान है जिसे आज भी देवांगन भाई सच्चे हृदय से पूजते आ रहे हैं। माता परमेश्वरी की कृपा आज भी सर्वत्र व्याप्त है। कोष्ठा समाज की माता परमेश्वरी कि इस यज्ञ में रानी रोड निवासरत मोहल्लेवासियों पड़ोसियों एवं नगर के स्वजातीय बंधुओं का सराहनीय योगदान प्राप्त हो रहा है। समाज के महिला कीर्तन मंडलियों द्वारा प्रातः विशेष भजन कीर्तन किया जा रहा है आयोजक परिवार ने स्वजातीय बंधुओं से आग्रह किया है कि इस अनुष्ठान में परिवार सहित सम्मिलित होकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करें।
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