संजय सराफ (संजू) जांजगीर चांपा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका अपनी मांग को लेकर सोमवार से अनिश्चित कालीन आंदोलन में चले गए हैं। इसके चलते जिले के डेढ़ हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में ताला लटक रहा है। ऐसे में कुपोषित बच्चों को पौष्टिक आहार और गर्भवती महिलाओं को गर्म भोजन का वितरण नहीं हो पा रही है। बच्चे और महिलाएं केंद्रों से वापस लौट रहे हैं। विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने अपनी घोषणा पत्र में राज्य में सरकार बनने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं को कलेक्टर दर पर वेतन देने का वादा किया था। मगर सरकार बनने के चार साल बाद भी घोषणा को पूरा नहीं किया गया है। इसे लेकर प्रदेश भर के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लंबे समय से चुनावी घोषणा पत्र के अनुरुप मानदेय या फिर कलेक्टर दर पर मानदेय देने की मांग कर रही है।
कई बार जिला स्तर से लेकर राजधानी में आंदोलन कर चुके हैं। मगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई है। ऐसे में एक बार फिर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं ने मोर्चा खोल दिया है और अनिश्चित कालीन आंदोलन में चली गई हैं। जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 15 सौ आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है। केंद्रों में करीब 2535 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका पदस्थ हैं। जिले की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाओं ने आंगनबाड़ी केंद्रों में ताला लगाकर जिला मुख्यालय जांजगीर के कचहरी चौक में सोमवार से धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
इसके चलते केंद्रों में ताला लटक रहा है। बच्चों को पौष्टिक आहार और गर्भवती महिलाओं को गर्म भोजन का वितरण नहीं हो रहा है। बच्चे और महिलाएं केंद्रों से वापस लौट रहे हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं का कहना है कि उन्होंने विभिन्ना संगठनों का एक संयुक्त मंच बनाकर सरकार का ध्यानाकर्षण के लिए 23 से 27 जनवरी तक रायपुर राजधानी मुख्यालय में पांच दिन तक धरना प्रदर्शन किया। मगर सरकार ने उनकी मांग पूरी नहीं की ऐसे में वे आंगनबाड़ी केंद्रों को बंदकर जिला मुख्यालय में धरना प्रदर्शन शुरू कर दी है । आंदोलन में शामिल आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाओं की संख्या इतनी अधिक है कि धरना स्थल में जगह कम पड़ जा रही है। पंडाल में जगह कम पड़ने के चलते कार्यकर्ता सहायिका इधर उधर बैठी नजर आईं।
नियमितीकरण नहीं तो कलेक्टर दर पर करें भुगतान
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि शासन द्वारा वर्तमान में कार्यकर्ता को 65 सौ रूपए और सहायिका को 3250 रूपए वेतन दिया जाता है। ऐसे में जब तक उनका नियमितीकरण नहीं हो जाता है तब तक उन्हें कलेक्टर दर पर वेतन दिया जाए ।